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देश में 22 लाख ट्रक चालकों की है कमी, 80 ड्राइवर प्रशिक्षण केंद्रों को अनुमति देगी सरकार- नितिन गडकरी
भारत में प्रशिक्षित ट्रक चालकों की भारी कमी है और भारतीय ट्रक चालकों के काम करने का वातावरण यूरोप और अमेरिकी ट्रक चालकों के मुकाबले ज्यादा चुनौतीपूर्ण है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने फिनिक्स ट्रक ड्राइविंग सेंटर, लातूर में एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए भारतीय ट्रक चालकों के काम करने की कठिन परिस्थियों पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे भारतीय ड्राइवरों को, यूरोपीय देशों के विपरीत, विभिन्न बाधाओं का सामना करते हुए काम करना पड़ता है। यूरोपीय देशों में ड्राइवर आठ घंटे से ज्यादा काम नहीं करते, जबकि भारत में वे 12 से 16 घंटे तह काम करते हैं। भारत में ट्रक चालकों को 48 डिग्री सेल्सियस के उच्च तापमान पर भी ड्राइव करना पड़ता है। वहीं देश में बेचे जाने वाले अधिकतर ट्रकों में वातानुकूलित केबिन नहीं होते हैं।
गडकरी ने कहा कि देश का ट्रांसपोर्ट सेक्टर ट्रक चालकों की कमी से जूझ रहा है। वर्तमान में देश में 22 लाख प्रशिक्षित ट्रक चालकों की कमी है और इस कमी को दूर करने के लिए आने वाले कुछ सालों में 80 ड्राइविंग सेंटर खोलने की योजना है।
गडकरी ने सड़क दुर्घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत में हर साल डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं जिनमें से ज्यादातर पीड़ित 18-25 साल की उम्र के होते हैं।
नितिन गडकरी ने पहले भी कई बार सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है। उन्होंने अगले पांच वर्षों में तालुका स्तर पर 80 ड्राइवर प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है।
उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं की संख्या में कमी लाने पर सरकार को अधिक काम करने की आवश्यकता है। देश में ब्लैक स्पॉट (दुर्घटना संभावित क्षेत्र) की मरम्मत के लिए मंत्रालय ने एशियाई विकास बैंक और विश्व बैंक के माध्यम से 15,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं।
उन्होंने बताया कि सरकार का समग्र उद्देश्य 2025 तक देश भर में सड़क दुर्घटनाओं को 50 प्रतिशत तक कम करना है। ड्राइवरों के लिए प्रशिक्षण संस्थानों के अलावा, दुर्घटनाओं और मृत्यु दर को कम करने के लिए जागरूकता कार्यक्रमों और सुरक्षित वाहनों की आवश्यकता है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) देश की सड़कों पर शून्य सड़क दुर्घटना के दृष्टिकोण को साकार करने का काम कर रही है। मंत्रालय ने देश के सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले 14 राज्यों को चिन्हित किया है जहां सड़क सुरक्षा बढ़ाने के लिए 7,270 करोड़ रुपये की योजना शुरू की जाएगी। इन चौदह राज्यों से देश भर के कुल सड़क दुर्घटनाओं के 85 प्रतिशत मामले सामने आते हैं।
सड़क सुरक्षा कार्यक्रम के लिए लक्षित राज्यों में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, बिहार, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, हरियाणा और असम शामिल हैं। यह योजना राज्य सरकारों को सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से जमीनी स्तर पर सड़क सुरक्षा में सुधार लाने में मदद करेगी।
आपको बता दें कि, भारत में वर्ष 2019 में 4.49 लाख सड़क दुर्घटनाओं में लगभग 1.51 लाख लोगों की मौत हुई। कुल मौतों में से 1,27,379 मौतें 14 लक्षित राज्यों से थे। पिछले पांच वर्षों में मरने वालों की संख्या स्थिर बनी हुई है। पिछले साल, देश भर में 1.32 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुईं क्योंकि कोविड-19 लॉकडाउन के कारण संख्या में गिरावट आई थी।