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NHAI करेगी एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम का इस्तेमाल, पुख्ता की जाएगी सड़कों की सुरक्षा
केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजमार्गों पर एडवांस ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (एटीएमसी) की मदद से देश की सड़क सुरक्षा को मजबूत करेगी। यह तकनीक ओवर स्पीड वाहनों पर ब्रेक लगाएगी और हादसों से राजमार्गों पर लगने वाले जाम का पता लगाएगी। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के सदस्य परियोजना आरके पांडेय ने रोड सेफ्टी मैनेजमेंट एंड एक्शन प्लान विषयक वेबिनार में ये बातें कही।
इंटरनेशनल रोड फेडरेशन (आईआरएफ) की ओर से आयोजित इस समारोह में कहा गया कि सरकार ने सभी नए राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं में एटीएमसी लगाने का फैसला किया है। राजमार्गों पर एडवांस तकनीक के सीसीटीवी कैमरे लगेंगे। प्रत्येक सेक्शन पर एक कंट्रोल रूम होंगे। जिससे सेक्शन पर यातायात की निगरानी हो सकेगी।
एटीएमसी में स्पीड पता लगाने की तकनीक होगी। मौसम की जानकारी मोबाइल रेडियो कम्यूनिकेशन के माध्यम से सड़क यात्रियों को दी जा सकेगी। इसके अलावा ऑटोमैटिक क्लासिक कम काउंटर सिस्टम की मदद से प्रत्येक वाहनों के विवरण डाटा बेस होगा। सड़क हादसे अथवा किसी मुसीबत में सड़क यात्रियों की त्वरित मदद की जा सकेगी।
ब्लैक स्पॉट हटाने का काम जोरों पर
समारोह में बताया गया कि सड़क सुरक्षा मजबूत करने की कड़ी में सभी राजमार्ग परियोजनाओं में फ्लाईओवर, अंडरपास, फुटओवर ब्रिज का प्रावधान किया जा रहा है। राजमार्गों का रोड सेफ्टी ऑडिट कराया जा रहा है। इसके तहत राजमार्गों के ब्लैक स्पॉट हटाए जा रहे हैं। वर्तमान में 4,500 ब्लैक स्पॉट की पहचान हो चुकी है। इसमें एक हजार को ठीक करने का काम चल रहा है और पूर्व में 2500 ब्लैक स्पॉट को ठीक किया जा चुका है।
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सड़क हादसे से सबसे ज्यादा मौतें भारत में
इंटरनेशनल रोड फेडरेशन, जिनेवा के अध्यक्ष केके कपिला ने कहा कि विश्व में सड़क हादसों में होने वाली मौतों में से 10 फीसदी अकेले भारत में होती हैं, जो कि विश्व में सर्वाधिक है। देश के दूसरे राज्यों में तमिलनाडु मॉडल को लागू करना चाहिए। राज्य सरकार ने सड़क हादसे और मौतों पर अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त की है।
राष्ट्रीय राजमार्गों का चल रहा है ऑडिट
देश में पिछले साल नवंबर से राष्ट्रीय राजमार्गों का ऑडिट चल रहा है। इसके तहत स्वतंत्र सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों की टीम पूरी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना का ऑडिट करेंगे। इससे राजमार्गों के सड़क सुरक्षा त्रुटियों का पता लगाया जा सकेगा। इसके पश्चात ऑडिट रिपोर्ट में विशेषज्ञों के सुझाव-उपायों को निर्माण कंपनियों को लागू करना होगा। इस पहल का मकसद सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना और निर्दोषों की जान बचना है।
इसमें प्रथम चरण में राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना के प्रारंभिक डिजाइन का ऑडिट किया जाएगा। इसके पश्चात राजमार्ग का पूर्ण डिजाइन तैयार होने पर और राजमार्ग के निर्माण के दौरान ऑडिट करना शामिल है। चौथे चरण में नए राजमार्ग पर यातायात शुरू करने से पहले अथवा मौजूदा राजमार्ग के चौड़ीकरण के पश्चात ऑडिट किया जाएगा। इसकी अवधि 12 माह से 36 माह तक हो सकती है यह राजमार्ग परियोजना पर निर्भर करेगा।