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इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने में यूपी वालों ने तोड़े सभी रिकॉर्ड, दिल्ली और मुंबई वालों को भी पछाड़ा
देश में अब तक लोगों ने 18 लाख यूनिट्स इलेक्ट्रिक वाहन की खरीद चुके हैं। ये आंकड़ा देश में इलेक्ट्रिक वाहन रजिस्ट्रेशन के डेटा से पता चला है और इस बात की जानकारी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को दी है।
इलेक्ट्रिक वाहन को खरीदने के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे है, इसके बाद दिल्ली और महाराष्ट्र हैं। इसमें उत्तर प्रदेश में 4,14,978, दिल्ली में 1,83.073 और महाराष्ट्र में 1,79,087 वाहन हैं।

वहीं चार्जिंग स्टेशन की बात करें तो इसमें महाराष्ट्र 660 चार्जिंग पॉइंट के साथ सबसे आगे हैं। इसके बाद दिल्ली में 539 और तमिलनाडु 439 चार्जिंग स्टेशन हैं। उन्होंने कहा कि भारत में कुल 5,151 पब्लिक इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन चालू हैं।
एक अन्य सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक फी कलेक्शन सिस्टम से हाइवे के टोल प्लाज पर लगने वाली भीड़ काफी कम हो गई है। नेशनल हाइवे में आधुनिक टेक्नोलॉजी के साथ काम किया जा रहा है। इसमें ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान (एएनपीआर) टेक्नोलॉजी भी शामिल है।
मंत्री के अनुसार, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के हिस्सों के साथ एएनपीआर-आधारित प्रणाली की एक पायलट परियोजना लागू की गई है। इस प्रणाली में, एएनपीआर कैमरों द्वारा कैप्चर किए गए वाहनों के आने और जाने के आधार पर फास्टैग से टोल टैक्स काटा जाता है।
एक अन्य सवाल के जवाब में गडकरी ने कहा कि विभिन्न राज्यों में करीब 719 परियोजनाएं हैं, कई राज्यों में मॉनसून और कोविड-19 महामारी के कारण राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में कुछ हद तक देरी हुई है। चार धाम सड़क परियोजना पर, गडकरी ने कहा कि उत्तराखंड में कुल 825 किलोमीटर की लंबाई वाले 53 पैकेजों में से 683 किलोमीटर की कुल लंबाई वाले 43 पैकेजों को मंजूरी दी गई है।

उन्होंने कहा, "इनमें से 291 किलोमीटर की लंबाई वाले 21 पैकेज पूरे हो चुके हैं, 2 पैकेज अभी दिए जाने बाकी हैं, 1 पैकेज को मंजूरी नहीं दी गई थी और शेष 366 किमी की लंबाई वाले 19 पैकेज प्रगति के विभिन्न चरणों में हैं।"
चार धाम सड़क परियोजना को मूल रूप से मार्च 2022 तक पूरा करने के लिए निर्धारित किया गया था। हालांकि, मुख्य रूप से विभिन्न अदालतों में वन और पर्यावरण मंजूरी से संबंधित मुकदमेबाजी के कारण कार्यक्रम में देरी हुई।
इस परियोजना की गैर-रणनीतिक सड़कों (रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड और धरासू मोड़-जानकीचट्टी) के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) द्वारा समीक्षा/निगरानी की जा रही है और रणनीतिक सड़कों (ऋषिकेश-माना, ऋषिकेश-गंगोत्री और टनकपुर-पिथौरागढ़) के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार एक निगरानी समिति बनाई गई है।