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भारतीय सेना को सौंपे गए मेड-इन-इंडिया काॅम्बैट वाहन, लद्दाख में बढ़ेगी सेना की क्षमता
भारतीय सेना ने लद्दाख क्षेत्र में अपनी क्षमता को बढ़ने के लिए मेड-इन-इंडिया इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल को शामिल कर लिया है। बताया जाता है कि ये वाहन लद्दाख सीमा पर सेना की गतिविधियों को बढ़ाने और सहायता पहुंचाने में तेजी लाने के लिए शामिल किए गए हैं। इन इन्फेंट्री कॉम्बैट वाहनों को लद्दाख की घाटियों में चलने के लिए खास तरह से बनाया गया है।

लद्दाख के ऐसे क्षेत्रों में जहां एक साधारण मिलिट्री वाहन से जाना असंभव है, वहां ये कॉम्बैट वाहन आसानी से सेना की टुकड़ी को एक जगह से दूसरी जगह सुरक्षित ले जा सकते हैं। यही नहीं इन कॉम्बैट वाहनों में हथियार भी लगाए गए हैं इन्हें वाहन के अंदर बैठकर नियंत्रित किया जा सकता है।

आपको बता दें कि सेना को ये नए वाहन सौंपते हुए, उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने व्यक्तिगत रूप से नया वाहन चलाया और कहा कि इन लड़ाकू वाहनों को क्षेत्र के कठोर इलाकों में आसानी से चलाया जा सकता है।

बता दें कि ये मेड-इन-इंडिया इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल पूरी तरह से बख्तरबंद हैं और लड़ाई के समय अंदर बैठने वाले सैनिकों की गोली और बम से रक्षा करने में सक्षम हैं। इन कॉम्बैट वाहनों को बुलेटप्रूफ स्टील शीट से बनाया गया है। इस वाहन में दूरबीन भी लगाए गए हैं जिससे अंदर बैठा सैनिक 1,800 मीटर तक की दूरी तक देख सकता है।

इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल्स (आईपीएमवी) नाम के इन वाहनों को इस साल अप्रैल में भारतीय सेना को सौंपा गया था। सेना लद्दाख के पहाड़ी इलाकों में इन वाहनों का इस्तेमाल कर रही है। इन वाहनों को संयुक्त रूप से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और टाटा समूह (Tata Group) द्वारा विकसित किया गया है।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने सेना को मेड इन इंडिया वाहनों की आपूर्ति करने के लिए 50,000 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट को स्वीकृति दी है। मौजूदा समय में कॉम्बैट वाहनों के लिए भारतीय सेना की निर्भरता रूस और अमेरिका में बने वाहनों पर अधिक है। हालांकि, अब मेड-इन-इंडिया अभियान के तहत देश की कई कंपनियां सेना की जरूरत को पूरा करने के लिए सामने आ रही हैं।

आपको बात दें, वर्तमान में टाटा, महिंदा एंड महिंद्रा, भारत फोर्ज, कल्याणी और लार्सन एंड टूब्रो जैसी कंपनियां सेना के लिए हल्के और भारी वजन के कॉम्बैट वाहन बना रही हैं।