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देश को मिलने जा रही पानी के अंदर दौड़ने वाली पहली मेट्रो, डेढ़ घंटे का सफर 45 सेकंड में होगा पूरा
भारत की पहली पानी के अंदर चलने वाली मेट्रो को चलाने की तैयारी जोर-शोर पर है, जिसके दिसंबर 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है। जो 520 मीटर की दूरी ट्रैफिक वजह से तय करने में डेढ़ घंटा लगता था वह इससे केवल 45 सेकंड में पूरा हो जाएगा।
यह जानकारी कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (KMRC) ने शुक्रवार दी है। उसका कहना है कि ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कॉरिडोर परियोजना, भारत की पहली अंडरवाटर मेट्रो सेवा दिसंबर 2023 तक पूरी होने की उम्मीद है।
अधिकारियों का कहना है कि सुरंग बनाने में लगभग 120 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की लागत आई है। वहीं हुगली नदी के गहरे होने की वजह से उस पर सुरंग बनाने का खर्च बढ़कर 157 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर हो गया है।
सिविल केएमआरसी के महाप्रबंधक (जीएम) शैलेश कुमार ने बताया कि देश की पहली मेट्रो रेलवे कोलकाता मेट्रो ने इससे बनाकर एक नया इतिहास बना लिया है। 1984 में अपनी यात्रा शुरू करने वाली कोलकाता मेट्रो का विस्तार पूरे शहर और इसके बाहरी इलाकों में किया जा रहा है। पानी के नीचे मेट्रो परियोजना जो हुगली नदी में चल रही है, हावड़ा और कोलकाता के दो शहरों को जोड़ेगी।
मेट्रो अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना के पूरा होने में देरी की वजह कुछ पुनर्वास काम प्रक्रिया और अन्य मुद्दे हैं। कोलकाता मेट्रो रेलवे कॉरपोरेशन ने जर्मन मशीनों और बेहतरीन विशेषज्ञों की मदद से सुरंग बनाने का बीड़ा उठाया है। टनल के अंदर काम अभी भी जारी है।
केएमआरसी, जीएम (सिविल) ने मीडिया को बताया कि, "हमने टनलिंग परियोजनाओं में विदेशी विशेषज्ञों को शामिल किया है, वर्तमान में हम मुश्किल काम को आसान बनाने के लिए विदेशों (जर्मन) से मशीनों का उपयोग कर रहे हैं।"
केएमआरसी ने कहा हुगली नदी के अंदर हमने 520 मीटर लंबी सुरंग बनाकर हमने बहुत ही चुनौतीपूर्ण काम कर दिखाया है। परियोजना के पूरा होने से लाखों यात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी क्योंकि यह व्यस्त हावड़ा और सियालदह रेलवे स्टेशनों के साथ-साथ एस्प्लेनेड में कोलकाता मेट्रो की उत्तर-दक्षिण लाइन को जोड़ेगी।
यात्रियों के लिए एक अन्य आकर्षण नदी की चौड़ाई के नीचे दो सुरंगें होंगी। यात्री एक मिनट से भी कम समय में आधा किलोमीटर तक पानी के नीचे से गुजरेंगे, जिससे उन्हें अपनी तरह का अनूठा अनुभव होगा।