साइकिल खरीदने के लिए मजदूर दंपत्ति ने बेचा मंगलसूत्र, बैंगलोर से आए कट्टक

लॉकडाउन में मजदूरों की साइकिल से घर जाने की अनेक खबरें सामने आ रही है। दो महीनों से चल रहे लॉकडाउन में काम न मिलने के कारण प्रवासी मजदूरों की आमदनी बंद हो गई है जिससे उन्हें भूखे रहने की नौबत आ गई है। ऐसे में कई मजदूर अपने घर वापस लौटना चाहते हैं। राज्य सरकारों ने प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए ट्रेन अथवा बस की व्यवस्था की है लेकिन कई मजदूर इनसे वंचित हैं।

साइकिल खरीदने के लिए मजदूर दंपत्ति ने बेचा मंगलसूत्र, बैंगलोर से आए कट्टक

दरअसल, कर्नाटक के बैंगलोर से एक मजदूर दंपत्ति ने इसी परेशानी से हार मानकर खुद ही अपने घर जाने का इंतजाम करने का सोचा। बस की व्यवस्था न होने के कारण मजदूर ने अपनी पत्नी का मंगलसूत्र बेच कर साइकिल खरीदने के लिए पैसे जुटाए। मंगलसूत्र बेच कर जुटाए गए 15,000 रुपये से उन्होंने दो साइकिलें खरीदी जिससे दंपत्ति एक और मजदूर के साथ ओडिशा के कट्टक स्थित अपने घर को निकल दिए।

साइकिल खरीदने के लिए मजदूर दंपत्ति ने बेचा मंगलसूत्र, बैंगलोर से आए कट्टक

दंपत्ति ने बताया कि लॉकडाउन में कमाई न होने के कारण जमा किये गए पैसे खत्म हो गए थे जिसके बाद उन्हें पैसे जुगाड़ करने के लिए मंगलसूत्र बेचना पड़ा। इन पैसों से उन्होंने 5000 रुपये की दो साइकिलें खरीदी और अपने गंतव्य को निकल पड़े।

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कट्टक पहुंचने पर जब रास्ते में कुछ समाज सेवियों की नजर उनपर पड़ी तो उन्होंने तीनों को घर भेजने के लिए वाहन की व्यवस्था की। लॉकडाउन में घर आने की व्यवस्था न होने के कारण गुरुग्राम में मजदूरी करने वाली 15 साल की ज्योति अपने पिता को साइकिल में बिठाकर 1200 किलोमीटर की दूरी तय कर अपने घर बिहार आई थी।

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देश भर में सार्वजनिक परिवहन बंद रखे गये है तथा सिर्फ मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेन व बस चलाए जा रहे हैं लेकिन यह सुविधा सभी को नहीं मिल पा रही है। ऐसे में गरीब प्रवासी मजदूर अपने से ही जुगाड़ करके घरों की ओर निकल पड़े है।

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देश भर में हजारों मजदूर अपने जान को जोखिम में डाल कर हजारों किलोमीटर का सफर तय कर रहे हैं। साइकिल से आ रहे मजदूर हाईवे और एक्सप्रेस वे से होकर गुजर रहे हैं जिससे बस और ट्रकों की चपेट में आने से उनकी मौत भी हो रही है।

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हालांकि, देश भर में 1 जून से लॉकडाउन को खोल दिया गया है जिससे अंतरराज्यीय बस सेवाएं शुरू हो गई हैं। लेकिन अभी भी हजारों प्रवासी मजदूर फंसे हुए हैं जिनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

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English summary
Migrant worker in Bangalore sells necklace to purchase cycles and ride home to Odisha. Read in Hindi.
 
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