भारत में गहरा रहा है वाहनों से प्रदूषण बढ़ने का खतरा, लोग पुराने वाहनों को छोड़ने के लिए नहीं हैं तैयार

भारत में पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए लागू की गई वाहन कबाड़ नीति (Vehicle Scrapping Policy) को अमल में लाने में कई चुनौतियां सामने आ रही हैं। वाहन ग्राहकों पर हुए एक नए सर्वे में पता चला है कि वाहन उपभोक्ता अपने पुराने वाहनों को उम्र के आधार पर कबाड़ नहीं करना चाहते हैं।

भारत में गहरा रहा है वाहनों से प्रदूषण बढ़ने का खतरा, लोग पुराने वाहनों को छोड़ने के लिए नहीं हैं तैयार

हिंदुस्तान टाइम्स ऑटो की एक रिपोर्ट के अनुसार, 10,543 वाहन चालकों पर हुए इस सर्वे में 57 प्रतिशत लोगों ने केंद्र सरकार की वाहन कबाड़ नीति पर आपत्ति जताते हुए कहा कि वाहन की उम्र के आधार पर उसे कबाड़ घोषित करना सही नहीं है। इन वाहन चालकों ने बताया कि अगर वाहन पुराना है, लेकिन फिर भी पाॅल्यूशन टेस्ट को पास कर रहा है तो उन्हें कबाड़ घोषित नहीं करना चाहिए।

भारत में गहरा रहा है वाहनों से प्रदूषण बढ़ने का खतरा, लोग पुराने वाहनों को छोड़ने के लिए नहीं हैं तैयार

सर्वे में शामिल 50 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि वे अपने पुराने वाहनों को सिर्फ इसलिए हटा रहे हैं क्योंकि उन्हें चलाना अब महंगा हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने पुराने वाहनों पर लगने वाले टैक्स को बढ़ा दिया है और 1 अप्रैल 2022 से 15 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल वाहनों का री-रजिस्ट्रेशन शुल्क भी आठ गुना महंगा हो गया है। पुराने वाहनों के ऑटो फिटनेस टेस्ट (पीयूसी) का भी शुल्क बढ़ा दिया गया है।

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कार्बन न्यूट्रल लक्ष्य को लग सकता है धक्का

आपको बता दें कि सरकार ने 2070 तक भारत को कार्बन न्यूट्रल बनाने का लक्ष्य रखा है। वहीं, पुराने वाहनों को स्क्रैप करवाने में लोगों में उत्साह की कमी इस लक्ष्य को प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा बन सकती है। भारत में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना बेहद जरूरी है।

भारत में गहरा रहा है वाहनों से प्रदूषण बढ़ने का खतरा, लोग पुराने वाहनों को छोड़ने के लिए नहीं हैं तैयार

वर्तमान में परिवहन को कार्बन उत्सर्जन मुक्त बनाने में दो तरह की बाधाएं सामने आ रही हैं। इसमें पहली चुनौती लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करना है, वहीं दूसरी इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए देश भर में व्यवस्थित तरीके से चार्जिंग स्टेशनों की आधारभूत संरचना को तैयार करना है। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों की महंगी कीमत के वजह से भी लोग इन्हें खरीदने से कतरा रहे हैं।

भारत में गहरा रहा है वाहनों से प्रदूषण बढ़ने का खतरा, लोग पुराने वाहनों को छोड़ने के लिए नहीं हैं तैयार

मारुति ने भी जताई आपत्ति

पुराने वाहनों को परिचालन से हटाने के फैसले पर देश की सबसे बड़ी कार निर्माता मारुति भी सरकार से एकमत नहीं है। मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड (MSIL) के चेयरमैन आरसी भार्गव का कहना है अगर वाहन सड़क पर चलाने योग्य है और उत्सर्जन नियमों का उल्लंघन नहीं करता है, तो उसे हटाने का फैसला तर्कसंगत नहीं है। वाहन मालिक को पुराने वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट न मिलने पर उसे हटाना ही पड़ता है। ऐसे में पुराने वाहनों को हटाने के फैसले से लोगों पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है।

भारत में गहरा रहा है वाहनों से प्रदूषण बढ़ने का खतरा, लोग पुराने वाहनों को छोड़ने के लिए नहीं हैं तैयार

परिवहन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार देश भर में 51 लाख हल्के मोटर वाहन हैं जो 20 वर्ष से अधिक पुराने हैं और 34 लाख ऐसे वाहन है जो 15 वर्ष से अधिक पुराने हैं। 15 वर्ष से अधिक पुराने लगभग 17 लाख मध्यम और भारी वाणिज्यिक वाहन बगैर वैध फिटनेस प्रमाण पत्र के चल रहे हैं। वहीं, 2025 तक पुराने वाहनों की संख्या बढ़कर 2 करोड़ तक हो जाएगी और ऐसे वाहन पर्यावरण को भारी नुकसान भी पहुंचाएंगे।

भारत में गहरा रहा है वाहनों से प्रदूषण बढ़ने का खतरा, लोग पुराने वाहनों को छोड़ने के लिए नहीं हैं तैयार

पुराने वाहनों से निपटने के लिए देश भर में कंपनियों को वाहन स्क्रैपिंग यूनिट लगाने के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इससे देश में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित होगा। हाल ही में मारुति सुजुकी ने टोयोटा सुशो कॉर्प की साझेदारी में 440 मिलियन डॉलर के निवेश से स्क्रैपिंग प्लांट लगाया है जहां हर साल 24,000 वाहनों को स्क्रैप किया जाएगा। इसके अलावा, महिंद्रा भी महाराष्ट्र के पुणे में चार स्क्रैपिंग यूनिट लगा रही है जहां हर साल 40,000 वाहनों को स्क्रैप करने की क्षमता होगी।

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Hindi
English summary
India facing challenges in old vehicle scrapping details
Story first published: Friday, June 10, 2022, 11:24 [IST]
 
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