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अब चेकिंग के दौरान वाहन चालकों पर ट्रैफिक पुलिस नहीं चला सकती लाठी
ट्रैफिक नियमों में सुधार की पहल करते हुए केरल हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर 2019 से दोपहिया वाहन सवारों और पिलियन सवारों के लिए हेलमेट अनिवार्य कर दिया गया है वहीं अब केरल हाईकोर्ट पुलिस द्वारा वाहनों को रोकने, पीछा करने अथवा उनपर लाठी चलाने संबंधी कानून भी लागू कर रही है।
केरल हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों और मोटर वाहन निरीक्षकों को उन वाहन चालकों को जबरदस्ती रोकने, उनपर लाठी चलाने या उनका पीछा करने से मना कर दिया है जो ट्रैफिक नियम को तोड़ कर भाग रहे होते हैं।
ऐसे वाहन जो चेकिंग के दौरान नहीं रुकते हैं, पुलिस उन वाहनों के रास्ते में आकर, उनका पीछा करके या उन पर लाठी-डंडे चलाकर उन्हें शारीरिक रूप से रोकने का प्रयास करती है।
दरअसल पुलिस के इस हरकत से कई दुर्घटनाएं हुई हैं और कई वाहन चालकों की जान चली गई है। अदालत ने कहा है कि इस तरह वाहन को रोकने के बजाए आधुनिक तकनीक की सहायता लेनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि ट्रैफिक पुलिस ऐसा कर के न सिर्फ अपनी बल्कि वाहन चालक और सड़क पर चल रहे अन्य लोगों की जान को भी खतरे में डालते हैं। उदहारण के तौर पर नीचे इस वीडियो में देखें कैसे ट्रैफिक पुलिस ने एक बाइकर को रोकने की कोशिश की और वे घायल हो गए।
कोर्ट ने कहा कि मोटर व्हीकल (ड्राइविंग) रेगुलेशन 2017 में यह साफ़ लिखा है कि ट्रैफिक अपराधियों को राज्य सरकार द्वारा नियुक्त ट्रैफिक पुलिस या किसी अन्य अधिकृत अधिकारी द्वारा सही तरीके से जांच के लिए कैसे रोकना चाहिए।
कोर्ट ने बताया कि अपराधियों का पता लगाने के लिए डिजिटल सिग्नलिंग डिवाइस जैसे डिजिटल वीडियो कैमरा, सर्विलांस कैमरा, मोबाइल फोन के कैमरे का इस्तेमाल किया जा सकता है। इनसे वीडियोग्राफी कर वाहन के मालिक और रजिस्ट्रेशन से संबंधित जानकारी निकली जा सकती है।
कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए की अपराधियों के वाहन के सामने कूदकर या खड़े होकर या उनका पीछा कर के किसी भी तरह की शारीरिक बाधा नहीं खड़ी की जानी चाहिए। इससे न सिर्फ चालक बल्कि पुलिस की जान को भी खतरा हो सकता है।
यह फैसला अदालत ने मलप्पुरम, केरल के एक 18 वर्षीय याचिकाकर्ता को जमानत देने के मद्देनजर किया था। बिना हेलमेट के बाइक चला रहे आरोपी और उसका दोस्त पुलिस द्वारा रोके जाने पर बचने की कोशिश में विपरीत दिशा से आ रही एक कार को टक्कर मार दी और दोनों घायल हो गए।
बाइक सवार का कहना था कि अगर पुलिस बाइक के सामने नहीं आती और बाइक का हैंडल बार नहीं पकड़ती तो दुर्घटना टल सकती थी।
ड्राइवस्पार्क के विचार
ट्रैफिक पुलिस अपराधियों को रोकने के लिए वाहनों के बीच में आ जाते हैं या उनपर लाठी-डंडे चलाकर उन्हें घायल कर देते हैं। जिससे दुर्घटनाएं हो जाती हैं। हालांकि, ट्रैफिक पुलिस अगर चाहे तो तकनीक की मदद से अपराधियों तक पहुंच सकती है। केरल हाईकोर्ट का यह फैसला ट्रैफिक पुलिस और वाहन चालकों की जान बचा सकता है।