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कुछ ही एयरोप्लेन में क्यों इस्तेमाल किए गए आगे मुड़े पंख, जानिए वजह
हवाई जहाज तो आप सभी ने देखा होगा। अगर आपसे पूछा जाए कि एक एयरोप्लेन कैसा दिखता है तो आप का जवाब होगा कि इसकी एक लंबी बॉडी होती है। इसके पिछले हिस्से में छोटे पंख लगे होते है और बीच में भी बड़े और पीछे की ओर मुड़े हुए पंख होते है।
लेकिन अगर आप से ये कहे कि एयरोप्लेन के बीच के पंखों को पीछे की ओर न मोड़कर आगे की ओर मोड़ दिया जाए, तब एयरोप्लेन के आकार और उसे उड़ाने में क्या अंतर आएगा।
आपको शायद इस बात की जानकारी नहीं होगी कि एयरोप्लेन के पंखों को आगे की तरफ मोड़ने के कई प्रयोग किये जा चुके है। नासा ने भी इस पर काम किया था और एक एयरोप्लेन बनाया था।
नासा और यूएस एयरफोर्स ने मिल कर इसी तरह का एक एयरोप्लेन एक्स-29 साल 1984 में बनाया था। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस तरह के केवल दो ही प्लेन बनाए गए थे।
लेकिन ऐसा नहीं है कि एक्स-29 ही इस तरह का पहला एयरोप्लेन था, जिसके पंख आगे की ओर मुड़े हुए थे। इस तरह के एक और एयरोप्लेन जेयू-287 को 1940 के दौर में बनाया गया था।
अब आप कहेंगे कि ऐसा क्यों है कि इस तरह के और प्लेन नहीं बनाए गए। दरअसल ऐसे एयरोप्लेन को और इस लिए नहीं बनाया गया, क्योंकि आगे की ओर मुड़े पंखों की वजह से इन्हें उड़ाना बेहद कठिन होता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आप वर्तमान समय के एयरोप्लेन को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि पंखों को उनकी बॉडी के हिसाब से एक सही कोण पर लगाया जाता है। जिससे उन्हें हवा में 1200 किमोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर उड़ने में मदद मिलती है।
जब एयरोप्लेन हवा में होता है तो पीछे की ओर मुड़े पंखों की वजह से हवा इससे सीधी नहीं टकराती है और इसके बगल से होकर गुजरती है। इसे वैज्ञानिक भाषा में स्पैन वाइस फ्लो कहा जाता है।
लेकिन आगे की ओर मुड़े पंखों की वजह से हवा एयरोप्लेन के बाहर की ओर न जाकर उसकी बॉडी की तरफ आती है। जिसकी वजह से एयरोप्लेन में ट्विस्टिंग मोशन के हालात पैदा हो जाते है।
ऐसे में इसे कंट्रोल करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इससे बचने के लिए नासा ने एक्स-29 में तीन कम्प्यूटर सिस्टम का इस्तेमाल किया था, जो उड़ान के दौरान पंखों की स्थिति को अनुकूल बनाते थे।
लेकिन टेस्टिंग के दौरान ही इनमें से एक एयरोप्लेन के तीनों कम्प्यूटर खराब हो गए। जिसकी वजह से नासा ने एक्स-29 प्रोग्राम को साल 1991 में बंद कर दिया गया था।
Image Credit: Nasa