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कॉन्टिनेंटल इंडिया ने दोपहिया वाहनों की सुरक्षा लिए नई तकनीकों का किया प्रदर्शन, जानें कैसा रहा हमारा अनुभव
दोपहिया वाहनों को दुनिया भर में परिवहन का सबसे खतरनाक साधन माना जाता है। इनमें चालक की सुरक्षा के लिए कार जैसा कोई बाहरी संरक्षण नहीं होता, जिसके चलते दुर्घटना के समय दोपहिया वाहन चालकों के हताहत होने के संभावनाएं सबसे अधिक होती हैं। हालांकि, अब दोपहिया वाहनों में ऐसी कई तकनीक आ गई हैं जिनसे दुर्घटनाओं से कुछ हद तक बचा जा सकता है। हाल ही में प्रमुख टायर निर्माता कॉन्टिनेंटल ने बाइक दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अपनी नई तकनीक का प्रदर्शन किया।
ड्राइवस्पार्क की टीम ने होसुर (कर्नाटक) के तनेजा एयरोस्पेस डिवीजन में आयोजित इस टेक प्रदर्शनी में कॉन्टिनेंटल के नए तकनीक और उपकरणों का परीक्षण किया। आपको बता दें कि कॉन्टिनेंटल इंडिया, कॉन्टिनेंटल एजी समूह की भारतीय इकाई है, जो दुनिया भर में वाहनों के लिए अपनी उत्तम तकनीक और उत्पादों की आपूर्ति करती है। कंपनी ने दोपहिया वाहनों से सफर को सुरक्षित बनाने के लिए पहले भी कई तरह की तकनीकों का आविष्कार किया है जो आज प्रभावी रूप से वाहन दुर्घटनाओं को कम कर रही हैं।
हमने कंपनी द्वारा पेश की गई कुछ नई तकनीकों का टेस्ट ट्रैक पर परीक्षण किया। कॉन्टिनेंटल इंडिया ने कई विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाने वाले इलेक्ट्रॉनिक्स और दोपहिया उपकरणों की एक श्रृंखला प्रदर्शित की। इसमें सिंक्रोफोर्स कार्बन बेल्ट, सिंक्रोचेन कार्बन बेल्ट, जेनेरिक व्हीकल कंट्रोल यूनिट, टीएफटी डिस्प्ले सॉल्यूशंस, डायग्नोस्टिक सॉल्यूशंस, हाइब्रिड डिस्प्ले सॉल्यूशंस, सॉल्यूशन के रूप में की, इंजन स्पीड सेंसर, व्हील स्पीड सेंसर आदि शामिल थे।
कॉन्टिनेंटल ने अपने बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम, टेलीमैटिक्स कंट्रोल यूनिट, डिजिटल सर्विस प्लेटफॉर्म, डिफ्लेशन डिटेक्शन सिस्टम आदि को भी प्रदर्शित किया। इन दोपहिया वाहन तकनीकों में प्रयुक्त मॉड्यूल और हार्डवेयर इकाइयों को भी प्रदर्शित किया गया। इसमें एबीएस, ट्रैक्शन कंट्रोल, ब्लाइंड स्पॉट डिटेक्शन, ऑप्टिमाइज्ड कर्व ब्रेकिंग, लेन चेंज असिस्ट और एडवांस्ड राइडर असिस्टेंस सिस्टम (ARAS) शामिल हैं। हार्डवेयर पर एक नजर डालने के बाद, हमनें टेस्ट ट्रैक पर उनका परीक्षण भी किया। यहां हम आपसे उसी अनुभव को साझा कर रहे हैं -
एबीएस और ट्रैक्शन कंट्रोल
एबीएस और ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम आजकल बाइक्स के सामान्य फीचर्स हैं। हालांकि, कॉन्टिनेंटल इंडिया इसे अगले स्तर पर ले जाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। हमने जिस एबीएस यूनिट का परीक्षण किया वह इंटीग्रेटेड ट्रैक्शन कंट्रोल यूनिट के साथ आता है। यही नहीं, इसमें कॉर्नरिंग एबीएस फीचर भी दिया गया है।
हमारी टीम ने एक पॉवरफुल 500cc की गियरलेस स्कूटर पर एबीएस और ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम का परीक्षण किया। इसमें हमनें पाया कि नए एबीएस का प्रदर्शन आजकल की दोपहिया वाहनों में मिलने वाले एबीएस से कहीं बेहतर है। हमनें फिसलन भरे गीले टेस्ट ट्रैक पर भी एबीएस और ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम को परखा। इसमें भी नई तकनीक का प्रदर्शन अच्छा रहा। स्कूटर एक सीधी रेखा पर चली गई और बिना सड़क पर अपनी पकड़ खोए अंत तक पहुंच गई। हमनें जैसे ही स्कूटर के एबीएस को ऑफ कर इसे दोबारा गीले ट्रैक पर चलाया तो यह फिसलने लगी और बीच में गिरने की स्थिति में आ गई। हमें इससे पता चला कि कॉन्टिनेंटल का नया एबीएस और ट्रैक्शन कंट्रोल सिस्टम कितना प्रभावी रूप से काम करता है।
कॉर्नरिंग एबीएस
हमारी टीम द्वारा टेस्ट की गई अगली तकनीक कंपनी की नई कॉर्नरिंग एबीएस सिस्टम थी। इस सिस्टम के परीक्षण के लिए हमने एक पॉपुलर स्पोर्ट्स बाइक को चुना और क्रैश के बचने के लिए मोटरसाइकिल के दोनों तरफ रिग फिट किये। हमनें कॉर्नरिंग टेस्ट के दौरान मोटरसाइकिल की स्पीड को 60-70 किमी/घंटे पर रखा और टर्न करते समय ब्रेक लगाया।
आश्चयजनक रूप से इतनी अधिक स्पीड पर भी बाइक टर्न करते समय नहीं फिसली और उसका नियंत्रण बना रहा। यह साबित करता है कि कॉन्टिनेंटल का कॉर्नरिंग एबीएस कितनी बेहतर तरीके से काम करता है। जानकारी के लिए बता दें कि यह तकनीक बाइक के चलते समय झुकने पर ब्रेक के दबाव को कम कर देता है, ताकि टायर सड़क पर न फिसलें। इसका मतलब यह है कि बाइक जितनी अधिक झुकेगी उसके ब्रेक का दबाव उतना कम होगा। अगर बाइक बिना झुके सीधी चलती है, तब ब्रेक का दबाव सबसे अधिक होगा। वर्तमान में केवल महंगी बाइक्स में ये फीचर्स देखने को मिलते हैं।
एडवांस राइडर असिस्टेंस सिस्टम
एडवांस राइडर असिस्टेंस सिस्टम यानी एआरएएस हाईवे पर वाहन चलाते समय अधिक काम आती है। इस तकनीक में रडार का उपयोग किया जाता है जो सिग्नल की मदद से यह वाहन के सामने और पीछे से आने वाले वाहनों की स्थिति के बारे में चालक को सावधान करते हैं। हमारी टेस्टिंग बाइक पर एक लाल एलईडी स्ट्रिप लाइट लगाई गई थी जो सड़क पर ब्लाइंड स्पॉट को बताने के लिए वार्निंग लाइट का काम कर रहा था।
हमनें पाया कि बाइक जैसे ही एक धीमी गति से चल रही एक कार के सामने आई तो एलईडी लाइट जलने लगी। यह तकनीक बताती है कि सामने चल रही कार धीमी गति से चल रही है इसलिए बाइकर को स्पीड कम करने की जरूरत है। इस परीक्षण में एडवांस राइडर असिस्टेंस सिस्टम ने अपनी काबिलियत को साबित किया।
ड्राइवस्पार्क के विचार
दुनिया भर में वाहन निर्माण और ऑटोमोटिव तकनीक से जुड़ी कंपनियां वाहनों को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए लगातार नई तकनीकों को इजात कर रही हैं। जहां कारों को अब पहले से कई गुना सुरक्षित बना दिया गया है, वहीं मोटरसाइकिल अभी भी सबसे कम सुरक्षित है। नई तकनीक और आविष्कार के माध्यम से अब दोपहिया वाहनों को भी सुरक्षित बनाया जा रहा है। भविष्य में हमें मोटरसाइकिलों को सुरक्षित बनाने वाली कई और तकनीकें देखने को मिलेंगी।