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स्विच मोबिलिटी भारत में उतारेगी 5,000 इलेक्ट्रिक बसें, 7,969 करोड़ रुपये में पूरी हुई डील
अशोक लेलैंड की इलेक्ट्रिक वाहन इकाई स्विच मोबिलिटी ने चलो (Chalo) मोबाइल ऐप के साथ साझेदारी में 5,000 इलेक्ट्रिक बसें डिलीवर करने लिए एक डील फाइनल की है। इलेक्ट्रिक बसों को डिलीवरी करने की यह डील 3 साल में पूरी होगी। ऑनलाइन बस बुकिंग ऐप चलो इन बसों को खरीदने के लिए 1 बिलियन यूएस डॉलर यानी तकरीबन 7,969 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। बसों को बनाने से लेकर इस प्रोजेक्ट की फंडिंग तक जिम्मेदारी स्विच और ओएचएम मोबिलिटी उठाएगी।
इस साझेदारी के तहत स्विच मोबिलिटी इलेक्ट्रिक बसों का निर्माण करेगी, जबकि उसकी सहायक कंपनी ओएचएम मोबिलिटी चलो ऐप के साथ मिलकर बसों का संचालन करेगी। इन बसों को मेट्रो स्टेशन, रेलवे स्टेशन और शहरों में उतारा जाएगा। शुरूआत में स्विच मोबिलिटी अपने इलेक्ट्रिक बस मॉडल स्विच आई ईवी12 (Switch iEV 12) को उतारेगी, जिसके बाद अन्य मॉडलों को भी शामिल किया जाएगा।
कंपनी का दावा है कि उसकी 5000 इलेक्ट्रिक बसें हर साल 2.86 लाख टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने में मदद करेंगी। चलो ऐप ने दावा किया कि भारत में 50 फीसदी यात्री परिवहन के लिए बस का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन फिर भी 10,000 यात्रियों पर केवल तीन बसें ही हैं।
कंपनी ने बताया कि देश में हर दिन लगभग 15 करोड़ यात्री बस का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन भारत में चल रही बसें यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने में पर्याप्त नहीं हैं। चलो ऐप ने अब तक 2,500 बस ऑपरेटरों से साझेदारी में यात्रियों को बस की ऑनलाइन बुकिंग सुविधा प्रदान कर रही है। जुलाई 2022 में चलो ने अपने मोबाइल प्लेटफार्म पर 12 करोड़ से अधिक बस ट्रिप पूरा किया है।
चलो ऐप पर वर्तमान में 15,000 से ज्यादा बस बुकिंग के लिए उपलब्ध हैं। कंपनी अपने ग्राहकों को बस की ऑनलाइन ट्रैकिंग की सुविधा भी देती है और ट्रैकिंग की सुविधा देने वाली नंबर-1 बुकिंग कंपनी होने का दावा भी करती है।
आपको बता दें कि भारत सरकार की एजेंसी सीईएसएल ने सार्वजनिक परिवहन में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए 50,000 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने की तैयारी कर रही है। इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने की इस परियोजना की कुल लागत 80,000 करोड़ रुपये तय की गई है। सार्वजनिक परिवहन को उत्सर्जन मुक्त बनाने एक लिए यह केंद्र सरकार के द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम मन जा रहा है।
आपको बता दें कि भारत में 2070 में शून्य उत्सर्जन को हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए नई-नई नीतियां लागू की जा रही हैं। सीईएसएल बसों की खरीद के लिए जल्द ही एक टेंडर जारी करेगी।
सीईएसएल का कहना है कि इस टेंडर के द्वारा इलेक्ट्रिक बसों की खरीद में स्थानीय निर्माताओं को अहमियत दी जाएगी। इससे भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। जानकारों का मानना है कि देश के बड़े शहरों में अगले 5-6 साल में सभी बसें इलेक्ट्रिक हो जाएंगी। इससे वायु प्रदूषण पर रोक लगाने में मदद मिलेगी और पर्यावरण संरक्षण का काम भी तेजी से हो पाएगा।