मिलिए भारत की इस बहादुर महिला ट्रक ड्राइवर से

भारत एक पुरूष प्रधान देश रहा है और औरतें अक्सर गृहणी बन कर रहती आई हैं और घर काम देखती हैं। लेकिन जरूरत पड़ने पर उसने बाहरी जिम्मेदारियों को भी बाकायदा निभाया है।

By Abhishek Dubey

भारत में बहादुर महिलाओं की कोई कमी नहीं है। हाल ही में महिलाओं के भारतीय वायु सेना में भरती होने और महिला फाइटर पाइलेट बनने की खबरें चर्चा में थी। भारत का पुरा इतिहास महिलाओं की वीर गाथाओं से पटा पड़ा है। भारत एक पुरूष प्रधान देश रहा है और औरतें अक्सर गृहणी बन कर रहती आई हैं और घर काम देखती हैं। लेकिन जरूरत पड़ने पर उसने बाहरी जिम्मेदारियों को भी बाकायदा निभाया है। ऐसी ही कहानी है भोपाल की योगिता रघुवंशी की, जिन्हें भारत की पहली महिला भारी ट्रक ड्राइवर भी कहा जाता है।

मिलिए भारत की इस बहादुर महिला ट्रक ड्राइवर से

ट्रक ड्राइविंग ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र दिखता है जहां आपको महिलाएं नाम मात्र की भी नहीं दिखाई देतीं। भारत में यदि आप महिला ट्रक ड्राइवर ढुंढने निकलें तो आपको गिनती मात्र की मिलेंगी। उनमें से ही और शायद भारत की पहली महिला ट्रक ड्राइवर हैं योगिता रघुवंशी।

मिलिए भारत की इस बहादुर महिला ट्रक ड्राइवर से

ट्रक ड्राइविंग का काम इतना मुश्किल और रिस्की है कि महिलाओं के लिए इसमें सुरक्षा के बडे़ खतरे हैं। शायद ही कोई महिला अपनी मर्जी से इस लाइन में आना चाहेगी। योगिता को भी ट्रक ड्राइविंग का काम मजबूरी में ही करना पड़ा, लेकिन उन्होंने ये काम इतने साहस और निपुणता से किया की आज उन्हें इस लाइन में पंद्रह बरस के करीब हो गए हैं।

मिलिए भारत की इस बहादुर महिला ट्रक ड्राइवर से

योगिता महाराष्ट्र के नंदुरबार की रहनेवाली हैं, लेकिन उनकी शादी भोपाल में हुई। उनके पति वकील थे पर साइड-बाय-साइड ट्रांसपोर्ट का बिजनेस भी चलाते थे। हालांकि शादी के कुछ सालों बाद योगिता के पति का एक सड़क हादसे में देहांत हो गया। उस समय योगिता के दो बच्चे थे, एक 8 साल की लड़की और एक 4 साल का उनका बेटा। योगिता के सामने बच्चों के भविष्य की चिंता थी।

मिलिए भारत की इस बहादुर महिला ट्रक ड्राइवर से

पति के देहांत के बाद कुछ समय के लिये योगिता सदमें में थी, लेकिन उन्हें अपने बच्चों का भविष्य भी देखना था। इसके बाद योगिता ने पति का छोड़ा हुआ ट्रांसपोर्ट बिजनेस ज्वाइन करने का सोचा। उस समय उनके पास तीन ट्रक थे। योगिता ने ड्राइवर और सहयोगि को काम पर रखे। लेकिन कुछ महिनों बाद ही हैदराबाद के पास उनके एक ट्रक का एक्सीडेंट हो गया और ड्राइवर वहां से भाग गया। उस समय योगिता को खुद हैदराबाद जाना पड़ा और गाड़ी रिपेयर करवाकर जैसे-तैसे उसे फिर से भोपाल लेकर आईं। अब उन्होंने ड्राइवर की गैरहाजिरि में खुद ट्रक चलाने का निर्णय लिया। इसके लिए उन्होंने पुरी तरह से ट्रक ड्राइविंग सिखी और कुछ महिनों बाद वो फुलटाइम ट्रक चलाने लगीं।

मिलिए भारत की इस बहादुर महिला ट्रक ड्राइवर से

आज योगिता को ट्रक चलाते हुए एक दशक से ज्यादा हो चुके हैं और इस सफर में उन्हें बड़ी-बड़ी परेशानियां झेलनी पड़ी, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कई बार तो उन्हें पुरी रात-रात ड्राइविंग करनी पड़ती थी। भोपाल से वो कई बार दक्षिण भारत तक ट्रक चलाते हुए गईं। इस बीच उन पर पुरूषों द्वारा कई बार हमले भी हुए, लेकिन योगिता ने सबका डटकर सामना किया।

मिलिए भारत की इस बहादुर महिला ट्रक ड्राइवर से

योगिता के इस साहस से ये पता चलता है कि कोई यदि ठान ले तो उसके लिए कोई काम असंभव नहीं होता। विपरित परिस्थितियां सबके जीवन में आती हैं लेकिन योगिता जैसा कोई साहसी ही उसका सामना कर उससे पार पा सकता है। योगिता के इस संघर्ष और साहस का सम्मान करने के लिए उन्हें देश के कई अलग-अलग हिस्सों में प्रतिष्ठित संस्थानों और व्यक्तियों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।

मिलिए भारत की इस बहादुर महिला ट्रक ड्राइवर से

यह भी पढ़ें...

Source: The Telegraph

Most Read Articles

Hindi
English summary
We Salute the Spirit of India’s Most Academically Qualified Woman Truck Driver. Read in Hindi.
 
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X