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नेशनल हाईवे पर टोल कलेक्शन 25-30 फीसदी होगा कम, महाराष्ट्र और राजस्थान को सबसे ज्यादा नुकसान
कोरोना महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन से मई में टोल कलेक्शन 25-30 फीसदी कम होने का अनुमान है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ICRA के अनुसार कोरोना महामारी के दूसरी लहर से बचाव के लिए देश में कई राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन घोषित है जिससे हाईवे पर वाहनों की सामान्य आवाजाही कम हुई है। इसको देखते हुए, अनुमान लगाया गया है कि इस महीने के अंत में पिछले महीने (अप्रैल) के मुकाबले टोल कलेक्शन 25-30 फीसदी तक कम हो सकता है।
ICRA ने बताया कि अप्रैल में भी टोल कलेक्शन में मार्च के मुकाबले 10 फीसदी की गिरावट आई थी। हालांकि, इस महीने के तीसरे सप्ताह से कोविड के मामलों की संख्या में गिरावट के साथ, धीरे-धीरे लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देने की उम्मीद है। एजेंसी ने जून से टोल संग्रह में बढ़ोतरी की उम्मीद जताई है।
2019-20 में, राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संग्रह 26,851 करोड़ रुपये हुआ, जो कि एक साल पहले 2018-19 में 24,396 करोड़ रुपये था। ICRA ने 11 राज्यों में 1 मार्च से 10 मई के बीच के टोल कलेक्शन पर एक रिपोर्ट तैयार किया।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि लॉकडाउन के कारण महाराष्ट्र को टोल कलेक्शन में सबसे अधिक नुकसान झेलना पड़ा है। महाराष्ट्र में अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत पहले लॉकडाउन घोषित कर दिया गया था जिस वजह से टोल कलेक्शन काफी कम हुआ।
महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान में भी टोल संग्रहण में भारी कमी दर्ज की गई है। राजस्थान में अन्य राज्यों से आने वाले टूरिस्ट वाहनों पर प्रतिबंध से टोल कलेक्शन में भारी कमी आई है।
कोरोना की पहली लहर के विपरीत, इस बार लॉकडाउन में मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन से जुड़ी कंपनियों को छूट दी गई है जिसे चलते हाईवे पर कमर्शियल वाहनों की आवाजाही बंद नहीं हुई है। एजेंसी के अनुसार कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण वित्तीय वर्ष 2021-22 में टोल रेवेन्यू में कमी दर्ज की जाएगी।