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ऑटोमोबाइल डीलर्स ने सरकार से की दोपहिया वाहनों पर जीएसटी कम करने की मांग
भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग 2019 से बिक्री में गिरावट से जूझ रहा है और पिछले दो साल विशेष रूप से चिंताजनक रहे हैं। जबकि 2020 में BS6 उत्सर्जन मानदंडों और COVID-19 के प्रकोप के कारण बिक्री में गिरावट देखी गई, 2021 में वाहनों की बिक्री COVID-19 की दूसरी लहर, सेमीकंडक्टर की कमी और कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि के कारण बाधित रही। इसके मद्देनजर, भारतीय ऑटो उद्योग एक बार फिर आगामी बजट 2022 से बिक्री में वृद्धि और व्यावसायिक परिस्थितियों में सुधार की उम्मीदें कर रहा है।

बजट 2022 से पहले, फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने ऑटोमोबाइल बाजार में सुधार के उद्देश्य से कुछ सुझावों के साथ सरकार से संपर्क किया है। पिछले कुछ वर्षों के समान, FADA ने सरकार से भारत में वाहनों की अग्रिम लागत को कम करने के लिए GST दर में कटौती करने का आग्रह किया है। FADA ने विशेष रूप से टू-व्हीलर सेगमेंट के लिए GST दर में राहत देने की राहत देने का अनुरोध किया है।

ऑटोमोबाइल डीलर समूह, फाडा का कहना है कि पिछले कुछ सालों से टू-व्हीलर वाहन कम मांग से जूझ रहे हैं। ऐसे में जीएसटी दरों में कमी से वाहनों की कीमत में कमी आएगी और बाजार में मांग को मजबूत करने में सहायता मिलेगी।

भारत में दोपहिया वाहनों पर वर्तमान में 28 प्रतिशत की जीएसटी दर और 2 प्रतिशत उपकर (सेस) लगाया जाता है। यह वही दर है जो देश में लग्जरी श्रेणी में आने वाली वस्तुओं पर लागू होता है। हालांकि, FADA ने आग्रह किया है कि दोपहिया वाहन, विशेष रूप से कम्यूटर बाइक श्रेणी को लग्जरी टैक्स सेगमेंट से बाहर रखा जाए। इसलिए, जीएसटी दर को कम कर 18 प्रतिशत तक करने से दोपहिया वाहनों की अग्रिम लागत कम हो जाएगी और बिक्री को बढ़ावा मिलेगा।

फाडा का कहना है कि निर्माण लागत में बढ़ोतरी से हर साल दोपहिया वाहनों की कीमतें बढ़ रही हैं ऐसे में ग्राहकों को टैक्स का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है और इससे बाजार में वाहनों की उचित मांग उत्पन्न नहीं हो रही है।

FADA ने भारत सरकार से पुरानी कारों पर GST की दर को मौजूदा 12 से 18 प्रतिशत की दर से घटाकर 5 प्रतिशत करने का भी अनुरोध किया है। इस कदम से यूज्ड कार सेगमेंट में संगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी और इससे कर संग्रह में वृद्धि होगी।

इनके अलावा, FADA ने सरकार से अन्य अनुरोध भी किए हैं जो भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र की मदद करेंगे। इनमें डीलर पार्टनर्स को लाभ पहुंचाने के लिए वाहनों पर मूल्यह्रास का दावा करने, मूल्यह्रास योजना को फिर से शुरू करने और एलएलपी, प्रोपराइटरी और पार्टनरशिप फर्मों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कमी शामिल है।