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अशिक्षित लोगों का ड्राइविंग लाइसेंस लिया जाएगा वापस, कोर्ट ने दिया आदेश
भारत में बहुत से ऐसे लोगों है जो लोग अशिक्षित तो है लेकिन उसके बावजूद उनके पास ड्राइविंग लाइसेंस रहता है। हालांकि पहली बार में यह बात गलत नहीं लगती है कि ड्राइविंग के पैमाने पर सही बैठने वालों को लाइसेंस मिलना ही चाहिए।
ड्राइविंग लाइसेंस पाने के लिए आरटीओ पर जाकर ड्राइविंग लाइसेंस के फॉर्म के साथ ड्राइविंग के नमूने पेश करने पड़ते है और उस टेस्ट में खरा उतरने पर ही आपको ड्राइविंग लाइसेंस दिया जाता है लेकिन अब इसको कैंसल करने का पैमाना भी आ गया है।
हाल ही में राजस्थान हाई कोर्ट के जज संजीव प्रकाश शर्मा ने एक अपील में फैसला सुनाते हुए राज्य परिवहन अधिकारियों को अशिक्षित लोगों के लाइसेंस को वापस लेने को कहा है। कोर्ट ने यह फैसला एक व्यक्ति के अपील के दौरान सुनाया है।
कोर्ट ने ऐसे लोगों को "पैदल चलने वालों के लिए खतरा" बताया है। एक व्यक्ति ने कोर्ट में यह याचिका दायर की थी कि उसके पास हलके वाहन चलाने का लाइसेंस है और अब उसे ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने का लाइसेंस चाहिए।
हालांकि केस में मोड़ तब आया जब कोर्ट ने अपना ध्यान इस बात में लगाया कि एक अशिक्षित व्यक्ति को लाइसेंस कैसे जारी किया गया है, जबकि वह पढ़, लिख नहीं सकता है। इस पर कोर्ट ने अपना आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि मोटर व्हीकल नियम सिर्फ उनके लिए नहीं होना चाहिए जो सिर्फ लाइसेंस पाना चाहते है जबकि उनके लिए भी होना चाहिए जो लोगों के लिए भी होना चाहिए जो आम लोग सड़क का इस्तेमाल करते है।
एक अशिक्षित व्यक्ति को किसी भी तरह के वाहन चलाने के लिए लाइसेंस जारी नहीं किया जाना चाहिए क्योकि वह सड़क पर पैदल चलने वालों के लिए एक खतरा है। क्योकि वह किसी प्रकार के रोड संकेत व सुरक्षा के लिए लिखे गए सावधानियों को नहीं पढ़ सकता है।
इस आदेश के बाद अपील करने वाले व्यक्ति सहित उन लोगों के वापस लिया जाएगा जो अशिक्षित है और पढ़ लिखा नहीं सकते है। कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को इस नियम को पालन करने का निर्देश दिया है।
अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि एक माह के भीतर किये गए कार्यवाही की रिपोर्ट बनायीं जाएं। इस केस की अगली सुनवाई अब आगामी 5 जुलाई को की जायेग। लेकिन तब तक यह आदेश लागू रहेगा।