नींद में गाड़ी चलाने से एक्सीडेंट का खतरा 300% तक अधिक, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

नींद में गाड़ी चलाना सिर्फ अपनी जान को खतरे में नहीं डालता बल्कि सड़क पर चल रहे दूसरों के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है। भारत में ट्रक दुर्घटनाओं की बड़ी वजह ट्रक चालकों का नींद में ट्रक चलाना है। एक रिसर्च में पाया गया है कि देश में एक बड़ी संख्या में ट्रक चालक नींद की कमी और नींद न आने की कई बिमारियों से जूझ रहे हैं। ट्रक चलाते वक्त इन चालकों के दुर्घटनाग्रस्त होने की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है।

नींद में गाड़ी चलाने से एक्सीडेंट का खतरा 300% तक अधिक, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

दो में से एक ड्राइवर को नींद की कमी

सेव लाइफ फाउंडेशन और महिंद्रा की एक रिसर्च में दावा किया गया है कि देश में हर दो में से एक ट्रक चालक नींद की बीमारी से ग्रसित है। एक ट्रक औसतन दिन में 12 घंटे ट्रक चलाता है। इन ट्रक चालकों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया जैसी बीमारी पाई गई है। रिसर्च में खुलासा हुआ है कि अधिकतर ट्रक चालकों को इस बीमारी का पता नहीं होता और वह इलाज के अभाव में इससे जूझते रहते हैं। 80 प्रतिशत ट्रक चालक इस बीमारी का इलाज नहीं करवा पाते।

नींद में गाड़ी चलाने से एक्सीडेंट का खतरा 300% तक अधिक, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

लान्सेंट (Lancent) के एक रिपोर्ट में दवा किया गया है कि भारत में इस बीमारी से ग्रसित लोगों की संख्या 2.50 करोड़ से भी ज्यादा है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इस बीमारी से ग्रसित मरीज को दिन में अधिक नींद आती है जिससे वह गाड़ी चलाते समय नींद में रहता है और दुर्घटना का कारण बनता है।

नींद में गाड़ी चलाने से एक्सीडेंट का खतरा 300% तक अधिक, सामने आए चौंकाने वाले आंकड़े

सड़क पर थोड़ी सी भी नींद किसी बड़ी दुर्घटना को अंजाम दे सकती है। उत्तर प्रदेश के किंग्स जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च में सामने आया कि अगर कोई व्यक्ति चार रातों तक केवल 5 घंटे की नींद ले तो उसके शरीर में उतना आलास उत्पन्न हो जाता है जितना शरीर में 0.6 प्रतिशत तक बढ़ा हुआ अल्कोहल करता है। रिसर्च में दवा किया गया है कि यह स्तर मामूली है लेकिन काफी खतरनाक परिणाम दे सकता है।

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नींद की बीमारी में दुर्घटना का खतरा 300 प्रतिशत अधिक

इस सर्वे में यह भी सामने आया है कि नींद न आने की बीमारी से ग्रसित चालकों को दिन में ड्राइव करते समय अधिक नींद आती है। जिससे सड़क पर दुर्घटना का खतरा 300 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। ऐसे चालकों में ब्रीथिंग डिसऑर्डर (breathing disorder) और ध्यान केंद्रित न कर पाने की भी समस्या पाई गई है।

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ट्रक और टैक्सी चालकों को अधिक खतरा

स्लीप डिसऑर्डर की समस्या ट्रक और टैक्सी चालकों में अधिक पाई गई है जो रात में जग कर ड्राइव करते हैं। रिसर्च में शामिल 100 में से 23 ट्रक चालकों में स्लीप डिसऑर्डर पाया गया है।

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English summary
Truck drivers having sleep disorders have 300 percent risk of accidents says report. Read in Hindi.
Story first published: Thursday, May 6, 2021, 20:49 [IST]
 
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