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Delhi: अगर वाहन का ये कागज नहीं है तो दिल्ली में नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल
अगर आप दिल्ली के रहने वाले हैं और आपके पास अपने वाहन का वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (पीयूसी) नहीं है तो आपको पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। दिल्ली सरकार बहुत जल्द इस संबंध में एक नया नियम लागू करने वाली है। इसके लिए दिल्ली सरकार ने हाल ही में एक ड्राफ्ट नोटफिकेशन जारी किया है और लोगों से सुझाव और आपत्तियों को आमंत्रित किया है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इससे दिल्ली में वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। दिल्ली सरकार ने एक सूचना में बताया है कि राष्ट्रीय राजधानी के सभी पेट्रोल पंप पर ईंधन लेने के लिए पीयूसी अनिवार्य किया जाएगा। अगर पीयूसी अमान्य पाया जाता है तो उसे पुनः जारी करवाने की सुविधा फ्यूल पंप पर होगी।
मंत्री ने बताया कि दिल्ली सहित उत्तर भारत सर्दियों में गंभीर वायु प्रदूषण का सामना करता है। इस नीति के लागू होने से, वाहनों से होने वाले उत्सर्जन की समय पर जांच हो सकेगी जिससे प्रदूषण को नियंत्रण में रखा जा सकेगा। इसके अलावा, सरकार नीति को प्रभावी ढंग से लागू करने और वाहन या पेट्रोल पंप मालिकों को कोई असुविधा न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए कई प्रौद्योगिकी-आधारित उपायों को शुरू करने की भी योजना बना रही है।
दिल्ली सरकार ने हाल में फ्लीट ऑपरेटर्स के लिए मोटर व्हीकल एग्रिगेटर स्कीम, 2021 की घोषणा की है। इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य दिल्ली में डिलीवरी या कैब सर्विस फ्लीट में चलने वाले पारंपरिक वाहनों के जगह इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देना है।
दिल्ली सरकार की एक सूचना के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मार्च 2023 तक सभी कैब एग्रीगेटर कंपनियों को अपने दो-पहिया वाहनों के बेड़े में 50 फीसदी और चार-पहिया वाहनों के बेड़े में 25 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाना अनिवार्य होगा।
बता दें कि दिल्ली परिवहन विभाग ने प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए पिछले साल दिल्ली में 1 लाख से ज्यादा पुराने वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया। राज्य में 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों का पंजीकरण रद्द किया जा रहा है।
राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने 2016 में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। वर्तमान में दिल्ली में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को एनओसी नहीं दिया जा रहा है लेकिन सरकार उन्हें अन्य राज्यों में चलाने के लिए एनओसी दे रही है जहां ऐसे वाहन प्रतिबंधित नहीं है।
दिल्ली सरकार पेट्रोल-डीजल पर चलने वाले पुराने वाहनों में इलेक्ट्रिक किट लगवाने की भी मंजूरी दे रही है। पेट्रोल और डीजल वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक किट के रेट्रोफिटमेंट की अनुमति से राष्ट्रीय राजधानी में इलेक्ट्रिक और शून्य-उत्सर्जन वाहनों को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी। दिल्ली परिवहन विभाग उन निर्माताओं को सूचीबद्ध कर रहा है जो पारंपरिक आईसीई (ICE) वाहनों को इलेक्ट्रिक व्हीकल में बदलने के लिए इलेक्ट्रिक किट बनाते हैं।
दिल्ली-राज्यक्षेत्र में गंभीर वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण वाहनों से होने वाला उत्सर्जन है। इसमें डीजल से चलने वाले कमर्शियल वाहनों की अहम भूमिका है। डीजल वाहन को इलेक्ट्रिक में बदलने के बाद वाहन मालिक दिल्ली सरकार की इलेक्ट्रिक वाहन नीति के तहत मिलने वाली सब्सिडी और छूट का लाभ उठा सकते हैं।
दिल्ली सरकार ने 1,000 इलेक्ट्रिक बसों को खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए केंद्र सरकार ने अगस्त 2020 में सब्सिडी की मंजूरी दी थी। इस एग्रीमेंट के तहत दिल्ली में 550 इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का परमिट दे दिया गया है और अन्य बसों को अगले कुछ महीनों में शुरू किया जाएगा।