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Delhi-Meerut Expressway पर सुविधाओं में कमी देख नाराज हुए नितिन गडकरी, कह डाली ये बात
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में शुरू किये गए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर यात्रियों के लिए उपलब्ध सुविधाओं पर नाराजगी जताई है। गडकरी ने ठेकेदारों पर खराब क्वालिटी का निर्माण करने का आरोप लगाया है। गडकरी विशेष रूप से हाईवे के किनारे बनाए गए शौचालयों की खराब गुणवत्ता से नाराज हैं। आपको बता दें कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे को आम जनता के लिए 1 अप्रैल को खोला गया था।
गडकरी ने बताया कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के किनारे एक खराब शौचालय की तस्वीर उन्होंने देखी है। गडकरी ने बताया कि टॉयलेट का कंस्ट्रक्शन इतना खराब है कि इसे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि वे कांट्रेक्टर का नाम नहीं लेना चाहते हैं लेकिन उसपर निश्चित कार्रवाई की जाएगी।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 82 किलोमीटर है जिसमे 60 किलोमीटर एक्सप्रेसवे और 22 किलोमीटर नेशनल हाईवे है। इस परियोजना को 8,346 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है। एक्सप्रेसवे पर वाहनों के आवागमन की सुविधा के लिए एम्बुलेंस, क्रेन, पेट्रोल पंप, रेस्तरां, वाहनों की दुकानों के रखरखाव जैसी सुविधाएं विकसित की गई हैं।
गडकरी ने कहा कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के लिए बहुत से लोग उन्हें धन्यवाद दे रहे हैं लेकिन लोगों को खराब गुणवत्ता के निर्माण से भी शिकायत है। उन्होंने खेद व्यक्त किया कि दिल्ली-मेरठ राजमार्ग पर कंपनियां पर्याप्त सुविधाओं का निर्माण करने में विफल रहे हैं और इससे लोगों को परेशानी हो रही है।
बता दें कि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे से अब दिल्ली और मेरठ के बीच यात्रा 2.5 घंटे से कम होकर सिर्फ 45 मिनट हो गई है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2018 में रखी थी जिसके तीन वर्ष के भीतर इस एक्सप्रेसवे का काम पूरा कर लिया गया।
इस एक्सप्रेसवे पर कुल 24 छोटे और बड़े पुल है। इसके अलावा इस एक्सप्रेसवे पर 10 फ्लाईओवर, 3 रेलवे ब्रिज, 95 अंडरपास और पैदल यात्रियों के लिए दर्जनों ओवरब्रिज भी बनाये गए हैं।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे का निर्माण चार अलग-अलग चरणों में किया गया है। यह निजामुद्दीन ब्रिज से शुरू होकर यूपी बॉर्डर तक जाता है, जबकि दूसरा चरण यूपी बॉर्डर और डासना के बीच है, तीसरा चरण डासना और हापुड़ के बीच है और अंतिम चरण हापुड़ और मेरठ को जोड़ता है।
एक्सप्रेसवे पर विभिन्न हिस्सों में वाहनों की अधिकतम गति सीमा 80 किमी से 100 किमी प्रति घंटे के बीच होगी। प्रत्येक वाहन की गति दिखाने के लिए प्रत्येक 10 किलोमीटर पर डिस्प्ले स्क्रीन लगाई गई है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए पूरे एक्सप्रेसवे पर 4,500 से अधिक लाइट और कैमरे लगाए गए हैं।
एक्सप्रेसवे में साइकिल और पैदल यात्रियों के लिए भी अलग से ट्रैक का निर्माण किया गया है। एक्सप्रेसवे के फेज 1 और फेज 2 की सड़कों के साथ 2.5 मीटर साइकल कॉरिडोर और 2 मीटर चौड़ा फुटपाथ है।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे में पहला स्वचालित नंबर प्लेट रीडर (ANPR) के साथ फास्टैग (FASTag) आधारित मल्टी लेन फ्री फ्लो टोलिंग सिस्टम लगाया गया है। यह हाईवे पर हाई स्पीड ट्रैफिक के प्रवाह को सुनिश्चित करेगा। फास्टैग टोल सिस्टम के चलते टोल प्लाजा पर वाहनों को रूक कर टोल भुगतान की जरूरत नहीं होगी। आपातकालीन समय पर सहायता के लिए पूरे एक्सप्रेसवे में निरंतर अंतराल पर विशेष आपातकालीन कॉल बॉक्स (ईसीबी) लगाया गया है।