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Mahindra and Mahindra History: एक स्टील कंपनी बन गई कार निर्माता, ऐसी है महिंद्रा एंड महिंद्रा की कहानी
भारत में अगर देसी कार कंपनियों की बात को तो हमारे जुबान पर सबसे पहला नाम महिंद्रा का आता है। महिंद्रा देश की सबसे पुरानी कार निर्माता कंपनी है। हमने महिंद्रा की कारों के बारे में अक्सर सुना है लेकिन इस कंपनी के इतिहास के बारे में काफी कम लोग ही जानते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि एक स्टील कंपनी ने कार बनाना कैसे शुरू किया और अपनी दमदार एसयूवी के चलते आज दुनियाभर में कैसे छा गई -
1945 में रखी गई थी महिंद्रा एंड महिंद्रा की नींव
आज हम महिंद्रा को कार बनाने वाली कंपनी के नाम से जानते हैं, लेकिन आज से करीब 75 साल पहले इस कंपनी की शुरुआत स्टील मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के रूप में की गई थी। गुलाम मोहम्मद और के.सी. महिंद्रा ने 1945 में 'मोहम्मद एंड महिंद्रा' नाम से कंपनी की नींव रखी थी। भारत विभाजन के बाद गुलाम मोहम्मद ने पाकिस्तान जाने का फैसला किया। उनके जाने के बाद इस कंपनी का नाम बदलकर 'महिंद्रा एंड महिंद्रा' रख दिया गया। विभाजन के बाद गुलाम मोहम्मद पाकिस्तान के पहले वित्त मंत्री बने थे।
1949 - विलिस जीप का उत्पादन
गुलाम मोहम्मद के जाने के बाद के.सी. महिंद्रा ने 1948 में कंपनी का नाम बदलकर 'महिंद्रा एंड महिंद्रा' कर दिया था। कंपनी ने पहले यूके की कंपनियों के साथ स्टील का व्यापार शुरू किया। इसी वर्ष में कंपनी ने भारत में विलिस जीप के उत्पादन का भी लाइसेंस प्राप्त कर लिया। महिंद्रा ने 1949 में विलिस CJ3A जीप का उत्पादन शुरू कर दिया था। यह देश की पहली ऑफरोडर कार थी जो 4-व्हील ड्राइव तकनीक के साथ आती थी। कुछ वर्षों के बाद महिंद्रा ने विलिस जीप का लाइसेंस एक जापानी कंपनी को सौंप दिया था।
1955 - पहली बार बनी सार्वजनिक कंपनी
महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर्स 15 जून 1955 में पहली बार बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध कर दिए थे। इसके साथ ही कंपनी ने देश में अपनी तरक्की की नींव रख दी। शेयर्स की बिक्री से कंपनी ने पूंजी में बढ़ोतरी की और व्यापार में विस्तार किया।
1961 - ट्रैक्टर निर्माण में रखा कदम
ऑफरोडर कारों में सफलता के बाद महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अमेरिका की इंटरनेशनल हार्वेस्टर के सहयोग से ट्रैक्टर उत्पादन शुरू किया। ट्रैक्टरों के साथ कंपनी ने खेतों में उपयोग होने वाली मशीनरी, इक्विपमेंट और औजार बनाने शुरू किए।
1983- ट्रैक्टर निर्माण में बनाया कीर्तिमान
ट्रैक्टर निर्माण शुरू करने की तकरीबन 20 साल के भीतर ही महिंद्रा ने दुनियां की सबसे बड़ी ट्रैक्टर निर्माता का ताज हासिल कर लिया। सिर्फ भारत में ही बल्कि महिंद्रा ट्रैक्टर दुनियां के 50 से अधिक देशों में बिकने लगे। कोई अन्य निर्माता पिछले तीन दशकों में शीर्ष स्थान को चुनौती नहीं दे पाया है।
1990 - शुरू किया एसयूवी कारों का निर्माण
1990 के अंत में महिंद्रा ने देश के लोगों को मॉडर्न एसयूवी कारों से परिचित कराया। इस दौर में भारतीय बाजार में मारुति और हुंडई की कारों का कब्जा हो चुका था और एसयूवी कारें ज्यादा चलन में नहीं थी। हालांकि, महिंद्रा की अर्मादा एसयूवी काफी पॉपुलर हुई। वहीं 2000 में बोलेरो एसयूवी को मॉडर्न डिजाइन और फीचर्स के साथ लाया गया, जो कि बड़ी कार की ख्वाहिश रखने वालों की पहली पसंद बन गई।
2002 - महिंद्रा स्कॉर्पियो एसयूवी लॉन्च
महिंद्रा ने अपनी लीजेंडरी स्कॉर्पियो एसयूवी का उत्पादन शुरू किया। 2.2-लीटर mHawk इंजन द्वारा संचालित यह एसयूवी बोलेरो के नक्शेकदम पर चलते हुए एक बड़ी सफलता बन गई। पहला वैश्विक उत्पाद होने के नाते, कंपनी ने सुनिश्चित किया कि इसमें वह सभी सुविधाएं होंगी जो एक स्टैंडर्ड एसयूवी में होनी चाहिए। यही कारण है कि 2002 तक, एसयूवी के अनुसंधान और विकास पर 550 करोड़ खर्च किए गए थे।
2010 - महिंद्रा थार
महिंद्रा थार को 4X4 एसयूवी की विरासत का मार्गदर्शक माना जाता है। इस दौर में महिंद्रा थार को टक्कर देने के लिए मारुति सुजुकी की पॉपुलर जिप्सी 4X4 मौजूद थी। महिंद्रा थार को दो डीजल इंजन विकल्प दिए गए थे जिसमे 2.6-लीटर और एक 2.5-लीटर इंजन शामिल था। दोनों इंजन 63बीएचपी की पावर और 182 न्यूटन मीटर का टार्क जनरेट करने में सक्षम थे।
एक्सयूवी 500 और एक्सयूवी 300
महिंद्रा ने ज्यादा से ज्यादा युवा ग्राहकों को आकर्षित करने के मकसद से एक्सयूवी 500 को लॉन्च किया। इस एसयूवी की लिव यंग - लिव फ्री स्टाइल ग्राहकों को सबसे अधिक पसंद आई। इसके साथ ही ईबीडी, एबीएस, एयरबैग, हिल होल्ड और समेत कई नए फीचर्स को इस एसयूवी में जोड़ा गया। कंपनी के लिए एक्सयूवी 500 एक बड़ी सफलता बन गई। एक्सयूवी 300 को 2019 में लॉन्च किया गया जो एक्सयूवी 500 का एक किफायती विकल्प बन गई।
2016 - महिंद्रा रेवा
महिंद्रा एंड महिंद्रा की इलेक्ट्रिक कार डिवीजन महिंद्रा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जिसके तहत देश की पहली इलेक्ट्रिक कार 'महिंद्रा रेवा' का उत्पादन किया गया। यह कार 2013 में लॉन्च हुई और मेट्रो शहरों में काफी पॉपुलर हुई। हालांकि, चार्जिंग में समस्या और इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के चलते बाजार में बिक्री कम होने के बाद इसे बंद कर दिया गया। फिलहाल, कंपनी कुछ नए इलेक्ट्रिक मॉडलों पर भी काम कर रही है।
महिंद्रा डिफेन्स
महिंद्रा एंड महिंद्रा डिफेन्स सेक्टर में भी अपनी मजबूत पकड़ रखती है। कंपनी सेना के लिए बख्तरबंद गाड़ियां, ट्रक और एंटी-लैंडमाइन व्हीकल का उत्पादन करती है। महिंद्रा मार्क्समैन, एमपीवी-आई और एलएसवी जैसे बख्तरबंद वाहनों का निर्माण करती है। कंपनी के विलिस जीप का इस्तेमाल 1945 में विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना ने किया था।
आनंद महिंद्रा - महिंद्रा एंड महिंद्रा के चेयरमैन
ऑटो इंडस्ट्री में कहा जाता है कि आनंद महिंद्रा चांदी की चम्मच के साथ पैदा हुए हैं। हालांकि, कंपनी का चेयरमैन बनाने को आनंद महिंद्रा केवल अपने परिश्रम और कड़ी मेहनत का नतीजा मानते हैं। उन्होंने 1981 में फाइनेंस असिस्टेंट के तौर पर कंपनी ज्वाइन की थी। उनकी 16 वर्ष की कड़ी मेहनत और लगातार बेहतर करने की ललक के चलते कंपनी को सफलता के नए शिखर पर पहुंच गई। आनंद महिंद्रा हमेशा अपनी कंपनी के कर्मचारियों और टीम को सफलता का कारण मानते हैं।