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दिल्ली में बिना वैध पीयूसी सर्टिफिकेट के चला रहे हैं गाड़ी, तो अब भरना होगा 10,000 रुपये का चालान
अगर आप दिल्ली में रहते हैं और आपकी गाड़ी का वैध पीयूसी सर्टिफिकेट नहीं है तो अब आपको भारी भरकम चालान भरना पड़ सकता है। दिल्ली परिवहन विभाग जल्द ही बिना वैध पीयूसी (पाॅल्यूशन कंट्रोल सर्टिफिकेट) वाले वाहनों को ई-चालान भेजने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। दिल्ली परिवहन विभाग ने जुलाई के अंतिम महीने में बिना वैध पीयूसी वाले वाहन चालकों को नोटिस भेजना शुरू किया था। ऐसे वाहनों को पीयूसी बनवाने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था।
जानकारी के मुताबिक, ऐसे 2,000 वाहनों को नोटिस के जरिये सूचित किया गया है। दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग के अनुसार नोटिस के बाद भी पीयूसी नहीं बनवाने वाले लोगों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाने की तैयारी की जा रही है।
पुराने वाहनों को जहां हर दो से तीन महीने में पीयूसी कराने की जरूरत होती है, वहीं नए बीएस-4 वाहनों को साल में एक बार ही पीयूसी कराना जरूरी है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, हर दिन 10 से 15 हजार वाहनों का पीयूसी कराया जाता है। हालांकि, दिल्ली में बगैर वैध पीयूसी वाले वाहनों की संख्या 15 लाख से भी अधिक है और इनमें से अधिकांश दोपहिया वाहन हैं।
विभाग के अनुसार, जुलाई के अंतिम सप्ताह में वाहन चालकों को एसएमएस के जरिये पीयूसी रिन्यूअल के लिए सूचित किया गया था। ऐसे वाहन जिनका लंबे समय से पीयूसी नहीं है उन्हें पहले नोटिस भेजा गया है, जबकि ऐसे वाहन जिनका पीयूसी एक्सपायर होने के कगार पर है उन्हें बाद में नोटिस भेजा जाएगा।
दिल्ली परिवहन विभाग का कहना है कि नोटिस इसलिए भेजा जा रहा है ताकि बगैर पीयूसी सर्टिफिकेट वाले वाहनों को सड़क पर दिखते ही जब्त किया जा सके। मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, पीयूसी सर्टिफिकेट समाप्त होने के बाद वाहन को सड़क पर नहीं चलाया जा सकता। अगर परिवहन विभाग पहले ही नोटिस के जरिये पीयूसी के लिए सूचित करती है और सात दिनों के अंदर इसका जवाब नहीं आता है तो विभाग नियम के अनुसार वाहन मालिक पर जुर्माना लगा सकता है।
परिवहन विभाग ई-नोटिस और एसएमएस के जरिये चालान की जानकारी दे रहा है, जिसे चालान मोबाइल एप्लीकेशन के जरिये भेजा जाता है। इस एप्लीकेशन को नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर ने तैयार किया है। अगर वाहन मालिक वैध पीयूसी नहीं बनवाता है तो ऐसे में 10,000 रुपये का जुर्माना या तीन महीने की जेल हो सकती है। ऐसे वाहन चालकों का ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान है।
राष्ट्रीय राजधानी में बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। वर्तमान में दिल्ली में 10 साल से ज्यादा पुराने डीजल और 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों को एनओसी नहीं दिया जा रहा है लेकिन सरकार इन्हें अन्य राज्यों में चलाने के लिए एनओसी दे रही है जहां ऐसे वाहन प्रतिबंधित नहीं है।
दिल्ली सरकार पेट्रोल-डीजल पर चलने वाले पुराने वाहनों में इलेक्ट्रिक किट लगवाने की भी मंजूरी दे रही है। पेट्रोल और डीजल वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक किट के रेट्रोफिटमेंट की अनुमति से राष्ट्रीय राजधानी में इलेक्ट्रिक और शून्य-उत्सर्जन वाहनों को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।