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एयरोप्लेन में यात्रियों के लिए क्यों नहीं होते हैं पैराशूट? जानिए इसकी वजह
आप में से कई लोगों ने एयरोप्लेन का सफर किया होगा। सुरक्षा के मद्देनजर हर यात्री की सीट के नीचे कुछ उपकरण होते है। लेकिन व्यवसायिक एयरोप्लेन में यात्रियों की सीट के नीचे पैराशूट नहीं होते है।
लेकिन सवाल ये है कि अगर किसी आपातकालीन स्थिति में यात्रियों को प्लेन से कूदना पड़े तो उनके लिए पैराशूट क्यों मुहैया नहीं कराए जाते है। तो इसकी वजह हम यहां पर आपको बताने जा रहे है। ऐसा न करने की चार वजहें है।
1. पैराशूट काफी बड़े, भारी और महंगे होते है। बड़े होने की वजह से पैराशूट सीट के नीचे फिट नहीं हो पाते है। इन्हें रखने के लिए काफी बड़ी जगह की जरूरत होती है। इसके अलावा इनका वजन काफी ज्यादा होता है।
जिसकी वजह से प्लेन का वजन बढ़ जाता है। पैराशूट की रोजाना चेकिंग और रीपैकिंग भी जरूरी होती है। अगर व्यवसायिक प्लेन पर सभी को पैराशूट मुहैया कराया जाएगा तो इसका सफर बहुत महंगा हो जाएगा।
2. इसकी दूसरी वजह यह है कि यात्रियों को पैराशूट इस्तेमाल करने की कोई जानकारी नहीं होती है। बिना पैराशूट ट्रेनिंग के बहुत से यात्री इसकी डोरी को सही समय पर नहीं खींच पाएंगे और जमीन पर सुरक्षित नहीं उतर पाएंगे।
यहां तक की जमीन पर भी उतरने के बाद पैराशूट को संभालना काफी मुश्किल होता है। कई लोगों को सामान्य हालातों में इसे संभालने में परेशानी होती है, तो जरा सोचिए कि जब प्लेन पर आपातकाल की स्थिति हो तब यात्री इसे कैसे इस्तेमाल कर पाएंगे।
3. व्यवसायिक एयरोप्लेन में यात्रियों के लिए पैराशूट न रखने की तीसरी वजह यह है कि इन एयरोप्लेन से बाहर कूदने के लिए कोई सुविधाजनक जगह नहीं होती है। बाहर कूदने की जगह देने के लिए एयरोप्लेन को दोबारा डिजाइन करना पड़ेगा।
सामान्य एयरोप्लेन में बाहर निकलने के लिए साइड में दरवाजे होते है, अगर आप इन दरवाजों से बाहर कूदते है तो आप प्लेन के पंख या टेल से टकरा जाएंगे। इसके लिए प्लेन के पिछले केबिन में एक रैंप बनाना पड़ेगा।
4. ऐसी बहुत कम परिस्थितियां होंगी जहां पर पैराशूट से किसी की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए दिन का समय होना चाहिए, प्लेन जमीन के ऊपर होना चाहिए और प्लेन से सभी को कूदने के लिए पर्याप्त समय भी होना चाहिए।