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वाहन कंपनियों के लिए खुशखबरी! सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए 76 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी सरकार
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले बोर्ड उत्पादन के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना को मंजूरी दे दी है। पीएलआई योजना में अगले 5-6 वर्षों में देश में सेमीकंडक्टर निर्माण में 76,000 रुपये करोड़ के निवेश की योजना तैयार की गई है। पीएलआई योजना में बड़े पैमाने पर ऑटोमोबाइल विनिर्माण, ऑटो घटक निर्माण और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उपकरण बनाने वाले निर्माताओं को प्रोत्साहन दिया जाएगा।
निर्णय के बारे में बोलते हुए, दूरसंचार और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इससे माइक्रोचिप्स के डिजाइन, निर्माण, पैकिंग और परीक्षण में मदद मिलेगी और एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित होगा। भारत में चिप निर्माण के लिए इस पीएलआई योजना से देश के ऑटो सेक्टर को काफी मदद मिलने की उम्मीद है। वैश्विक ऑटो उद्योग की तरह, भारतीय ऑटो क्षेत्र को भी चिप की कमी के कारण बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, जो कि कोविड -19 महामारी के कारण उभरा।
पिछले साल दुनिया के अधिकांश हिस्सों में लॉकडाउन और यातायात में प्रतिबंधों के दौरान, उपभोक्ता तकनीकी उत्पाद निर्माताओं से चिप्स की मांग में काफी वृद्धि हुई। चिप निर्माताओं ने भी अपनी उत्पादन क्षमता को उसी के अनुसार स्थानांतरित कर दिया। बाद में जब ऑटो उद्योग ने संचालन फिर से शुरू किया और माइक्रोचिप्स की मांग में काफी वृद्धि हुई, तो एक बड़ा व्यवधान उत्पन्न हुआ क्योंकि चिप निर्माता मांग को पूरा करने में असमर्थ थे।
चिप संकट के शुरू होते ही स्थानीय चिप निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के बारे में चर्चा शुरू हो गई, जो ऑटो उद्योग और अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों का भी समर्थन कर सके। माइक्रोचिप निर्माण क्षेत्र के लिए नई स्वीकृत पीएलआई योजना के साथ चिप की समस्या का समाधान होने की उम्मीद है।
क्या होते हैं सेमीकंडक्टर
सेमीकंडक्टर इलेक्ट्रॉनिक चिप होते हैं जिन्हें सिलिकॉन से बनाया जाता है। ये कारों के इलेक्ट्रॉनिक सर्किट में करंट को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। इनके बिना आज कारों की कल्पना ही नहीं की जा सकती। मौजूदा समय में बाजार में जितनी भी कारें उपलब्ध हैं, सभी में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। इनके बिना कारों को हाईटेक नहीं बनाया जा सकता।
कारों में डिस्प्ले पैनल, नेविगेशन, लाइट, पावर स्टीयरिंग और लगभग सभी ऑटोमैटिक फीचर्स में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल किया जाता है। चिप्स की कमी की वजह से ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में सेमीकंडक्टर की भारी कमी हो गई है, इसलिए कारों का उत्पादन तय संख्या में नहीं हो रहा है।
क्यों हुई सेमीकंडक्टर की कमी
सेमीकंडक्टर को अलग-अलग प्रकार के सैकड़ों चिप से बनाया जाता है। अभी सबसे अच्छी गुणवत्ता के चिप की सप्लाई फिलहाल क्वालकॉम इंक और इंटेल कॉर्प कंपनियां कर रही हैं। हालांकि, वैश्विक कोरोना महामारी ने कंपनियों की चिप की सप्लाई को बाधित कर दिया है। इसी वजह से ये कंपनियां डिमांड के अनुसार सेमीकंडक्टर का उत्पादन नहीं कर पा रही हैं।
इसके अलावा स्मार्टफोन, टीवी, ऐसी जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर की डिमांड बढ़ गई है जिससे निर्माण करने वाली कंपनियां आपूर्ति नहीं कर पा रही हैं। इसी कारण से कारों में लगने वाले कुछ सेमीकंडक्टर चिप की कीमत में उछाल आ गया है। कारों में लगने वाले डिस्प्ले ड्राइवर चिप की कीमत बढ़ गई है, जिनका इस्तेमाल टेलीविजन, लैपटॉप, कार और विमानों के उत्पादन में भी होता है।
अब हाल में बिजली प्रबंधन (पॉवर मैनेजमेंट) चिप्स की भी वैश्विक बाजार में कमी हो गई है। इसकी वजह से फोर्ड मोटर, निशान, फॉक्सवैगन आदि जैसी कंपनियों को अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक इस चिप की सप्लाई में कमी के कारण दुनिया में कार उद्योग इस साल 60 अरब डॉलर का नुकसान हो चुका है।