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फ्लेक्स इंजन वाहनों को लेकर सरकार ने जारी की एडवाइजरी, 6 महीने के भीतर कंपनियां उतारेंगी फ्लेक्स इंजन कारें
भारत में कार निर्माता कंपनियों को अगले छह महीने के भीतर फ्लेक्सिबल फ्यूल (फ्लेक्स-फ्यूल) से चलने वाली कारों को पेश करना होगा। केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को इस संबंध में वाहन कंपनियों को एडवाइजरी जारी की है। गडकरी ने कहा कि उन्होंने फ्लेक्स-फ्यूल इंजन पर एक फाइल पर हस्ताक्षर किया है जो कार निर्माताओं को अपने वाहनों के लिए फ्लेक्स-फ्यूल इंजन बनाने की सलाह देते हैं।
मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने कार निर्माताओं को वाहनों में ऐसे फ्लेक्स-फ्यूल इंजन लगाने के लिए छह महीने का समय दिया है जो एक से अधिक ईंधन से चल सकते हैं। गडकरी ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार हरित और वैकल्पिक ईंधन के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रही है।
उन्होंने आगे उल्लेख किया कि टीवीएस मोटर्स और बजाज ऑटो जैसी ऑटो कंपनियों ने अपने दोपहिया और तिपहिया वाहनों के लिए फ्लेक्स-फ्यूल इंजन का निर्माण शुरू कर दिया है। गडकरी ने कहा कि भारत में अगर 100 प्रतिशत इथेनॉल से चलने वाले चार पहिया वाहनों को उतार दिया जाएगा तो हमें पेट्रोल की आवश्यकता नहीं होगी और इससे करोड़ों रुपये की बचत भी होगी।
गडकरी ने कहा कि वाहन निर्माताओं को ऐसे वाहनों का विकल्प देना चाहिए जो 100 प्रतिशत पेट्रोल या एथेनॉल पर चल सकें। ऐसे वाहनों को अनुमति देने के लिए सरकार पूरी तरह तैयार है। उन्होंने कहा कि फ्लेक्स फ्यूल इंजन की तकनीक आसानी से उपलब्ध है, अगर वाहन कंपनियां चाहें तो भारत की ऑटो इंडस्ट्री क्लीन फ्यूल की तरफ एक बड़ा कदम उठा सकती हैं।
भारत सरकार ने ईंधन के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए फ्लेक्स फ्यूल के इस्तेमाल पर जोर दे रही है। इसके लिए सरकार ने पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है। 8 मार्च को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर E20 ईंधन के उपयोग को मंजूरी दे दी है। E20 ईंधन में 20 प्रतिशत इथेनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल का मिश्रण होता है।
फ्लेक्स-ईंधन या लचीला ईंधन एक वैकल्पिक ईंधन है जो पेट्रोल को मेथनॉल या एथेनॉल के साथ मिलाकर बनाया जाता है। क्योंकि फ्लेक्स-ईंधन जैव प्रकृति का होता है इसलिए यह पेट्रोल की तुलना में वातावरण को कम प्रदूषित करता है। फ्लेक्स-फ्यूल इंजन पेट्रोल और बायोफ्यूल दोनों पर भी चल सकते हैं।
वर्तमान में, ब्राजील और अमेरिका दो प्रमुख बाजार हैं जहां एथेनॉल-मिश्रित ईंधन और फ्लेक्स इंजन मुख्य रूप से उपयोग किए जाते हैं। भारत जीवाश्म ईंधन के प्रमुख उपभोक्ताओं में से एक है और यह अपनी कुल जीवाश्म ईंधन आवश्यकता का 80 प्रतिशत आयात करता है।
भारत का उद्देश्य एथेनॉल और एथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल के उत्पादन और खपत को बढ़ावा देना है। भारत ने पहले ही पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण को बढ़ाने का लक्ष्य रखा है।
पेट्रोल में एथेनॉल के मिश्रण को बढ़ाने और फ्लेक्स-फ्यूल इंजनों को पेश करने का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना है जिससे भारत के ईंधन आयात बिल में कमी आएगी। साथ ही इस कदम से प्रदूषण के स्तर में काफी कमी आएगी।
बायो-फ्यूल यानी एथेनॉल की कीमत पेट्रोल से 30-35 रुपये सस्ती हो सकती है। पूरी तरह एथेनॉल पर चलने वाले वाहनों पर पेट्रोल की कीमतों में होने वाले बदलाव का असर नहीं पड़ेगा। एथेनॉल को मक्के, गन्ने और गेहूं से तैयार किया जाता है। अगर वाहन कंपनियां फ्लेक्स इंजन वाहनों को उतारें, तो हमें सस्ते ईंधन का फायदा मिलेगा साथ ही प्रदूषण से लड़ने में भी मदद मिलेगी।