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जानिए क्या हुआ जब समुंद्र किनारे रेत में फंस गया Mahindra TUV300
कभी कभी एड्वेंचर के चक्कर में गाड़ी फंस जाती है और मजा, सजा में तब्दील हो जाता है। गुजरात में समुंद्र के किनारे भी हुआ जब रेत में महिंद्रा की बेहतरीन एसयूवी TUV300 जा फंसी।
समंदर किनारे बीच की रेत ड्राइविंग करना भला किसे अच्छा नहीं लगता। एक तरफ खुले समुंद्र की उपर उठती लहरें दूसरी ओर गाड़ी के पहियों की रेत से जंग। इस बीच ड्राइविंग का हुनर दिखाना युवाओं को विशेषकर भाता है। लेकिन कभी कभी एड्वेंचर के चक्कर में गाड़ी फंस जाती है और मजा, सजा में तब्दील हो जाता है। कुछ ऐसा ही गुजरात में समुंद्र के किनारे भी हुआ जब रेत में महिंद्र की बेहतरीन एसयूवी TUV300 जा फंसी। तो आइये आपको बताते हैं कि, उस वक्त क्या हुआ जब ये बेहतरीन एसयूवी रेत में जा फंसी थी -
ये मामला गुजरात के सूरत शहर में डमास बीच का है। जहां पर एक स्थानीय लोग और पर्यटक आये दिन बीच पर ड्राइविंग का मजा लेते हैं। उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ। जब एक महिंद्रा टीयूवी 300 अचानक बीच पर रेत में जा फंसी। इस दौरान उसे ड्राइव करने वाला जितनी कोशिश करता गाड़ी उतने ही अंदर धंसती चली जा रही थी।
यहां तक गाड़ी खिड़कियों तक रेत में जा धंसी जिसकी उंचाई तकरीबन 4 से 4.5 फिट थी। ऐसे हालात में कुछ भी अच्छा न होता देख दो ट्रैक्टरों को लाया गया ताकि गाड़ी को रेत से निकाला जा सके। लेकिन वो दोनों ट्रैक्टर भी गाड़ी को बाहर निकालने में फेल होते नजर आयें। इसके बाद एक और ट्रैक्टर का इंतजाम किया है।
जब तीन ट्रैक्टरों ने मिलकर जोर लगाया तब मामला थोड़ा बनता दिखा। लेकिन इस दौरान गीली रेत की पकड़ महिंद्रा टीयूवी 300 पर बढ़ती जा रही थी। जब तीन ट्रैक्टरों का जोर लगा तब जाकर ये गाड़ी रेत से बाहर आ सकी। इस पूरे रेशक्यू आॅपरेशन के दौरान महिंद्रा टीयूवी 300 का बम्फर डैमेज हो गया।
हालांकि गाड़ी में तकनीकी रुप से क्या नुकसान हुआ इस बारे में कुछ भी कह पाना मुश्किल है। लेकिन इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि, गाड़ी के भीतर पानी नहीं पहुंच सका था। ऐसा आम तौर पर कई बार देखा जाता है कि, जब कोई गाड़ी किसी कीचड़ या गढ्ढे में फंस जाती है तो उसे ट्रैक्टर की ही मदद से बाहर निकाला जाता है।
आखिर क्या कारण है कि, ऐसे मौकों पर ट्रैक्टर एक कामयाब साधन बन जाता है?
आपके दिमाग में ये सवाल आना लाजमी है और हम बतायेंगे कि, आखिर ऐसा क्यों होता है। हालांकि ट्रैक्टर का वजन महिंद्रा टीयूवी के मुकाबले ज्यादा था बावजूद इसके वो उसी मिट्टी पर आसानी से खड़ी थी। इसके पीछे विज्ञान काम करता है। दरअसल ट्रैक्टर के पीछले पहिये अन्य वाहनों के मुकाबले ज्यादा चौड़े होते हैं। इससे गाड़ी का भार पहियों के चौड़ाई के अनुसार अलग अलग हिस्सों में बंट जाता है। चूकिं भार एक ही जगह नहीं पड़ता है इसलिए ट्रैक्टर आसानी से कीचड़ आदि में चलने में कामयाब रहता है। इसके अलावा ट्रैक्टर का इंजन अन्य वाहनो के मुकाबले ज्यादा शक्तिशाली होता है और इसके पहियों की खास बनावट ऐसी स्थिती में ट्रैक्टर की ज्यादा मदद करती है।
सतर्क रहें और सुरक्षित रहें -
तो यदि आप भी बीच पर ड्राइविंग के शौकीन हैं तो आपको भी सर्तक रहने की जरूरत है। क्योंकि रेत पर पहियों का वजन घातक होता है। वो कब नीचे जमीन में धंसने लगता है इस बात का अंदाजा गाड़ी के भीतर बैठे लोगों को नहीं लग पाता है। तो ऐसी दशा में आपका सचेत रहना जरूरी है। इसके अलावा रेत का एक खास गुण ये भी होता है कि, उसमें फंसने के बाद आप जितना बल का प्रयोग करते हैं रेत अपनी जगह से उतनी ही ज्यादा खिसकती जाती है। रेत का ये गुण किसी दलदल से कम नहीं होता है। तो ऐसी दशा में घबराने की बजाय दिमाग का प्रयोग करें और तत्काल दूसरों से इसके लिए मदद मांगे। खैर, हमारे देश में अभी भी ट्रैक्टरों की संख्या में कमी नहीं आई है।