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मारुति वैन को सोलर वैन में बदला, पेट्रोल का खर्च और प्रदूषण से मिला छुटकारा
आज के दौर में वायु प्रदूषण ने खतरनाक रूप ले लिया है। देश में वायु प्रदूषण के कारण लाखों लोगों की जान जा रही है। खासकर वाहनों से निकलने वाला धुआँ जानलेवा साबित हो रहा है। एक अध्ययन के अनुसार, 2015 में भारत में वायु प्रदूषण के चलते होने वाली मौतों में दो तिहाई (3.85 लाख) मौतों का कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं था।
ऐसे में ईंधन से चलने वाले वाहनों का एकमात्र विकल्प इलेक्ट्रिक और सौर ऊर्जा ही है। देश में कई कंपनियां सोलर ऊर्जा पर चलने वाले वाहनों पर काम कर रही है, लेकिन आज हम बात करे रहे हैं ऐसे शख्स के बारे में जिन्होंने अपनी कार को सोलर कार में बदल दिया है।
महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले 66 वर्षीय दिलीप चित्रे ने 2018 में खुद ही सौर ऊर्जा से चलने वाली वैन बनाई थी। वह अबतक इस वैन से 4500 किलोमीटर का सफर तय कर चुके हैं। दिलीप बताते हैं कि वह पिछले 25 सालों से सोलर एनर्जी पर काम कर रहे हैं। उनका पहला आईडिया सौर ऊर्जा पर चलने वाला वाहन बनाना था, लेकिन शुरुआत में सफलता नहीं मिलने के कारण उन्होंने दूसरे एक्सपेरिमेंट करने शुरू कर दिए।
उन्हें हमेशा से ही वाहनों में एक्सपेरिमेंट करने की दिलचस्पी रही है। वह अक्सर पुराने वाहनों को खोलकर उनकी तकनीक समझने की कोशिश करते हैं। उनका पहला आविष्कार वाहनों में लगने वाला एंटी थेफ्ट सिस्टम था।
वर्ष 1995 में उन्हें सौर ऊर्जा के फायदों के बार पता चला जिसके बाद उनकी रूचि सोलर वाहनों में बढ़ने लगी। उन्होंने इस क्षेत्र में शोध शुरू कर दिया। वे बताते हैं कि सौर ऊर्जा की कोई नई बात नहीं है। हमारे पर कई रेल इंजन है जो स्टीम और बिजली, दोनों इंजन से चलते हैं। अगर परिवहन में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल नहीं हो रहा है तो यह सिर्फ प्रशासन की अनदेखी है।
वर्ष 2003 में दिलीप ने पहला एक्सपेरिमेंट एक ऑटो रिक्शा पर किया था और उसे बैटरी पर चलने वाले ऑटो रिक्शा में बदल दिया था। उनका इलेक्ट्रिक ऑटो रिक्शा टेस्ट में पास हो गया था लेकिन साधन की कमी के कारण वह इस प्रोजेक्ट पर ज्यादा काम नहीं कर पाए।
उन्होंने कई सरकारी संस्थानों को अपने प्रोजेक्ट की कॉपी बनाकर भेजी लेकिन किसी ने भी उनके प्रोजेक्ट को आगे लेजाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। अंत में उन्होंने निराश होकर इसपर काम बंद कर दिया। कई अलग वर्षों तक अलग-अलग जगह काम करने के बाद उन्होंने 2017 में एक बार फिर सोलर प्रोजेक्ट पर काम करने का मन बनाया।
इस बार उन्होंने एक सेकंड हैंड वैन पर एक्सपेरिमेंट शुरू किया। इसमें उन्होंने 5 लाख रुपये खर्च किये और उसके इंजन को बदलकर सौर ऊर्जा पर चलने वाला बना दिया। आज वह इस वैन का इस्तेमाल स्कूल वैन के तौर पर करते हैं और हर रोज इससे 25 किलोमीटर का सफर तय करते हैं।
उन्होंने वैन एक इंजन को 48 वोल्ट की बैटरी, डीसी मोटर, गियर बॉक्स, चार्ज कंट्रोलर और इलेक्ट्रॉनिक एक्सेलरेटर से बदल दिया है। वैन की छत पर 400 वाट का सोलर पैनल इनस्टॉल किया है जिससे बैटरी को ऊर्जा मिलती रहती है।
दिलीप इस वैन को छांव में खड़ी करने के बजाये धूप में खड़ी करते हैं जिससे यह लगातार चार्ज होते रहती है। इस वैन को ज्यादा रख-रखाव की जरूरत भी नहीं होती है। उन्हें इस इलेक्ट्रिक वैन को बनाने में 2 लाख रुपये का खर्च आया है। वे सौर ऊर्जा से चलने वाले इलेक्ट्रिक रिक्शा पर भी काम कर रहे हैं।
दिलीप अब तक अपने अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर 20 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं। वे कारों को इलेक्ट्रिक में बदलने का अपना पेशा बना चुके हैं। उनका दवा है कि वह कंपनियों ने 40 प्रतिशत सस्ती दर पर इलेक्ट्रिक कार बना सकते हैं।