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इमरजेंसी लैडिंग से पहले ईंधन क्यों गिराते हैं विमान, जानें क्या है वजह
हवाई जहाज अक्सर अधिकतम लैंडिंग वेट के मुकाबले ज्यादा वजन के साथ एयरपोर्ट से उड़ते हैं। लेकिन लैंडिंग करते हुए विमानों का वजन कुछ कम हो जाता है। जिससे वह बिना किसी नुकसान के आसानी से लैंडिंग कर सकते है।

एक सामान्य उड़ान के दौरान प्लेन के ईंधन को सामान्य तरीके से जलाया जाता है, जिससे विमान का वजन कम हो जाता है, और वह आसानी से एयरपोर्ट पर लैंड हो जाता है। लेकिन सवाल यह उठता है कि अगर किसी प्लेन को किसी समस्या के चलते इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़े।

कभी-कभी ऐसा होता है कि प्लेन को उड़ान के दौरान कुछ तकनीकी समस्या का सामना करना पड़ता है तो उसकी इमजेंसी लैंडिंग करानी पड़ती है। ऐसे में विमान का वजन कम करने के लिए ईंधन को जलाने का मौका नहीं मिलता है।
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तो सवाल यह उठता है कि ऐसी स्थिति में विमान को हल्का करने करने के लिए क्या किया जाता है। ऐसे में एक ही रास्ता बचता है कि विमान के अतिरिक्त वजन से जल्द से जल्द छुटकारा पाया जाए और इसके लिए विमान के ईंधन को डंप करना पड़ता है।

ऐसा ही एक मामला मंगलवार को डेल्टा फ्लाइट 89 के साथ हुआ था, जिसमें प्लेन के पायलटों द्वारा चुने गए एक्शन के दौरान इंजन की समस्याओं के कारण उन्हें लॉस एंजिल्स अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी।
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जिसके बाद उस तकनीकी समस्या को दूर करके वाइड-बॉडी प्लेन बोइंग 777 में लंबी दूरी के लिए ईंधन को भरा गया और फिर उसने शंघाई के लिए उड़ान भरी। उड़ान के दौरान तकनीकी खराबी के चलते प्लेन के कप्तान के पास तीन विकल्प होते हैं।

पहला यह कि वह जल्दी और अधिक वजन के साथ प्लेन को लैंड करा सकता है, जो कि प्लेन के लिए बेहद खतरनाक हो सकता है और लैडिंग के दौरान जरा सी चूक के चलते पूरे प्लेन में विस्फोट या आग लग सकती है।
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दूसरा अधिकतम लैंडिंग भार तक पहुंचने के लिए लंबे समय तक उड़ान भरते रहे औ ज्यादा से ज्यादा ईंधन को जला दें, जिसे आसानी से लैंड किया जा सके, लेकिन आपातकालीन स्थिति में ऐसा करना संभव नहीं होता है।

तीसरा विकल्प यह है कि विमान के ईंधन को जलाने के बजाय उसे डंप कर दिया जाए। ईंधन को डंप करना आपातकालीन स्थिति में एक बहुत ही आसान और सुरक्षित तरीका है, जिससे जल्द ही इमरजेंसी लैंडिंग की जा सकती है।