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भारतीय ट्रक ड्राइवर अपने ट्रक को क्यों करवाते है पेंट, जानिये इसके पीछे का कारण
अक्सर हाईवे पर चलते हुए हमें रंग बिरंगे ट्रक देखने को मिल जाते है, यह एक शहर से दूसरे शहर सामान को ले जाते है। भारतीय बाजार में ट्रकों को एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है, इनका प्रयोग सामानों को प्रमुख शहरों से लेकर दूरस्थ स्थानों तक पहुंचाने के लिए किया जाता है।
लेकिन कभी आपको यह देखकर ख्याल आया है कि भारतीय ट्रकों को इतना क्यों सजाया जाता है, क्यों इन पर आकर्षक पेंटिंग व तरह तरह की बातें लिखी होती है। विदेशों में ट्रक इस तरह से नहीं होते है पर क्या कारण है कि भारतीय ट्रकों को ऐसा रूप दिया जाता है?
भारत में करीब 85 लाख से अधिक ट्रक देश के 87 हाईवे पर चलते है तथा देश के विभिन्न बाजारों तक सामान पहुंचाते है। जिस वजह से उन्हें देश के विभिन्न जगहों का सफर तय करना पड़ता है और अक्सर उन्हें घर से लंबे समय के लिए दूर रहना पड़ता है।
ऐसे समय में ट्रक ड्राइवर के लिए उनका ठिकाना सिर्फ उनका ट्रक होता है और वह कुछ समय के लिए उनका घर ही बन जाता है। ऐसे में अपने ट्रकों क एक अपनत्व की भावना देने के लिए इन पर तरह तरह के पसंदीदा पेंट कराते है, यह उन्हें एक घर जैसा अहसास देता है।
घर की तरह ट्रकों को भी रंगीन करके ट्रक ड्राइवर उसमें अपना एक स्थान ढूंढ लेते है जिसे वे अपना कह सके। ट्रक ड्राइवर अपने पसंद के हिसाब से तिरंगा, गाँव की गोरी, समुद्र का लुटेरा, पहाड़, नदी आदि जैसे पसंदीदा चित्रकारी करवाते है, यह उन्हें अपने जगह की याद दिलाता है।
ट्रक ड्राइवर लगातार सड़कों पर चलते रहते है इसलिए उनके लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह घर के माहौल में बने रहे, किसी तरह घर, परिवार, शहर की यादें बनी रहे, इसलिए अधिकतर ट्रक ड्राइवर अपनी मर्जी के हिसाब से ट्रकों को सजाते है।
ट्रकों के बाहरी हिस्से को पेंट कराने के साथ साथ ही वे सामने व भीतरी हिस्सों को भी बहुत सजा कर रखते है। यह उन्हें अपने घर जैसा लगता है इसलिए इनकी सजावट में भी कोई कसर नहीं छोड़ते है।
कौन करता है पेंट?
वैसे तो देशभर में कई जगहों पर नए ट्रकों को तैयार किया जाता है लेकिन इस बार हम इंदौर, मध्यप्रदेश के नफीस की बात करने वाले है। यह ट्रकों को सजाने, पेंटिंग करने के लिए बहुत मशहूर है तथा अब फेसबुक पर भी छा चुके है, जिस कारण बिहार, राजस्थान जैसे दूर राज्य के लोग भी इनके पास अपनी ट्रक बनवाने आते है।
नफीस पेंटर इंदौर नाम से इनके फेसबुक पेज से इन्हें बहुत प्रसिद्धि मिली है। नफीस बताते है कि एक ट्रक को तैयार करने में 15 दिन का समय लग जाता है, वह प्रतिदिन 1 ट्रक को पेंट करते है तथा पिछले 32 सालों से यह काम कर रहे है।
उनके पास ट्रक ड्राइवर ट्रक को सजाने के लिए तरह तरह के पेंटिंग की फरमाइश लेकर आते है तथा वह उन्हें उसी तरह से बनाते है। कई ट्रकों पर शेर, शायरी तो कई पर तस्वीर बनाते है।
नफीस इस पेशे पर कहते है कि "कुछ लोग पेंटिंग बनाते है, एग्जीबिशन रखते है तो सिर्फ कुछ लोग देखे पाते है। लेकिन मैं ट्रकों के पीछे पेंटिंग बनाता हूँ और वो ट्रक देश भर में घूमते है, सभी राज्यों के लोग देखते है और इससे मुझे बहुत पहचान मिली है।"
कुछ तथ्य
• देश में 35 प्रतिशत ट्रक ड्राइवर सामान ले जाने के दौरान सिर्फ 2-4 घंटे सो पाते है।
• ट्रक व सामान ले जाने अन्य वाहन 2016 में 4,80,652 एक्सीडेंट में 21 प्रतिशत हिस्सेदार थे।
• 30 प्रतिशत से अधिक ट्रक ड्राइवर को मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
• 81 प्रतिशत ट्रक ड्राइवर सफर में होते है तब अपने ट्रकों पर ही सोते है।
ड्राइवस्पार्क के विचार
देश में रंग बिरंगी ट्रक देखने मिलती है वह वैसे तो बहुत आकर्षक लगती है है लेकिन इसके पीछे छुपी सच्चाई किसी को भी चिंतित कर सकती है। ट्रक ड्राइवर को सफर में रहते हुए कई तरह के शारीरिक व मानसिक यातनाओं से गुजरना पड़ता है।
ट्रक ड्राइवर को चाहिए कि वह समय समय पर आराम ले तथा काम के साथ साथ स्वास्थय की भी चिंता करें। सरकार को भी इनकी परेशानी पर ध्यान देना चाहिए। इस तरह की परेशानियों से बचाने के लिए रिवीगो आदि जैसी कंपनियां आयी है जो कि ट्रक ड्राइवरों से शिफ्ट में काम लेती है ताकि किसी तरह का बोझ उन पर ना पड़े।
Source: VICE Asia/YouTube