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ओला ड्राइवर ने पार की बदतमीजी की सारी हदें, पर कंपनी और पुलिस ने नहीं की मदद
ओला कैब की सर्विस और ओला कैब ड्राइवर की अभद्रता एक बार फिर सबके सामने आई है। निकिता कपूर नाम की महिला और उसके परिवार के साथ ओला कैब ड्राइवर प्रकाश (KA 41B 7543) ने काफी बदतमीजी और मारपीट करने के बाद उसका सामान गाड़ी से फेंक दिया। इस दौरान निकिता ने जब ओला सर्विस के कॉन्टैक्ट कर मदद मांगनी चाही तो उन्होंने बेहद ही नकारात्मक रिस्पॉंस दिया।
दरअसल घटना बैंगलोर की है। निकिता कपूर अपने पति और छोटे बच्चों के साथ जब ओला कैब से बैंगलोर एयरपोर्ट से घर की तरफ जा रहे थे। निकिता के अनुसार ओला ड्राइवर ने पहले तो अपना मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया और किसी अनजान रस्ते से गाड़ी चलाने लगा। निकिता और उनके पति ने जब ड्राइवर को टोका तो उसने काफी गुस्से से जवाब दिया की बैंगलोर एयरपोर्ट से जाने के लिए यही एकमात्र रास्ता है। साथ में बच्चे और मौके की गंभीरता को समझते हुए निकिता ने चुप रहना ही बेहतर समझा।
कुछ देर की ड्राइव के बाद जब ड्राइवर मेन रोड पर पहुंचा तो उसने मोबाइल फोन पर बात करना चालू कर दिया। मोबाइल फोन पर बात करने के दौरान भी उसने हेड फोन नहीं पहना था, वो स्पीकर पर ही बात कर रहा था। गाड़ी चलाते समय फोन पर बात करना वैसे भी ट्रैफिक नियमों के खिलाफ है। इसपर जब उन्होंने ड्राइवर को फोन पर बात न करने या यदि बात करनी है तो गाड़ी साइड में रोककर अपनी बात पुरी करने के लिए कहा तो ड्राइवर ने उनकी एक नहीं सुनी और मोबाइल पर बात करते हुए गाड़ी चलाना जारी रखा। इसपर जब उन्होंने दोबारा उसे टोका तो ड्राइवर ने उनपर जोर से जोर से चिल्लाया, पर किसी भी विवाद से बचने के लिए निकिता और उनके पति वापस चुप बैठ गए।
कुछ देर बाद निकिता ने ड्राइवर से कहा कि गाड़ी कहीं साइड में रोक दो ताकि हम अपने बच्चे की डाइपर बदल सकें। इस बीच ड्राइवर ने एसी बंद कर दिया। उन्होंने ड्राइवर को एसी चालू करने के लिए कहा तो वह बुरी तरह भड़क गया और गाली देना लगा। उसने कहा 'अब तुमको मैं बताता हुं' और कुछ देर बाद उसने कार रोकी और उनको उतरने को कह दिया। ड्राइवर ने उनका लगेज भी बाहर फेंकना चालू कर दिया। निकिता के पति सचिन ने जब उसे रोकने की कोशिश की तो उसने सचिन को मारना चालू कर दिया। निकिता के मुताबिक इस घटना के दौरान वहां तीन ट्रैफिक पुलिस वाले भी थे जिन्होंने मदद करने में काफी ढिलाई बरती। इस दौरान डर के कारण निकिता का पांच वर्ष का बेटा और नवजात बेटी रोने लगे।
इस बीच वहां तेज बारिश होने लगी और निकिता के पास इतना लगेज और दो छोटे बच्चे थे जो रो रहे थे, निकिता के पति पुलिस स्टेशन कंप्लेन करने गए थे और निकिता अपने आपको एकदम असहाय महसूस कर रही थी। इतने पर भी निकिता के पति सचिन जब पुलिस FIR करने गए तो उसमें पुलिस ने कंप्लेन करने में बड़ी आनाकानी की। काफी कोशिश करने के बाद पुलिस कंप्लेन लिखी गई। ये सब जब हो रहा था तो निकिता ओला सर्विस को संपर्क करने में लगी थी, लेकिन ओला कस्टमर केयर से बात करने में उन्हें काफी मसक्कत करनी पड़ी। लंबे सयम तक बिजी बताने के बाद बड़ी मुश्किल से ओला ड्राइवर ने फोन उठाया। फोन उठाने के बाद भी ओला कस्टमर केयर ने मदद करने की बजाय उन्हें उलझाता रहा। करीब छह बार कैंसलेशन और ढ़ाई घंटे के इंतजार के बाद उन्हें नई टैक्सी मिली और वो अपने घर पहुंच सकें।
ओला और पुलिस के साथ अपने इस बुरे अनुभव के बाद निकिता ने कई सवाल उठाए हैं -
1. ओला एप पर क्यों नहीं सीधे क्सटमर केयर और पुलिस से कॉन्टैक्ट करने का विकल्प नहीं है, क्यों इसके लिए कॉल करने के बाद कई चरण से गुजरना पड़ता है?
2. क्या कोई सीधा और सरल साधन जैसे व्हाट्स एप या कोई और एप नहीं हो सकता जहां आपातकाल के दौरान सीधे तस्वीरें और विडियोस भेजे जा सकें?
3. तीन ट्रैफिक पुलिस और आम जनता के सामने हुई मारपीट के बावजूद निकिता के पति सचिन को शिकायत करने के लिए पुलिस स्टेशन क्यों ले जाया गया, जबकी वो अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ मुसीबत में थे। पुलिस का काम परेशान लोगों की मदद करना है या परेशान लोगों को और परेशानी में डालने का?
4. जब ओला से संपर्क किया गया तो उन्होंने भरोसा जताया कि ड्राइवर के खिलाफ कारवाई की जाएई और उसे ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। लेकिन निकिता ने उन्हें ये लिखित में देनो को कहा तो उन्होंने इससे मना क्यों कर दिया?
5. ड्राइवर ने खुले आम निकिता और उनके परिवार को धमकी दी है, अब उन्हें अपने पति और बच्चों के सुरक्षा की चिंता है, लेकिन न ही पुलिस और नही किसी अन्य ने इस मामले में निकिता की मदद की।