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चंद्रयान-2 के बाद अब इसरो सूर्य पर भेजेगा आदित्य-एल1, पढ़ें यहां
भारतीय अंतरिंक्ष एजेंसी इसरो ने बीते सोमवार को श्री हरिकोटा से सफलतापूर्वक चंद्रयान 2 का प्रक्षेपण कर लिया है। इसके साथ ही भारत ने पूरी दुनिया को अपनी अंतरिक्ष शक्ति से परिचय करवाया है।
चंद्रयान 2 को भारत के सबसे ताकतवर जीएसएलवी मार्क III रॉकेट से लॉन्च किया गया है। इस रॉकेट में तीन मॉड्यूल ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) है। इस मिशन के तहत इसरो की योजना चांद की दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर को उतारने की है।
इस बार चंद्रायान 2 का वजन 3,887 किलो है। यह चंद्रयान 1 मिशन 1380 किलो से करीब तीन गुना ज्यादा है। लैंडर के अंदर मौजूद रोवर की रफ्तार 1 सेमी प्रति सेकेंड है। इसरो द्वारा किए गए इस सफल लॉन्च पर प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनिया के कई नेताओं ने पूरे हिंदुस्तान को बधाई दिया है।
लेकिन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र इसरो सिर्फ इतने पर ही नहीं रूकने वाला है। इसरो की योजना चांद के बाद सूर्य से जुड़े रहस्यों को भी जानने में है। चंद्रयान 2 के बाद इसरो की योजना सोलर मिशन आदित्य एल 1 को पूरा करने की है।
ऐसी खबरें है कि इसरो, मिशन को 2020 की पहली छमाही में लॉन्च करने की योजना पर काम कर रहा है। सूर्य की बाहरी परत कोरोना का परिक्षण करने के लिए इसरो तैयारी कर रहा है। इसरो की योजना के अनुसार आदित्य एल 1 को सूर्य की कोरोना लेयर की निरक्षण के लिए भेजा जाएगा। यह लेयर हजारों किलोमीटर तक फैली हुई हैं।
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इसरो ने अपनी वेबसाइट पर मिशन के बारे में जानकारी साझा करते हुए कहा, "इस तरह उच्च तापमान पर कोरोना कैसे गर्म होता है, यह अभी भी सौर भौतिकी में एक अनुत्तरित प्रश्न है।" इसलिए चंद्रयान-2 के बाद इसरो का अगला मिशन सूर्य पर होगा। इसका नाम आदित्य-एल1 होगा।
इसका मकसद यह पता लगाना है कि सूर्य के सतह के तापमान 6000 कैलविन से कोरोना का तापमान 300 गुना ज्यादा क्यों है। जबकि कोरोना इससे काफी ऊपर है। सूर्य की इस बाहरी परत को तेजोमंडल कहते हैं, जो हजारों किमी तक फैली है।
आपको बता दें कि पिछले महीने आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में के इसरो अधिकारी के सिवन ने इस पर जानकारी देते हुए कहा कि आदित्य-एल1 पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी की दूरी पर स्थित होगा। वहां से यह हमेशा सूर्य की ओर देखेगा। सूर्य की इस बाहरी परत ‘तेजोमंडल' का विश्लेषण देगा। इसका क्लाइमेट चेंज पर इसका खासा प्रभाव है।
आदित्य-एल1, सूर्य के फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और तेजोमंडल का अध्ययन कर सकता है। यह सूर्य से निकलने वाले विस्फोटक कणों का अध्ययन भी किया जाएगा। इसरो के अनुसार यह कण पृथ्वी के नीचे वाले ऑरबिट में किसी काम के नहीं होते। इन्हें पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से बाहर रखने की जरूरत है।
इसरो के सूर्य मिशन पर विचार
यह पहली दफा नहीं जब भारतीय स्पेस एजेंसी ने पूरे देश को गौरवपूर्ण पल दिए है। इसरो द्वारा कई सफल मिश को किया गया है। हाल में ही चंद्रयान 2 की सफलता के बाद इसरो ने भारत को उन चार देशों की सूची में ला खड़ा कर दिया, जिन्होंने सफलता पूर्वक चांद मिशन को पूरा किया है।
इन देशों में अमेरिका, रूस, चीन और अब भारत का नाम भी शामिल है। इसरो की योजना आदित्य एल 1 से सूर्य से जुड़े रहस्यों की जानने की है। हम उम्मीद करते है कि इसरो अपने इस मिशन में भी कामयाब हो जाएं और पूरी दुनिया के सामने एक मजबूत स्पेस एजेंसी के रूप में अपनी उपस्थिति को बनाएं रखें।