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लोकसभा में पास हुआ मोटर वाहन अधिनियम बिल, कई कड़े नियम किए गए है शामिल
भारत में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं से सरकार परेशान है। देश में सड़क दुर्घटनाओं के मामले साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है। इस वजह से यातायात भी बाधित होता है। सरकार द्वारा पेश किए आकड़ें में कई लोगों ने अपनी जान गंवा दिया है।
इस बारे में लोकसभा में केंद्रिय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी सभा का संबोधन किया है। मंत्री ने सड़क दुर्घटनाओं के बारे में बात करते हुए कहा कि देश में सड़क दुर्घटना के मामले बढ़ रहे है। भारत सड़क दुर्घटना के मामले में दुनिया भारत शीर्ष पर है।
गडकरी ने बताया कि देश में पांच लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती है, जिसमें से एक लाख लोग की मृत्यु हो जाती है। इसको लेकर सरकार मोटर वाहन अधिनियम,1988 में संशोधन की योजना पर काम करना चाहती है।
सरकार द्वारा पेश किए गए नए अधिनियम में शराब और ड्रग्स का सेवन कर ड्राइविंग करने वाले व्यक्तियों के लिए कड़े दंड का प्रावधान लाना चाहती है। इस विधेयक में मोटर वाहन,1988 के प्रालधानों के उल्लंघन पर मोटर वाहन लाइसेंस और परमिट रद्द करने के साथ दंड का भी प्रावधान है।
मंत्री ने यह भी कहा कि "गोल्डन आवर के दौरान सरकार सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान करेगी। गोल्डन आवर दुर्घटना के एक घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचने वाले पीड़ितो के लिए होगा। इससे सरकार की सड़क दुर्घटना में होने वाली मृत्यु में कमी लाना की योजना है।"
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वहीं केन्द्र सरकार तीसरे पक्ष की बीमा के तहत मुआवजे की मांग करने वाले लोगों के लिए भी योजना पर काम कर रही है। लोकसभा में प्रस्तावित विधेयक में हिट एंड रन मामलों में न्यूनतम मुआवजे का प्रावधान है। वहीं मृत्यु होने पर 25,000 से दो लाख रुपयें तक का प्रावधान है।
इसके साथ ही गंभीर चोट के मामलों के लिए 12,500 रुपयें से 50,000 रुपयें की राशि को विधेयक में शामिल किया गया है। साथ ही विधेयक में कई अपराधों के लिए दंड बढ़ाने का प्रस्ताव है। शराब या ड्रग्स के प्रभाव में ड्राइविंग करने वाले व्यक्तियों के लिए अधिकतम जुर्माना 2000 से बढ़ाकर 10,000 रुपयें किया गया है।
वहीं अगर कोई वाहन निर्माता मोटर वाहन मानकों का पालन करने में विफल रहता है, तो जुर्माना 100 करोड़ रुपयें के साथ एक वर्ष तक का कारावास या फिर दोनों हो सकता है। इसके अलावा ठेकेदार ने सड़क डिजाइन मानकों का पालन ठीक ढंग से नहीं किया है, तो एक लाख रुपयें का जुर्माना लगाया जा सकता है।
इसके साथ ही सरकार हर साल अधिनियम के तहत उल्लिखित जुर्माना को 10 प्रतिशत तक बढ़ा सकती है। वहीं विधेयक में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड के लिए एक अधिसूचना के माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा बनाए जाने का प्रावधान है।
इस विधेयक में केंद्र और राज्य परिवहन विभाग के बीच सांमजस्य के लिए भी प्रावधान है। इनमें बोर्ड केंद्र और राज्य सरकारों को सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के सभी पहलुओं जैसे मोटर वाहन, वाहनों के पंजीकरण और लाइसेंसिंग, सड़क सुरक्षा के लिए मानक और नई वाहन प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए सलाह देगा।
इसके तहत केंद्र सरकार राज्य सरकारों के परामर्श से एक राष्ट्रीय परिवहन नीति विकसित कर सकती है। नीति सड़क परिवहन के लिए रूपरेखा स्थापित करेगी, परमिट देने के लिए एक रूपरेखा विकसित करेगी और परिवहन प्रणाली के लिए प्राथमिकताएं निर्दिष्ट करेगी।