स्वतंत्रता दिवस विशेषः जानिए महात्‍मा गांधी और उनके हत्‍यारे की सवारी के बारे में

By Drivespark Bureau

भारत को आजाद कराने के लिए बहुत क्रांतिकारियों और महापुरुषों ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। आज हमारे देश को यह स्वतंत्रता बहुत बड़ी कीमत के एवज में मिली है। 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद तो हो गया लेकिन इसके बाद भी देश में संघर्ष चलता रहा था। इस आंतरिक संघर्ष का शिकार हुए थे भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी।

अपनी सत्‍य और अहिंसा की लाठी से हमारे देश को आजाद कराने वाले महात्‍मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को हत्या कर दी गई। वैसे तो साबरमती के इस महान संत के जुड़ी बहुत सी बातें हमने सुनी और जानी है लेकिन महात्‍मा की सवारी क्‍या थी इसके बारें में शायद बहुत कम ही लोग जानते होंगे। मोहनदास करमचन्‍द्र गांधी तो अमूमन पैदल ही चलना पसंद करते थे। लेकिन उन्‍होने सन 1928 में एक ऐसी कार की सवारी की थी जिसे आज भी सुरक्षित रखा गया है। उस कार सुरक्षित रखने वाला भी महात्‍मा का दिवाना ही है।

हमारे देश के राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी ने सन 1927 में फोर्ड कंपनी द्वारा निर्तित टी सीरीज की कार की सवारी की थी। उस दौर में एक शानदार कार में जो भी सुविधाएं होती थी वो सारी सुविधाए इस कार में थी। सामने एक शानदार बोनट, और दो दो सर्च लाईटो से सजी इस कार की सवारी में उस वक्‍त और चार चांद लग गया जब महात्‍मा ने इस कार की सवारी की। 30 जनवरी सन 1948 को जब महात्‍मा गांधी दिल्‍ली के बिरला हाउस में एक प्रार्थना सभा में शिरकता कर रहें थे।

उस दौरान नाथूराम गोड़से ने उनकी गोली मारकर हत्‍या कर दी। इस कुकृत्‍य गोड़से ने भी एक कार का प्रयोग किया था, जो कि उस समय की बेहतरीन कारों में से एक थी। इस लेख में हम आपको न केवल महात्‍मा की सवारी के बारें में बतायेंगे बल्कि उकने हत्‍यारे यानी की गोड़से की सवारी के बारें में भी जानकारी देंगे। तो आइये तस्‍वीरों के माध्‍यम से जानतें हैं महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी के बारें में।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

तस्‍वीरों के माध्‍यम से जानतें हैं महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी के बारें में।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

आपको बता दें कि महात्‍मा गांधी किसी कार के मालिक नहीं थें, लेकिन उन्‍होंने उस दौर में फोर्ड की इस शानदार कार से सवारी की थी। महात्‍मा की इस सवारी के बाद से ही यह कार भी काफी लोकप्रिय हुई। नेक्‍स्‍ट बटन पर क्लिक करें और देखें इस कार को।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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सन 1927 में उत्‍तर प्रदेश के बरेली स्थित सेंट्रल जेल से निकलते समय महात्‍मा गांधी ने इस कार की सवारी की थी। इसी कार से उन्‍होने अपने भारत वासियों का अभिवादन भी स्वीकार किया था।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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गांधीजी ने अपने जीवन को पूरी तरह से देश को समर्पित कर दिया था, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में उन्‍होनें कुल 12 हजार 75 दिन तक संघर्ष किया था। लेकिन देश को आजादी दिलाने के बाद महज 168 दिनों तक ही वो जिंदा रह पायें थें।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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इसी कार में गांधी जी ने सवारी की थी,यह कार बहुत से लोगों के हाथों से गुजरी और फिलहाल यह कार पुणे के झंडेवाला के पास है। झंडेवाला को पुराने कारों के कलेक्‍शन का शौक है, और फोर्ड टीसीरीज उनके कलेक्‍शन में से एक बेशकिमती कार है।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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फोर्ड की यह शानदार कार टी-सीरीज उस दौर में काफी महंगी और लोकप्रिय कारों में से एक थी। विदेशों में भी इस कार का खूब क्रेज था।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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30 जनवरी सन 1948 को जब महात्‍मा गांधी दिल्‍ली के बिरला हाउस में एक प्रार्थना सभा में शिरकता कर रहें थे। उस वक्‍त नाथूराम गोड़से ने उन्‍हें गोली मार दी थी।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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गांधी जी ने अपने जीवनकाल में एक साधारण जीवनशैली को ही अपनाया था।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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इस कार मेंसामने एक शानदार बोनट, और दो दो सर्च लाईटो से सजी इस कार की सवारी में उस वक्‍त और चार चांद लग गया जब महात्‍मा ने इस कार की सवारी की।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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30 जनवरी 1948 का वो दिन जब बापू ने दुनिया को अलविदा कहा, जैसे समूचे देश में हाहाकार मच गया हो। करोड़ों आखें बापू के निधन पर रोईं, कईयों में गोड़से के प्रति गुस्‍सा भी था लेकिन अब कुछ भी किया न जा सकता था। आगे नेक्‍स्‍ट बटन पर क्लिक करें और देखें गोड़से ने किस कार का प्रयोग बापू को मारने के लिए किया था।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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अपराध की दुनिया में उसका सफर लंबा तो न था, लेकिन उसके एक कुकृत्‍य ने लोगों के दिलो दिमाग में उसे हमेशा के लिए अवस्मिरणीय अपराधी बना दिया। हम बात कर रहें है, हमारे राष्‍ट्रपिता के कातिल नाथूराम गोड़से की। जिस प्रकार एक पेशेवर कातिल वारदात को अंजाम देने में कोइ कसर नहीं छोड़ना चाहता वैसे ही गोड़से ने भी महात्‍मा की हत्‍या के लिए पुरी तैयारी की थी।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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30 जनवरी सन 1948 को जब महात्‍मा गांधी दिल्‍ली के बिरला हाउस में एक प्रार्थना सभा में शिरकता कर रहें थे। उस वक्‍त नाथूराम गोड़से इसी 40 बीएचपी की 1930 की बनी हुयी स्‍ट्डबकर कार से बिरला हाउस पहुंचा और भरी सभा में महात्‍मा गांधी को बड़े ही बेरहमी से गोलियों से भून दिया।

महात्‍मा और उनके हत्‍यारे की सवारी

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इस कार का निर्माण एक भारतीय राजा के आर्डर देने के बाद किया गया था। महात्‍मा की हत्‍या के मामले में नाथूराम जेल चला गया और उसकी यह कार एक एंग्‍लो इंडियन सैनी कालिब द्वारा खरीद ली गयी। सैनी कालिब वाराणसी के एक उधोगपति था उसके बाद उसने इस कार को निलाम कर दिया जिसे बरेली के परवेज जमाल सिद्दकी ने खरीद लिया। तबसे लेकर आज तक यह कार उनके पास है।

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Hindi
English summary
Gandhiji never owned a car. But here is a car in which he travelled from the Bareilly central jail in Uttar Pradesh in 1927. Even Gandhi's killer Nathuram also owned a car which is Studbucker.
 
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