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Battery Operated Rail Engine: बैटरी से चलने वाली रेल इंजन हुई शुरू, फुल चार्ज में चलती है 60 किमी
दक्षिण रेलवे ने बिजली और बैटरी से चलने वाले डुअल मोड रेलवे इंजन "पासूमाई" को तैयार किया है। इसकी खास बात यह है कि यह इंजन उन ट्रक पर भी आसानी से चल सकती है जहां बिजली की तारें नहीं लगाई गई हैं। ऐसे ट्रैक पर यह इंजन बैटरी के इंजन से चलेगी। इसके लिए इसके इंजन कम्पार्टमेंट में दो बड़ी बैटरियां लगाई गई हैं जो इसे निरंतर पॉवर की सप्लाई करती रहेंगी।
दक्षिण रेलवे ने इस इंजन को तैयार करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित करने की भी घोषणा की है। बता दें कि कुछ महीनों पहले दक्षिण रेलवे ने एक रेल इंजन को बैटरी से चलने वाले इंजन में परिवर्तित करने का प्रोजेक्ट पास किया था।
इस प्रोजेक्ट के तहत लोको शेड से एक इंजन को चुना गया जिसे अब 23061/WAG5HA इलेक्ट्रिक इंजन में बदल दिया गया है। रेलवे ने काफी कम खर्च में इसे इलेक्ट्रिक इंजन में बदल दिया और कई बार सफल टेस्टिंग करने के बाद इसे स्वीकृति दे दी।
यह इंजन बैटरी पर 3.5-4 घंटे चल सकता है। इसमें 3-स्टेप स्पीड कंट्रोल दिया गया है साथ ही बैटरी को चार्ज करने के लिए दो फास्ट चार्जर भी लगाए गए हैं। यह इंजन एक सामान्य इंजन की तरह ही 24 डब्बों को खींच सकता है जिसका कुल वजन 1080 मेट्रिक टन होता है।
बैटरी मोड में यह इंजन डब्बों के साथ 15 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकता है। रेलवे का कहना है कि यह इंजन उन परिस्थितियों में काफी आ सकता है जहां कोई दुर्घटना घटी हो या किसी कारण रेलवे की बिजली कटनी पड़ी हो।
रेलवे का मानना है कि यह इंजन देश की रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को ईको-फ्रेंडली बनाने के लिए अपनी तरह की पहली पहल है। ऐसे इंजन बिजली की खपत को कम कर रेलवे के खर्च को बचाएंगे ही साथ में पर्यावरण में कार्बन फुटप्रिंट को भी कम करने में मदद करेंगे।