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क्या आप जानते हैं इंजन खराब होने के बाद भी उड़ सकते हैं एयरोप्लेन, जानिए कैसे
किसी एयरोप्लेन को उड़ाने में उसके इंजन का एक बहुत अहम किरदार होता है। बिना इंजन के कोई भी प्लेन उड़ान नहीं भर सकता है, लेकिन क्या होगा जब उड़ान के दौरान प्लेन का इंजन खराब हो जाए।
जीहां ये सुनने में ही बहुत डरवना और भयावह लगता है, कि उड़ान के दौरान एयरोप्लेन का इंजन खराब हो जाए। आपको लोगों को यही लगता होगा इंजन खराब होने पर प्लेन क्रैश हो जाएगा।
लेकिन आपको बता दें कि ऐसा नहीं है, क्योंकि अगर उड़ान के दौरान प्लेन का इंजन खराब होता है तो भी प्लेन उड़ सकता है। लेकिन ऐसी स्थिति में एयरोप्लेन के पायलट सुरक्षा के मद्देनजर सबसे करीबी एयरपोर्ट पर प्लेन को लैंड करा देते है।
पहले आपको बताते हैं कि एयरोप्लेन का इंजन काम कैसे करता है। असल में एयरोप्लेन का इंजन और कार के इंजन की कार्यशैली लगभग एक जैसी होती है, अंतर यह है कि कार के इंजन में हवा और ईंधन का दहन इंजन के अंदर होता है और वह मोटर और पिस्टन को चलाता है।
वहीं एयरोप्लेन के इंजन में हवा आगे की तरफ से इंजन के अंदर जाती है और अंदर ईंधन के साथ मिलती है और दहन होता है। इस दहन का सारा दबाव इंजन के पिछले हिस्से से बाहर निकलता है और एयरोप्लेन को आगे बढ़ाता है।
अब बताते है कि हवा में एयरोप्लेन के इंजन में खराबी कैसे जा सकती है। दरअसल एयरोप्लेन का इंजन अगले हिस्से से हवा को अंदर खींचता है, जिसके चलते अगर कोई ठोस चीज उसके अंदर चली जाती है तो उसमें खराबी आ सकती है।
इसके अलावा तूफान और तेज बारिश के चलते भी यह खराब हो सकता, उड़ते पंछियों से भी इसे खतरा रहता है। इसके अलावा ज्वालामुखी की राख से भी यह खराब हो सकता है।
लेकिन सवाल ये है कि अगर एयरोप्लेन का इंजन खराब हो जाता है तो प्लेन उड़ता कैसे है। तो यहां पर हम आपको आसमान में उड़ते हुए चील और गिद्ध का उदारण देकर समझा सकते है।
आपने देखा होगा कि ऊंचाई पर उड़ते हुए चील और गिद्ध अपने पंख नहीं चलाते है, बल्कि वे अपने पंखों को स्थिर रखते है और हवा में तैरते रहते है। ठीक उसी तरह एयरोप्लेन के साथ भी ऐसा ही होता है।
दरअसल ऐसी स्थिति को उड़ना नहीं बल्कि ग्लाइड (हवा में फिसलना) करना कहते है। अगर किसी प्लेन का एक इंजन या दोनों इंजन खराब हो जाते हैं, तो पायलट प्लेन के पंखों की मदद से ग्लाइड कराकर सुरक्षित उतार सकते है।