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इस राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर रोड टैक्स में मिलेगी 100% की छूट
झारखंड सरकार ने राज्य में बनने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर ग्राहकों को रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क से पूरी तरह छूट देने की घोषणा की है। बुधवार (20 सितंबर) को मंत्रिमंडल की बैठक में झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने इलेक्ट्रिक वाहन नीति (EV Policy) के लिए मसौदा अधिसूचना जारी करने पर सहमति जताई। बता दें कि अधिसूचना जारी होने के बाद जल्द ही राज्य में ई-वाहन नीति को लागू कर दिया जाएगा। राज्य में ई-वाहन नीति पांच साल तक लागू रहेगी।
बता दें कि झारखण्ड सरकार ने इस साल जुलाई में महत्वाकांक्षी सोलर परियोजना की शुरूआत की है। इस परियोजना में पांच साल के भीतर 4 गीगावाट बिजली उत्पन्न करने का लक्ष्य रखा गया है। अब झारखंड सरकार एक नया लक्ष्य लेकर चल रही है जिसके तहत 2027 तक राज्य में पूरे भारत का 10 प्रतिशत ई-वाहन रजिस्ट्रेशन हासिल किया जाएगा।
झारखंड के उद्योग निदेशक जितेंद्र सिंह, जो ई-वाहन नीति का मसौदा तैयार कर रहे हैं, ने कहा कि राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन वायु प्रदूषण को कम करने में बड़ी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि अब झारखंड को परिवहन के लिए जीवाश्म ईंधन के श्रोतों से निर्भरता को कम कर इलेक्ट्रिक वाहन जैसे स्वच्छ माध्यमों की ओर कदम बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि आज राज्य में कार्बन फुटप्रिंट को कम करना बेहद जरूरी है, नहीं तो आने वाले समय में प्रदूषण से भारी समस्या उत्पन्न होने वाली है।
बाहर बनने वाले ई-वाहनों पर 25% की छूट
झारखंड सरकार ने ई-वाहनों के रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन पर छूट देने का ऐलान तो किया है लेकिन इसके पीछे कुछ नियम व शर्तें भी हैं। जानकारी के अनुसार, 100% छूट सिर्फ पहले 10,000 ऐसे इलेक्ट्रिक वाहनों पर दिया जो कि झारखंड में बने होंगे। जबकि 10,001 से 15,000 यूनिट ई-वाहनों के रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन पर छूट 75% ही होगी। वहीं 15,001 यूनिट से पॉलिसी के समाप्त होने तक बिकने वाले ई-वाहनों के टैक्स पर 25% ही छूट दी जाएगी।
राज्य के बाहर बनाने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन फीस में केवल 25% की ही छूट लागू होगी। प्रस्तावित ई-वाहन नीति के अनुसार, झारखंड में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए के लिए राज्य केंद्रित ई-वाहन नीति के लिए मसौदा तैयार किया जा रहा है।
ई-वाहनों के लिए कितना तैयार है राज्य
देश में अबतक 20 राज्यों ने इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी दे दी है, लेकिन झारखंड में अभी इसका मसौदा ही तैयार हो रहा है। अगर झारखंड में इलेक्ट्रिक वाहन नीति को मंजूरी मिल भी जाती है तो अभी जो स्थिति है उसमें इलेक्ट्रिक वाहनों को चलाना चुनौतीपूर्ण ही होगा। कारण यह है कि ई-वाहनों के लिए राज्य में बेसिक प्लेटफॉर्म और अवसंरचना की भारी कमी है। साथ ही अभी तक चार्जिंग स्टेशनों की कोई व्यवस्था प्रदेश में नजर नहीं आ रही है।
राज्य में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर सबसे बड़ी चुनौती इसकी स्वीकार्यता है। इलेक्ट्रिक वाहनों की कम स्पीड और रेंज के चलते लोग इसे स्वीकार नहीं करना चाहते। हाल ही के दिनों में ई-वाहनों में आग लेन की खबरों ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
क्या है ई-वाहन नीति का फायदा
इलेक्ट्रिक वाहन नीति (EV Policy) का लक्ष्य प्रदूषण मुक्त वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देना है। इसकी बिक्री को बढ़ाने के लिए सब्सिडी देना, प्रोत्साहन व चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना शामिल है। कई राज्यों ने चार्जिंग स्टेशन और बैटरी स्वैप स्टेशन लगाने में भी सब्सिडी की व्यवस्था भी की है। इलेक्ट्रिक वाहनों की श्रेणी में दोपहिया वाहन, कार, तिपहिया गाड़ियां और बस शामिल होते हैं। ई-वाहन नीति को एक निश्चित समय के लिए लागू किया जाता है, जिसके पूरा होने के बाद नीति को जारी रखने या रद्द करने पर विचार किया जाता है।