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देश में 13 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहनों का हुआ पंजीकरण, 2,826 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन हुए शुरू
केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को सदन को सूचित किया कि देश में 13 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस आंकड़े में आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और लक्षद्वीप में इलेक्ट्रिक वाहनों के पंजीकरण को शामिल नहीं किया गया है।
गडकरी ने कहा कि फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (FAME) फेज- II योजना के तहत, 68 शहरों में 2,877 सार्वजनिक ईवी (EV) चार्जिंग स्टेशन और 9 एक्सप्रेसवे और 16 हाईवे पर 1,576 ईवी चार्जिंग स्टेशनों को स्थापित करने की योजना को स्वीकृति दी गई है। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने ऊर्जा दक्षता ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में कुल 2,826 सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन चालू हैं।
एक अलग सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में 27,25,87,170 पंजीकृत वाहन हैं, जो 207 देशों में पंजीकृत कुल 2,05,81,09,486 वाहनों का 13.24 प्रतिशत है। यह पूछे जाने पर कि क्या मंत्रालय को बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (बीओटी) के तहत समझौते की अवधि समाप्त होने के बाद अवैध टोल वसूली से जुड़ी शिकायतें मिल रही हैं, गडकरी ने सकारात्मक जवाब दिया। उन्होंने कहा, "भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) में अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस और कोल्हापुर जिला लॉरी ऑपरेटर्स एसोसिएशन से उपयोगकर्ता शुल्क के संग्रह के संबंध में शिकायतें प्राप्त हुई हैं।"
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में, मंत्री ने कहा कि 30 जून, 2022 तक, बीओटी ऑपरेटर एनएचएआई के साथ अपने रियायत समझौते के अनुसार 214 शुल्क प्लाजा पर उपयोगकर्ता शुल्क जमा कर रहे हैं।
गडकरी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 36.14 किलोमीटर की 21 सुरंगों का निर्माण पूरा हो चुका है और 95.08 किलोमीटर की 56 सुरंगों पर काम चल रहा है। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने कहा कि देश भर में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 1,056 पुरुष और 1,060 महिला शौचालय हैं।
राजस्थान में राष्ट्रीय राजमार्गों पर 112 पुरूष और 113 महिला शौचालय हैं, जबकि तमिलनाडु में 66 पुरूष और 66 महिला शौचालय हैं। मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों पर पुरुषों के लिए 69 और महिलाओं के लिए 63 शौचालय हैं।
सड़क हादसों में भारत की स्थिति चिंताजनक
गडकरी ने इंटरनेशनल रोड फेडरेशन, जिनेवा के वर्ल्ड रोड स्टैटिस्टिक्स (डब्ल्यूआरएस) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में 2020 में 1.5 लाख लोगों की मौत सड़क हादसों में हुई, जो 207 देशों में दर्ज कुल सड़क दुर्घटनाओं का 26.37 प्रतिशत है।
2020 के सड़क हादसों के रिपोर्ट में ओवरस्पीडिंग को दुर्घटनाओं का मुख्य कारण बताया गया। अधिक स्पीड में गाड़ी चलाने से 69.3% दुर्घटनाएं हुईं, वहीं सड़क के गलत साइड में ड्राइविंग करने के मामलों में 5.6% दुर्घटनाएं हुईं।
2020 में सबसे ज्यादा सड़क हादसे तमिलनाडु में हुए, लेकिन हादसों में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में रही। सड़क दुर्घटनाओं से होने वाले मौतों में उल्लेखनीय कमी लाने वाले प्रमुख राज्यों में तमिलनाडु, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और केरल शामिल थे।
भारत उन देशों में शामिल है जहां सबसे सड़क दुर्घटनाओं में सबसे अधिक मौतें होती हैं। परिवहन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल लगभग 4.50 लाख सड़क हादसे होते हैं, जिनमें 1.50 लाख लोगों की मौतें होती हैं। यह आंकड़ा दुनिया भर में किसी भी अन्य देश की तुलना में सबसे अधिक है। भारत में अपंगता के लिए सड़क दुर्घटनाओं को मुख्य कारण बताया गया है।