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दोपहिया वाहनों की बिक्री 21% घटी, जरूरी उपकरणों की कम आपूर्ति ने बिगाड़ा खेल
जनवरी 2022 की दोपहिया वाहन बिक्री में लगभग सभी कंपनियों की बिक्री में गिरावट दर्ज की गई है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार, घरेलू दोपहिया वाहनों की बिक्री में जनवरी में साल-दर-साल 21 फीसदी की गिरावट देखी गई। आईसीआरए ने बुधवार को एक बयान में कहा कि ये आंकड़े छह प्रमुख मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) द्वारा जारी आंकड़ों पर आधारित हैं।

रिपोर्ट में आईसीआरए ने बताया कि प्रीमियम दोपहिया वाहनों का उत्पादन वैश्विक सेमीकंडक्टर की कमी के कारण प्रभावित हुआ, तो वहीं कोरोना महामारी की तीसरी लहर के कारण राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन के चलते बिक्री कम हुई। कुल मिलाकर दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री 11 फीसदी गिरकर 10.2 लाख यूनिट रही।

फिर भी ऑटोमोबाइल उद्योग आने वाले महीनों में बिक्री को लेकर आशावादी है। वाहन निर्माताओं को उम्मीद है कि केंद्रीय बजट में बुनियादी ढांचे पर खर्च और कृषि पहल पर सकारात्मक घोषणाओं से आने वाले समय में वाहनों की मांग बढ़ सकती है। इसके अलावा, आपूर्ति श्रृंखला की बाधाओं को कम करने के लिए सरकार के द्वारा उठाए गए कदम लंबे समय में वाहन उद्योग के लिए फायदेमंद साबित हो सकते हैं।

निर्यात में दोपहिया वाहन कंपनियों ने मामूली बढ़त हासिल की है। अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों से स्थिर मांग उद्योग के लिए फायदेमंद बनी रही। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के अनुसार, जनवरी 2022 में निर्यात में दोपहिया वाहनों का निर्यात 3 प्रतिशत बढ़कर 3.5 लाख यूनिट हो गया।

घरेलू बाजार में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन की बिक्री चालू वित्तीय वर्ष (2022) की अप्रैल-जनवरी की अवधि में 1.49 लाख यूनिट रही। यह पिछले वित्तीय वर्ष (2020) की सामान अवधि की तुलना में 5 प्रतिशत अधिक थी। जनवरी 2022 में, हाई-स्पीड इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की बिक्री 27,563 यूनिट दर्ज की गई जो चालू वित्तीय वर्ष में अब तक सबसे अधिक रही।

आईसीआरए के अनुसार, केंद्रीय बजट में बैटरी स्वैपिंग के लिए घोषित नीति से इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में आधारभूत संरचना का विकास होगा, जिससे आने वाले समय में लोगों के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना आसान हो जाएगा।

बता दें कि मंगलवार को पेश किये गए केंद्रीय बजट में पब्लिक ट्रांसपोर्ट में क्लीन तकनीक व इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने की शिफारिश की गई है। वर्तमान में देश में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, लेकिन चार्जिंग के लिए आधारभूत संरचना की कमी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है।

ऐसे में बैटरी स्वैपिंग के जरिये चार्जिंग की समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। बैटरी स्वैपिंग वह तकनीक है जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग स्टेशन पर रुक कर चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ती। इसके जगह इलेक्ट्रिक वाहन पहले से स्टेशन में उपलब्ध पूरी तरह चार्ज बैटरी को खली बैटरी के बदले ले सकते हैं। इससे चार्ज करने की समस्या से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है।

नई नीति के तहत सरकार इस क्षेत्र में निवेश के लिए प्राइवेट कंपनियों को आमंत्रित करेगी। वर्तमान में इस क्षेत्र में काफी कम संख्या में कंपनियां काम कर रही है। बैटरी स्वैपिंग नेटवर्क के विकास में एथर एनर्जी, हीरो इलेक्ट्रिक और बाउंस जैसी कंपनियां कदम रख चुकी हैं। अब सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी तेल विपणन कंपनी इंडियन ऑयल ने भी देश भर में चर्जिंग स्टेशनों के निर्माण शुरू करने की घोषणा की है।