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केंद्र सरकार ने ऑटो सेक्टर को दी सौगात, 26,000 करोड़ रुपये की PLI स्कीम को मिली मंजूरी
सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइड्रोजन ईंधन वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए ऑटो क्षेत्र के लिए लगभग 26,000 करोड़ रुपये की नई उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को आज मंजूरी दे दी। सरकार के अनुमान के मुताबिक पीएलआई योजना ऑटो सेक्टर के लिए 7.5 लाख नौकरियां पैदा करेगी।
स्वच्छ ईंधन वाहनों को बढ़ावा दे रही है सरकार
बता दें कि पिछले साल केंद्र सरकार ने ऑटोमोबाइल और कल-पुर्जा क्षेत्र के लिए 57,043 करोड़ रुपये की पीएलआई स्कीम की घोषणा की थी। हालांकि, सरकार ने हाइड्रोजन ईंधन वाले वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए इस क्षेत्र के लिए योजना को घटाकर 25,938 करोड़ रुपये कर दिया है। यह योजना 5 साल के लिए लागू की गई है।
ऑटो उद्योग को होगा फायदा
इस योजना के तहत ऑटो उद्योग में ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन असेंबली, इलेक्ट्रॉनिक पॉवर स्टीयरिंग सिस्टम, सेंसर, सुपर कैपिसिटर, सनरूफ, अडाप्टिव फ्रंट लाइटिंग, ऑटोमैटिक ब्रेकिंग, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम और काॅलिजन वार्निंग सिस्टम बनाने वाली कंपनियों को फायदा पहुंच सकता है।
इससे पहले, ऑटो उद्योग निकाय सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मनुफक्चरर्स (SIAM) ने कहा था कि इस योजना के लागू होने के बाद उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिससे भारतीय वाहन उद्योग तरक्की के अगले चरण में पहुंच जाएगा।
क्या है PLI स्कीम
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम यानी पीएलआई स्कीम का मुख्य उद्देश्य घरेलू निर्माण को बढ़ावा देना और आयात में कटौती करना है। इस योजना से मिलने वाले लाभ के जरिये ऑटोमोबाइल कॉम्पोनेन्ट बनाने वाली कंपनियां अपनी लागत को काबू में रख सकती हैं।
केंद्र सरकार विभिन्न कंपनियों को पीएलआई स्कीम के जरिये देश में निवेश और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन देगी। इसके लिए केंद्रीय बजट 2020-21 में सरकार ने 13 उद्योग क्षेत्रों के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपये की पीएलआई योजना की घोषणा की थी जिसमें ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए लगभग 57 हजार करोड़ रुपये की घोषणा की गई थी।
चीन पर निर्भरता कम करेगी सरकार
ऑटो उद्योग में विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक और सेमीकंडक्टर कंपोनेंट के लिए पर चीन पर आयात निर्भरता को कम करने का प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री पूरी तरह घरेलू बाजार पर निर्भर नहीं है। भारत में बनाने वाली गाड़ियों के कई उपकरण चीन से मंगाए जाते हैं। ऐसे में भारत को इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनाने के लिए चीन पर निर्भरता कम करनी होगी।
केंद्रीय एडवाइजरी एजेंसी नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत का कहना है कि अगले दो साल के दौरान बैटरियों के दाम नीचे आएंगे जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत कम होगी। इसके लिए जरूरी है कि हम आयत पर निर्भरता को कम करते हुए देश में इनोवेशन, एफिशिएंसी और निवेश को प्रोत्साहन देने के उपाय करें।