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फ्रांस में हायपरलूप कंस्ट्रक्शन का काम शुरू - क्या हो सकता है दुनिया का सबसे तेज ट्रांसपोर्ट?
जिस ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजी को दुनिया का सबसे तेज और बूलेट ट्रेन से काफी सस्ता और अच्छा बताया जा रहा है, उस हायपरलूप का परिक्षण करने के लिए ट्रैक के कंस्ट्रक्शन का काम फ्रांस में आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया गया है। इस ट्रैक कि लंबाई 320 मीटर होगी और इसका निर्माण कार्य इसी वर्ष पूरा कर लिया जाएगा।
हाइपरलूप ट्रेन चुंबकीय शक्ति पर आधारित तकनीक है।जिसके अंतर्गत खंभों के ऊपर (एलीवेटेड) पारदर्शी ट्यूब बिछाई जाती है। इसके भीतर बुलेट जैसी शक्ल की लंबी सिंगल बोगी हवा में तैरते हुए चलती है।
दावों के अनुसार इस टेक्नोलॉजी के जरिए 1,200 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार संभव होगी। हायपरलूप का यह आइडिया सबसे पहले वर्ष 2013 में टेस्ला और स्पेस-एक्स के फाउंडर एलन मस्क द्वारा सामने लाया गया था। इसके बाद कई कंपनियों ने इस टेक्नोलॉजी पर काम करना शुरू किया।
स्पेस-एक्स के पास हायपरलूप टेक्नोलॉजी की टेस्टींग के लिए कैलीफोर्निया में 1.6 किलोमीटर लंबा और 3.3 मीटर-डायमीटर वाला ट्रैक पहले से मौजूद है।
इसके अलावा अन्य कंपनी जैसे हायपरलूप वन भी इस ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की टेस्टिंग कर चुकी हैं। यह कंपनी वर्जिन ग्रुप की है जिसके मालिक रिचर्ड ब्रैंनसन हैं।
वर्ष 2017 में हायपरलूप वन ने अपने 500-मीटर लंबे ट्रैक पर इसकी टेस्टिंग की और उन्होंने 386 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड दर्ज की थी।
आनेवाले समय में हायपरलूप भारत में भी दस्तक देने वाला है। इसके लिए हायपरलूप टीटी नाम की कंपनी ने आंध्र प्रदेश सरकार से एक एमओयू भी साइन किया है।
प्रोजेक्ट के विकास के लिए अमरावती में विशेष व्यवस्था की है। उम्मीद है कि इसके बाद हायपरलूप टेक्नोलॉजी भारत के अन्य शहरों में भी आगे बढ़ेगी।