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कार के Seatbelt को रीसायकल कर बनाया जाता है हैंड बैग! जानें इस स्टार्टअप की कहानी
कार के इस्तेमाल नहीं होने की स्थिति में उसे कबाड़ कर दिया जाता है या उन्हें स्क्रैप फैक्ट्री में भेज दिया जाता है। यहां कारों को रीसायकल कर उनसे दोबारा उपयोग में लाने वाली चीजों को निकाला जाता है। दुनिया भर में कारों से रीसायकल किये गए चीजों से बनाए जाने वाले सामान का एक बहुत बड़ा मार्केट है। आज हम आपको बताने वाले है एक ऐसी ही भारतीय स्टार्टअप कंपनी के बारे में जो कारों से रीसायकल की गई चीजों को नया आकर दे रही है।
गुरुग्राम स्थित स्टार्टअप कंपनी 'जैगरी' आज बेकार पड़ी कारों से अपने लिए कीमती चीजों को निकाल कर उन्हें एक नया रूप दे रही है। पुरानी और बेकार कारों के लगभग सभी हिस्से, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री या सेक्टर में फिर से इस्तेमाल कर लिए जाते हैं लेकिन सीट बेल्ट ज्यादातर लैंडफिल में ही पहुंचती है। यह कंपनी इसी सीटबेल्ट का इस्तेमाल एक नए उत्पाद को बनाने के लिए कर रही है। कंपनी पुरानी कबाड़ की गई कारों के सीटबेल्ट को रीसायकल कर खूबसूरत बैग बना रही है।
‘जैगरी बैग्स' इन पुरानी और बेकार कार सीट बेल्ट को ‘अपसायकल' करके अपना बिजनेस आगे बढ़ा रही है। इस कंपनी की शुरुआत गौतम मलिक ने की है। कचरे को अपसायकल करके बिजनेस शुरू करने का विचार उन्हीं का था।
गौतम मलिक ने सस्टेनेबल आर्किटेक्चर की पढ़ाई की है। पढ़ाई के दौरान उनकी रूचि रीसाइकलिंग और इको-फ्रेंडली रॉ मटीरियल के तरफ बढ़ी। पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने रीसाइकलिंग से बनाए जाने वाले अलग-अलग उत्पादों पर रिसर्च शुरू किया और कई उत्पादों का डिजाइन भी तैयार किया। इससे उन्हें इस काम को बिजनेस का रूप देने की प्रेरणा मिली।
वर्ष 2010 में गौतम ने दिल्ली के मायापुरी 'इंडस्ट्रियल वेस्ट जोन' से अपने बिजनेस के लिए सामान जुटाने के कोशिश शुरू की। उन्हें कार की सीटबेल्ट से बैग बनाने का आईडिया आया और यहीं से इसे रीसायकल कर बैग बनाने का काम शुरू किया। वह पुरानी सीट बेल्ट के अलावा कार्गो बेल्ट अपसायकल करके हैंड बैग, लैपटॉप बैग आदि भी बना रहे हैं।
अपने स्टार्टअप के जरिए, वह अब तक 3960 मीटर से ज्यादा बेकार और पुरानी कार सीट बेल्ट तथा 900 मीटर से ज्यादा कार्गो सीट बेल्ट को अपसायकल कर चुके हैं। बैग तैयार करने की प्रक्रिया को भी उन्होंने इस तरह डिजाइन किया है कि कम से कम पानी और ऊर्जा का इस्तेमाल हो और कम से कम कचरा उत्पन्न हो। अपने इस ‘सस्टेनेबल स्टार्टअप' के जरिए, उन्होंने 15 लोगों को रोजगार दिया हुआ है। जिनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं।
पिछले पांच सालों में, जैगरी बैग्स से लगभग नौ हजार ग्राहक जुड़े हैं। जिनमें से लगभग छह हजार ग्राहक ऐसे हैं, जो लगातार उनसे ही बैग खरीद रहे हैं। उनके उत्पाद भारत के अलावा, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, और जापान जैसे देशों में भी जा रहे हैं।