मोदी जी के बुलेट ट्रेन के चक्कर में मुफ्त में हुआ रॉयल इनफील्ड का प्रचार

साल 2014 से ही बुलेट ट्रेन चर्चा में है और हिंदी दिवस पर इसकी नींव भी रख दी गई। लेकिन इसका फायदा कैसे रॉयल एनफील्ड बाइक को हुआ आइए विस्तार से जानते हैं।

By Deepak Pandey

साल 2014 में जब देश में मोदी सरकार का गठन हुआ तब से ही बुलेट ट्रेन की चर्चा चल रही है। इसके पहले भाजपा के घोषणापत्र में भी बुलेट ट्रेन का जिक्र था।

जिसका परिणाम आज यह निकला कि देश में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और पीएम मोदी की उपस्थिति में बुलेट ट्रेन की नींव रख दी गई।

मोदी जी के बुलेट ट्रेन के चक्कर में मुफ्त में हुआ रॉयल इनफील्ड का प्रचार

भारत के इस पहले बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की कुल लागत 1.10 लाख करोड़ है, जिसमें 88 हजार करोड़ का कर्ज जापान देगा। बुलेट ट्रेन का पहला रूट भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई और गुजरात का अहमदाबाद होगा। यह दूरी कुल 500 किमी से भी ज्यादा होगी।

मोदी जी के बुलेट ट्रेन के चक्कर में मुफ्त में हुआ रॉयल इनफील्ड का प्रचार

खैर। यह तो खबर है। अब हम अपने टॉपिक पर आते हैं कि कैसे पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट का फायदा भारतीय कम्पनी आयशर के स्वामित्व वाली कम्पनी रॉयल इनफील्ड को पहुंचा? दरअसल जब देश में बुलेट ट्रेन चलने की बात शुरू हुई तो कुछ खुराफाती लोगों ने ट्रेन के डिब्बों में फोटोशॉप करके एक रॉयल इनफील्ड की बुलेट को जोड़ दिया।

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इसके बाद इस फोटो को सोशल साइट पर डाला गया है और इसे ही बुलेट ट्रेन कहकर प्रचारित किया गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि केवल मजाक मजाक में किया गया यह खुराफात सोशल साइट पर इतना हिट हुआ कि सोशल साइट से जुड़ा होने वाला शायद ही कोई व्यक्ति इस तरह की तस्वीरों को न देखा हो।

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दूसरी ओर इसका बड़ा फायदा रॉयल इनफील्ड को मिला। जो बिना वजह इतना प्रचार और चर्चा पा गया, जितना वह लाखों खर्च करके भी नहीं पा सकता था। लेकिन इस प्रचार पीछे इस कम्पनी की बाइक का नाम है। क्योंकि रॉयल इनफील्ड की बाइक को बुलेट ही कहा जाता है।

मोदी जी के बुलेट ट्रेन के चक्कर में मुफ्त में हुआ रॉयल इनफील्ड का प्रचार

हालांकि बुलेट का वास्तविक अर्थ गोली होता है और रॉयल एनफील्ड को भी यह नाम एक गोली बनाने वाली कम्पनी से मिला था, लेकिन इन दिनों इस बाइक ने दोपहिया वाहन खंड में जो धूम मचाई है उसका कोई जवाब नहीं है।

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आप अगर साल 2013 से लेकर अब तक रॉयल इनफील्ड बिक्री के आकड़े और मुनाफे को देखेगें तो उसने इस दौरान जबरदस्त ग्रोथ की है। सियाम के आकड़ों के मुताबिक कम्पनी ने साल 2014 में इस बाइक की 3,24,055 यूनिटें बेंची तो वहीं साल 2015-16 में यह आकड़ा 4,98,791 यूनिट तक पहुंच गया।

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इस लिहाज से कम्पनी ने शुरूआत के दो सालों में ही बिक्री में करीब 53 फीसदी की बढ़ोत्तरी की। इसके बाद कम्पनी ने अपनी गति साल 2017 में और तेज कर दी जिसका परिणाम यह हुआ कि बाइक ने साल 2017 में बिक्री के सारे रिकार्ड्स को तोड़ दिए। कम्पनी ने मई तक 60,696 इकाइयों को बेंच लिया है, जो उसकी अब तक की उसकी सबसे बड़ी बिक्री है।

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कम्पनी के ग्रोथ रेट की बात की जाए तो यह और बढ़ोत्तरी ही कर रही है और इसका लक्ष्य साल 2018 तक बिक्री आकड़ो को 90 हजार तक पहुंचाने का है। चेन्नई स्थित इस कम्पनी की नई योजनाओं में भी कई बातें शामिल हैं और उसने अब डुकाती को भी खरीदनें के लिए अब तक की सबसे बड़ी बोली लगा दी है।

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चेन्नै की यह कंपनी इंटरनैशनल मार्केट में भी अपनी पहुंच बढ़ाना चाहती है और इटली की सुपर बाइक निर्माता ड्यूकाती को 1.8 अरब डॉलर से 2 अरब डॉलर के बीच अनुमानित कीमत पर खरीदने के लिए बाध्यकारी बोली लगाई है।

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हालांकि डुकाती की खरीद पर अंतिम फैसला 29 सितम्बर को लिया जाना है लेकिन अगर यह खरीददारी हो जाती है, तो यह रॉयल एनफील्ड के वैश्विक विस्तार में आइशर मोटर्स के सीईओ सिद्धार्थ लाल का रूतबा और बढ़ाने वाला होगा।

Drivespark की राय

Drivespark की राय

खैर। बुलेट ट्रेन और बुलेट बाइक का दूर तक का कोई संबंध नहीं है लेकिन नाम एक वजह होने से कम्पनी को सोशल साइट पर फायदा बहुत मिला। रॉयल एनफील्ड वैसे भी भारत की सबसे पंसदीदा बाइक्स में से एक है और अगर इसी लोकप्रियता का फायदा बिक्री में बदल कर उठा रहा है तो कोई हर्ज की बात नहीं है।

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Hindi
English summary
Since the year 2014 the bullet train is in discussion and its foundation was also laid on Hindi Day. But the advantage of how the Royal Enfield bike is known and I know in detail.
Story first published: Thursday, September 14, 2017, 18:36 [IST]
 
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