Just In
- 42 min ago
भारत में पहले बिक्री की अनुमति नहीं, तो नहीं लगेगा प्लांट, टेस्ला कार का इंजतार कर रहे लोग हुए निराश
- 1 hr ago
मारुति की किफायती ईको एमपीवी होगी बंद, इस साल दिवाली में लाॅन्च हो सकता है नया माॅडल
- 4 hrs ago
मारुति सुजुकी की ये शानदार कार हो गई बंद, कम बिक्री के वजह से हो रहा था नुकसान
- 5 hrs ago
इस राज्य में नहीं लगेगा इलेक्ट्रिक वाहनों पर रजिस्ट्रेशन शुल्क, सीएनजी वाहनों पर भी मिली छूट
Don't Miss!
- News
'रेड वुल्फ' ने पब को दिया जन्म, पहली बार पैरेंट बने 'ब्रेबो और डिएगो' के साथ चिड़ियाघर में जश्न
- Movies
कंगना रनौत की धाकड़ बड़ी फ्लॅाप, देश में सिर्फ 20 टिकट बिकी, ओटीटी पर खरीदार नहीं !
- Finance
Health Insurance : 20-22 साल की आयु में लेना है बहुत फायदेमंद, जानिए क्यों
- Technology
PM Modi ने दिल्ली के प्रगति मैदान में किया Drone Mahotsav 2022 का उद्घाटन
- Lifestyle
शरीर को बीमारी से बचाने वाले ग्लूटाथियोन के बारे में कितना जानते हैं आप?
- Education
UP Board Result 2022 Latest Updates यूपी बोर्ड 10वीं 12वीं रिजल्ट 2022 आज घोषित नहीं होगा
- Travel
काफी ऐतिहासिक व धार्मिक है उत्तर प्रदेश, यहां नहीं घूमे तो क्या घूमे
- Sports
जोकोविच ने कोरोना को लिया हल्के में, अब सामने आया राफेल नडाल का बयान
ऊटी की यह टॉय ट्रेन है ऐतिहासिक धरोहर, क्या आप जानते हैं कब हुई थी इसकी शुरुआत
ऊटी की मनमोहक पहाड़ियों को यात्रा के प्रति उत्साही लोगों द्वारा हमेशा से ही संजोया गया है। ऐसा कोई व्यक्ति जिसे घूमना पसंद हो और वो कभी किसी सुंदर हिल स्टेशन पर नहीं गया हो। इन्हीं में से एक खूबसूरत पहाड़ी के बीच से एक उत्तम दर्जे की टॉय ट्रेन की सवारी करना आपकी यात्रा का और बेहतर बना देता है।

हालांकि हिल स्टेशन में कई दर्शनीय स्थल हैं, लेकिन ज्यादातर पर्यटकों ने इस बात की पुष्टि की है कि ऊटी की टॉय ट्रेन में यात्रा करने के उत्साह के आगे किसी अन्य जगह का उत्साह फीका पड़ जाता है। हरियाली और पहाड़ियों से गुजरते हुए और ठंडी हवा में सांस लेते हुए देखना, यह एक सपने की तरह की लगता है।

Image Courtesy: Arup Chowdhury
ऐसा इसलिए क्योंकि छोटी नीली ट्रेन पश्चिमी घाट से होकर गुजरती है। आपको बता दें कि यात्रा के प्रति उत्साही लोगों के उत्साह के लिए, ऊटी में टॉय ट्रेन सेवा को दो महीने के अंतराल के बाद पिछले महीने के अंत में फिर से शुरू किया गया था। ऊटी की टॉय ट्रेन सेवा एक एतिहासिक ट्रेन है।

नीलगिरि माउंटेन रेलवे, जो ऊटी के लिए ट्रेन सेवाओं का संचालन करती है, भारत के सबसे पुराने पर्वतीय रेलवे में से एक है। अंग्रेजों ने इस रेलवे का निर्माण साल 1854 में शुरू किया था। बाद में जुलाई 2005 में, नीलगिरि माउंटेन रेलवे को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित कर दिया गया।

दार्जिलिंग में हिमालयी रेलवे भी विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। आपको बता दें कि 46 किमी की ट्रेन यात्रा मेट्टुपालयम से शुरू होती है, जो समुद्र तल से 330 मीटर ऊपर है और यह यात्रा ऊटी तक होती है, जो समुद्र तल से 2200 मीटर ऊपर स्थित है।

नीलगिरी जिले की राजधानी ऊटी को उदगमंडलम के नाम से भी जाना जाता है। यह पहाड़ी शहर लंबे समय से भारत में सबसे लोकप्रिय हनीमून स्थलों में से एक रहा है। इसलिए यहां की टॉय ट्रेन में कभी भी सीट खाली नहीं होती है। यह ट्रेन एक घंटे में सिर्फ 10.4 किमी की औसत गति से चलती है।

इसलिए इस टॉय ट्रेन को भारत की सबसे धीमी ट्रेन माना जाता है। 46 किमी की दूरी तय करने के लिए ट्रेन की यात्रा 4.5 घंटे तक चलती है। अपनी इस यात्रा के दौरान यह टॉय ट्रेन 16 सुरंगों, 250 पुलों और 208 मोड़ों से होकर गुजरती है। नीलगिरि रेलवे दक्षिण भारत का एकमात्र पर्वतीय रेलवे है जो प्रतिदिन सेवाएं प्रदान करता है।

इस रूट पर रोजाना एक जोड़ी ट्रेनें चलती हैं। यह ट्रेन मेट्टुपालयम से सुबह 7.10 बजे निकलती है और दोपहर 12 बजे ऊटी पहुंचती है। इसके बाद यह ट्रेन ऊटी से दोपहर 2 बजे प्रस्थान करती है और शाम 5.35 बजे मेट्टुपालयम पहुंचती है। इसके रास्ते में कुन्नूर, वेलिंगटन, अरवंकाडु, केटी और लवडेल मेट्टुपालयम जैसे स्टेशन पड़ते हैं।
Image Courtesy: Southern Railway