Just In
- 7 hrs ago मिडिल क्लास की पसंदीदा है Hero की ये बाइक, कीमत सिर्फ 75 हजार रुपये, माइलेज भी है शानदार..
- 10 hrs ago भारत में लॉन्च हुई Ultraviolette F77 Mach 2 इलेक्ट्रिक बाइक, मिलेगी 323KM की रेंज, जानें कीमत
- 11 hrs ago 1.5 करोड़ की Toyota Vellfire कार के साथ नजर आएं बॉलीवुड एक्टर Ayushmann Khurrana, जानें कार की खासियत?
- 13 hrs ago Shilpa Shetty के पति Raj Kundra की बढ़ी मुसीबत! ED ने जब्त की करोड़ो की कार
Don't Miss!
- Education JEE Main Result 2024 Out: NTA ने जारी किया जेईई मेन रिजल्ट स्कोरकार्ड डाउनलोड लिंक यहां
- News भारी बारिश के चलते आधा केन्या बाढ़ की चपेट में, 32 लोगों की मौत, 2 लापता
- Movies Seema Haider ने पाकिस्तानी प्रेमी का किया खुलासा, कहा- 'मैं उससे शादी करके घर बसाना चाहती थी, लेकिन...'
- Lifestyle प्रेग्नेंसी में बस में सफर कर सकते हैं या नहीं? किन बातों का ध्यान रखना है जरुरी
- Technology OPPO Find X7 Ultra Camera Deep-Dive: स्मार्टफोन पर फोटोग्राफी की सीमाओं को आगे बढ़ाने का नया उपाय
- Finance IndiGo Airline: आपके एंटरटेनमेंट पर नहीं लगेगा फुल स्टॉप, फ्लाइट में मिलेगी ये खास सर्विस
- Travel DGCA ने पेरेंट्स के साथ सफर कर रहे 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बदला नियम, जाने यहां
- Sports Japan Open 2023: सेमीफाइनल में पहुंचे लक्ष्य सेन, एचएस प्रणय की विक्टर एक्सेलसन से भिड़ंत आज
95 प्रतिशत समय तक खड़ी रहती हैं भारतीय कारें, पार्किंग है बड़ी समस्या
विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र (सीएसई) की ओर से किए गए एक शोध में ये सामने आया है कि भारत में एक कार 95 प्रतिशत समय पार्क रहती है और केवल 5 प्रतिशत समय सड़क पर चलती है।
इस शोध को पूरा करने में एक साल का समय लगा। शोध में यह सामने आया है कि भारत की एक औसत कार 8,360 घंटे खड़ी रहती है, वहीं सिर्फ 400 घंटे ही सड़क पर चलती है।
शोध में यह भी बताया गया है कि शहरी इलाकों में कार को खड़ा रखने के लिए पार्किंग की जगह की बहुत ज्यादा मांग होती है। पार्किंग के लिए अतिरिक्त जगह की मांग दिल्ली में 471 फुटबॉल मैदान के बराबर है।
वहीं पार्किंग के लिए जगह की मांग चेन्नई में 100, चंडीगढ़ में 58 और गुड़गांव में 179 फुटबॉल मैदान के बराबर है। शोध के मुताबिक कार और दो पहिया वाहनों को खड़ा करने के लिए 85 प्रतिशत पार्किंग की जगह की जरूरत होती है।
लेकिन कार और दो पहिया वाहन सिर्फ 4-15 प्रतिशत लोगों की ही यात्रा के लिए होते है। वहीं बसों की बात करें तो इन्हें पार्किंग के लिए 4-5 प्रतिशत जगह की मांग होती है और कार और दो पहिया वाहनों के मुकाबले 20 गुना ज्यादा यात्रियों को ले जाती है।
पार्किंग की जगह की किल्लत होने का एक कारण भारत में पार्किंग शुल्क भी है। आपको बता दें कि पूरी दुनिया में भारत उन देशों में से एक है, जहां पार्किंग शुल्क सबसे कम है।
सीएसई के मुताबिक अगर पार्किंग शुल्क को बढ़ा दिया जाए तो लोगों द्वारा कारों को खरीदना कम हो सकता है। पार्किंग शुल्क कम होने से टैक्स में कमी तो आती ही है, साथ ही समुदाय आधारिक संरचना जैसे स्कूल, स्वास्थ्य सेवा केंद्र और वृद्धा आश्रम जैसी जगहों के लिए जमीन नहीं मिलती है।
आईबीएम के एक शोध के मुताबिक दुनिया भर में पार्किंग की जगह को लेकर सबसे ज्यादा विवाद दिल्ली और बैंगलोर में होते है। दिल्ली के 58 फीसदी वाहन चालक और बैंगलोर के 44 फीसदी वाहन चालक रोज पार्किंग को लेकर विवाद करते है।
सीएसई के मुताबिक इस समस्या का समाधान पार्किंग एरिया मैनेजमेंट प्लान (पीएएमपी) है। जिसके तहत पार्किंग को लेकर कड़े नियम बनाए जा सकते है, जिसमें अवैध पार्किंग पर भारी जुर्माना, पार्किंग सुविधा को बांटना, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना आदि शामिल है।
आपको बता दें कि पार्किंग की समस्या, प्रदूषण और जाम से बचने के लिए सिंगापुर में साल 1975 में एरिया लाइसेंसिंग स्कीम लागू की गई थी, जिसे 1998 में संशोधित किया गया था। इसके तहत गाड़ियों को महंगा किया गया, टैक्स बढ़ा दिया गया और भीड़भाड़ वाले इलाकों में पार्किंग की जगह दी गई थी।
ड्राइवस्पार्क के विचार
भारत ऑटोमोबाइल उद्योग का एक बहुत बड़ा केंद्र है। गाड़ियों की ज्यादा से ज्यादा बिक्री को लेकर यहां कंपनियों में कड़ी प्रतिस्पर्धा रहती है। लेकिन गाड़ियों की पार्किंग की समस्या पर किसी का भी ध्यान नहीं जाता है। अगर सिंगापुर की तरह भारत में भी कड़े नियम लागू कर दिए जाए तो इस समस्या का समाधान हो सकता है।