भारत लिथियम बैटरी सप्लाई चेन में टाॅप 10 देशों में हुआ शामिल, यूएस और मेक्सिको को छोड़ा पीछे

इलेक्ट्रिक वाहन उद्योगकाफी हद तक लिथियम पर निर्भर है। इलेक्ट्रिक वाहनों एक लोए तैयार की जाने वाली रिचार्जेबल बैटरी में लिथियम एक महत्वपूर्ण घटक है। दुनिया भर में कई देश लिथियम बैटरी के निर्माण और निर्यात लिए लिथियम के नए स्रोतों पर अध्ययन कर रहे हैं। लिथियम खनन और बैटरी उत्पादन में अब भारत भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

भारत लिथियम बैटरी सप्लाई चेन में टाॅप 10 देशों में हुआ शामिल, यूएस और मेक्सिको को छोड़ा पीछे

हाल ही में भारत को उन दस देशों की सूची में शामिल किया गया है जिनमें लिथियम के खनन और बैटरी निर्यात की क्षमता है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि लिथियम की वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। VC Elements द्वारा जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि लिथियम का उत्पादन करने वाले शीर्ष 10 देशों में भारत का स्थान नौवें पायदान पर है।

भारत लिथियम बैटरी सप्लाई चेन में टाॅप 10 देशों में हुआ शामिल, यूएस और मेक्सिको को छोड़ा पीछे

आश्चर्य की बात यह है कि लिथियम उत्पादन में भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और मेक्सिको से भी आए निकल चुका है। बैटरी के लिए आवश्यक कच्चे माल की 80 फीसदी वैश्विक आपूर्ति के साथ चीन पहले स्थान पर है। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका, चिली, अर्जेंटीना और बोलीविया का स्थान है जो भारत से ऊपर हैं।

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सुजुकी और टोयोटा जैसी वैश्विक कंपनियां पहले ही गुजरात में एक बैटरी प्लांट में निवेश कर चुकी हैं और यहां तक ​​कि टेस्ला जैसी कंपनियां भी संभावनाओं का मूल्यांकन कर रही हैं। इससे पहले टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसे कार निर्माताओं ने भी लिथियम कारोबार में उतरने की घोषणा की है, लेकिन अभी तक किसी बड़े निवेश की घोषणा नहीं की गई है।

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आपको बता दें कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैटरियों के लिए चीन से बड़ी मात्रा में लिथियम का आयात किया जाता है। हालांकि, भारत सरकार ने लिथियम के लिए चीन पर निर्भरता समाप्त करने के लिए इस साल की शुरूआत में अर्जेंटीना की एक कंपनी से साझेदारी की है। उम्मीद की जा रही है कि भारत का अर्जेंटिना से करार चीन का दबदबा तोड़ सकेगा।

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क्या है लिथियम

आधुनिक बैटरी उद्योग के लिए लिथियम एक महत्वपूर्ण घटक है। ये एक रासायनिक तत्व है, जिसे सबसे हल्की धातुओं की श्रेणी में रखा जाता है। यहां तक कि धातु होने के बाद भी ये चाकू या किसी नुकीली चीज से आसानी से काटा जा सकता है। इस पदार्थ से बनी बैटरी काफी हल्की होने के साथ-साथ आसानी से रिचार्ज हो जाती है।

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आजकल एसिड बैटरी से चलने वाली चीजों की जगह लिथियम बैटरी ने ले ली है। लिथियम बैटरी एसिड बैटरी की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं और ज्यादा समय तक चलते हैं। इलेक्ट्रिक स्कूटर, कारों और आजकल देश के कोने-कोने में चलने वाले ई-रिक्शा में इसी ई-बैटरी का इस्तेमाल होता है। मोबाइल फोन भी लिथियम-आयन बैटरी से चलते हैं। इस बैटरी के कारण करोड़ों सालों में बनने वाले जीवाश्म ईंधन पर हमारी निर्भरता कम हुई।

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वर्तमान में भारत की जरूरत के लिथियम का एक बड़ा हिस्सा चीन से आयात किया जाता है। भारत में लिथियम का भंडार कम होने के कारण हम इसके लिए चीन से डील करते रहे। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में भारत ने लीथियम बैटरी का तीगुना आयात किया था जो कि 1.2 अरब डॉलर की कीमत का था।

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बेंगलुरु से लगभग 100 किलोमीटर दूर मांड्या में साल 2020 की शुरुआत में ही इस तत्व का भंडार मिला भी लेकिन पर्याप्त से काफी कम है। ऐसे में भारत ने चीन से अपनी निर्भरता खत्म करने के लिए कई दूसरे देशों में लिथियम माइन्स खरीदने की योजना तैयार की है।

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Hindi
English summary
India among top 10 countries in lithium mining and ev battery supply chain details
 
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