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मध्य प्रदेश सरकार लाने जा रही सार्वजनिक वाहनों के लिए ई-वाहन पॉलिसी
मध्य प्रदेश सरकार की योजना जल्द ही प्रदेश में ई-वाहन पॉलिसी लाने की है। राज्य मेंं बढ़ते प्रदूषण स्तर को कम करने के लिए सरकार ने इस पॉलिसी को ज्लद ही लागू करने का निश्चय कर लिया है।
मंगलवार को मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय विकास मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि हमारी योजना ई-वाहन पॉलिसी को जल्द से जल्द लागू करने की है। सरकार भविष्य में इस योजना से जुड़े जरूरी ढ़ाचों को पूरा कर लेने के बाद ई- रिक्शा और अन्य सार्वजनिक वाहनों पर भी इसे लागू करेगी।
जयवर्धन सिंह ने यह भी बतलाया कि सबसे पहले इंदौर और भोपाल जैसे बड़े में शहरों में इलेक्ट्रिक वाहनों का प्ररिचालन शुरू किया जाएगा। हमारी सभी कार्य योजनाबध्द तरीकें से किए गए, तो हम जल्ह ई-वाहन पॉलिसी को लागू भी कर देंगे।
इस बीच बस ऑपरेटर्स कन्फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रसन्ना पटवर्धन ने कहा है कि देश के 19 लाख सार्वजनिक बसों में से 90 प्रतिशत बसे पारंपरिक ईंधन डीजल पर चलाई जा रही हैं।
"जिसमें से सरकारी क्षेत्र के 1.5 लाख बसें है और वे सब भी पारंपरिक ईंधन डीजल इंजन से ही चलती है। लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या को देखें तो यह अभी देश में बहुत ही कम है। ऐसे में इसे लागू करने के लिए पूरी तैयारी करनी होगी।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में पायलट प्रोजेक्ट के तहत मुंबई, कोलकाता और पुणे सहित दस शहरों में 500 इलेक्ट्रिक ट्रांसपोर्ट बसें चलाई जा रही है। साथ ही इसके लिए जागरूकता की भी जरूरत है।
इसके लिए पूरे देश में चार्जिंग स्टेशन बनाने की आवश्यकता पड़ेगी, जिससे इन बसों को चार्ज किया जा सकें, विशेष रूप से रात्रि के वक्त। ई-बसों के संचालन में आने वाली चुनौतियों को सूचीबद्ध करते हुए, बीओसीआई अध्यक्ष ने आगे कहा, "मौजूदा तकनीक के अनुसार ई-बसों की बैटरी चार्ज करने में लंबा समय लगता है।
वहीं, पूरी तरह से बैटरी चार्ज करने के बाद भी, एक ई-बस 150 किलोमीटर तक ही चलाई जा सकती है। पटवर्धन ने कहा कि ऐसी स्थिति में बस ऑपरेटरों को डीजल जैसे पारंपरिक ईंधन का उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। हालांकि, उन्हें यह भी उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक ई-बसों के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार होगा और सड़कों पर सफलता पूर्व ई-वाहनों का परिचालन शुरू कर दिया जाएगा।
आपको बता दें कि ये सारी योजनाएं सरकार के उस फैसले के बाद बनाई जा रही है, जिसमें सरकार ने नीति आयोग के उस सलाह को मान लिया था, जिसके तहत 2030 से देश भर के सड़को पर सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को दौराने की योजना है।