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परिवार का पेट पालने के लिए बेटी ने थामा स्टीयरिंग, मिलिये सबसे कम उम्र की महिला बस ड्राइवर से
रास्ते कठिन हैं तो क्या हुआ अगर हौसले बुलंद हैं तो मुसीबतें भी छोटी पड़ जाती हैं। बंगाल की रहने वाली कल्पना मंडल की कहानी आज हर किसी के जुबान पर है। कल्पना केवल 21 वर्ष की हैं और इतनी कम उम्र में अपने परिवार का पेट पालने के लिए बस ड्राइविंग करती हैं।

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब दो साल पहले कल्पना के ड्राइवर पिता के साथ एक हादसा हो गया जिसमे उन्होंने अपना एक पैर गंवा दिया जिसके बाद परिवार चलाने की सारी जिम्मेदारी कल्पना के कंधों पर आ गई।

कल्पना ने हिम्मत दिखाते हुए अपने पिता के काम को अपनाया और आज बस चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहीं हैं। कल्पना बताती हैं कि वह सिर्फ 8 साल की थी जब उसने बस चलाना शुरू कर दिया था। वह खाली मैदानों में बस चलाकर काफी कम उम्र में ही इसमें माहिर बन गई थीं।
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हालांकि, कल्पना बाद में एक बस ड्राइविंग टेस्ट पास कर अब एक पेशेवर बस ड्राइवर बन गई हैं और अपना काम बखूबी करना जानती हैं। कल्पना बताती हैं कि बस में पिता हमेसा उनके साथ रहते हैं। वह बस में टिकट टेलर का काम करते हैं और बस में चढ़ने-उतरने वालों पर नजर रखते हैं।
उनके पिता बताते हैं कि शुरूआत में बस मालिकों को कल्पना पर भरोसा नहीं था। वे सोचते थे कि एक लड़की बस कैसे चला सकती है। हालांकि, कल्पना की बस चलाने की कुशलता ने कइयों का मन बदल दिया और अब वह कोलकाता के बस ड्राइवर कम्युनिटी में फेमस हो गई है। लोग उसे बस चलने वाली सबसे कम उम्र की लड़की के रूप में जानते हैं।
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कोलकाता भारत के सबसे भीड़-भाड़ वाले शहरों में एक है। यहां की सड़कों पर बस चलना काफी चुनौती भरा काम है, एक गलती किसी बड़ी मुसीबत को जन्म दे सकती है। हालांकि, कल्पना को चलाने में इतनी हुनरमंद हैं कि इन सड़कों पर भी वह आसानी से बस चला लेती हैं।

कल्पना ने बताया कि बस में लोग उन्हें देखकर आश्चर्य करते हैं। रास्ते में कई पुलिस वाले बस रोक कर उसके साथ तस्वीरें लेते हैं। वहीं, बस में कई लोग कल्पना की हिम्मत की सराहना भी करते हैं। उसके पिता कहते हैं कि उन्हें अपनी बेटी को बस चलाता देख उन्हें गर्व होता है।

कल्पना से उनके भविष्य के बारे में पूछे जाने पर वह कहती हैं कि उनके लिए करियर नाम की कोई चीज नहीं है। इंसान को जिस भी चीज में लगाव है, उसमे अपना करियर बना सकता है।

बस चलने की वजह से उन्होंने 9वीं तक ही पढ़ाई की है। वह 10वीं की परीक्षा देना चाहती हैं लेकिन काम के वजह से उन्हें पढ़ाई करने का समय नहीं मिल पता। बस चलाने के अलावा वह सुबह में घर के काम को निपटाने में अपनी मां का हाथ भी बटाती हैं।