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1 करोड़ रूपए में इसरो अपनी ई-व्हीकल सेल टेक्नोलॉजी बेचने को तैयार
ई-व्हीकल ग्रीन प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के लिए इसरो अपनी ई-व्हीकल सेल टेक्नोलॉजी बेचना चाहता है। इसरो इसे 1 करोड़ रूपए में बेचेगा। बता दें कि इसरो का यह फैसला सरकार द्वारा इलेक्ट्ऱिक मोबोलिटी को बढ़ावा देने के लिए लिया गया है।
इस बाबत टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए इसरो के चेयरमैन के सिवान ने कहा कि "इसरो पिछले एक साल से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के लिए नितिन गडकरी के रोड और ट्रांसपोर्ट मंत्रालय से कॉर्डिनेट कर रहा है और अगर कोई योग्य भारतीय कंपनी मिलती है जो कि लिथियम-आयन सेल्स का मास प्रोडक्शन कर सकती है उसको ये टेक्नोलॉजी 1 करोड़ रुपए में ट्रांसफर कर दी जाएगी।"
यहां सिवान ने एकदम साफ शब्दों में बताया है कि टेक्नोलॉजी ट्रांसफर किसी इंडियन कंपनी को ही की जाएगी। किसी भी विदेशी कंपनी को यह नहीं दिया जाएगा। सिवान ने बताया कि जैसे ही कोई योग्य उम्मीदवार मिल जाता है एक महिने में टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया जाएगा।
इसरो चीफ सिवान ने यह भी बताया कि मार्च में इसरो ने BHEL (a PSU) से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की डील साइन की थी जिसके तहत उन्हें 10,000 स्पेस ग्रेड सेल हर वर्ष बनाने थे। उन्होंने बताया कि ये सेल ऑटोमोबाइल में इस्तेमाल होने वाले सेल से अलग होता है। बल्कि ऑटोमोबाइल सेल स्पेस-ग्रेड सेल से काफी सस्ता होता है इसलिए ये ई-व्हीकल्स की लागत को भी कम कर देगा।"
ई-व्हीकल्स के बारे में बात करते हुए सिवान ने कहा कि "इसरो ने चार टाइप के सेल डेवलप किए हैं - 1.5Ah, 5Ah, 50Ah और 100Ah. इन चारों सेल में से एजेंसी ने ऑटोमोटिव रिसर्च असोसिएशन इंडिया को 50Ah और 100Ah के इस्तेमाल की इजाजत दी है ताकि वो ई-स्कूटर और ई-कार का प्रोटोटाइप विकसीत कर सकें। ARAI इन प्रोटोटाइप का से संतुष्ट भी है।"
हालांकि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद नहीं और इसलिए इसकी विकास में बाधा आ रही है। लेकिन धीरे-धीरे सरकार और तमाम ऑटो निर्माता भी इसकी ओर आगे बढ़ रहे हैं।
इसरो दुनिया का एक जाना माना रिसर्च संस्थान है और यदि वो इसमें सहयोग करता है तो निश्चिच ही इससे इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बड़ा बल मिलेगा। इसरो ने यहां एक बात और साफ कही है कि इस टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के बावजूद इसका पेटेंट इसरो के पास ही रहेगा।
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