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छोटी-छोटी गलतियां बनती हैं बड़ी दुर्घटना की वजह, अगर इन सुझावों पर हो अमल तो नहीं होंगे हादसे
हमारे देश में हादसों की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। हम अपने इस लेख में आपको यही बताएंगे कि कैसे आप छोटे-मोटे हादसों से बच सकते हैं। आइए इस खबर के बारे में विस्तार से जानते हैं।
आपको इस लेख में दुर्घटनाओं से बचाव के बारे में बताने के पहले सोमवार सुबह महाराष्ट्र के पुणे में हुए एक भीषण सड़क हादसे के बारे में बताते हैं। पूणे में हुए इस दुर्घटना में एक डॉक्टर के परिवार के चार सदस्यों की दर्दनाक मौत हो गई। इस हादसे के पहले पूरा परिवार मुंबई से सतारा अपनी 17 साल की बेटी को कॉलेज छोड़कर वापस मुंबई जा रहे थे।
मुंबई पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार यशवंत माने (उम्र 55), शारदा यशवंत माने (46), ऋषिकेश यशवंत माने (20) और ड्राइवर कृष्णा सर्वे (65) की इस घटना में मौत हो गई। यशवंत माने और उनका परिवार उनकी बेटी को मुंबई से अल्टो 800 (एमएच 01 बीएफ 7689) कार में सवार होकर सातारा में छोड़ने के लिए आए थे।
खबर के मुताबिक जिस दौरान यह हादसा हुआ उस दौरान गाड़ी ड्राइवर रामचंद्र सुर्वे नहीं बल्कि बेटा ऋषिकेश चला रहा था। ऋषि ने यह कार्य ड्राइवर को थोड़ा आराम देने के लिए किया लेकिन जो हुआ उसकी कल्पना तक किसी ने नहीं थी।
पुलिस ने बताया कि सुबह के समय ड्राइवर को थोड़ा आराम मिले। इसलिए ऋषिकेश ने थोड़े समय के लिए गाड़ी चलाने का विचार किया और ड्राइविंग सीट पर जा बैठा। कार में सवार सभी लोगों की मौत कारण कार ड्राइव के वक्त ऋषिकेश का कार से नियंत्रण खो बैठना था।
इस तरह से अगर हम पूरे घटनाक्रम को देंखे तो यह बात सामने आती है कि थोड़ी-थोड़ी सी लापरवाही की वजह से ही चार-चार लोगों की मौत हो गई और यह केवल इसी मामले में ही नहीं बल्कि ज्यादातार हादसों में थोड़ी सी लापरवाही जान पर भारी बन जाती है।
इसलिए आज हम अपने इस लेख में आपको हादसों से बचाने के लिए कुछ उपाय बता रहे हैं। हालांकि हम यह नहीं कर रहे हैं कि इससे हादसे बंद हो जाएंगे लेकिन अगर इसे लोग अमल में लाएं तो जाहिर सी बात है सावधानी जाया नहीं जा सकती है।
- कई लोगों का मानना होता है कि एक्सीडेंट तो हो ही जाते है और उनको टाला नहीं जा सकता है, सिर्फ कम किया जा सकता है। लेकिन एक्सीडेंट की सबसे बड़ी वजह हयूमन एरर या इंसान जल्दबाजी होती है। कई बार वह जिस मशीनरी को चला रहा होता है उसमें लापरवाही करता है या उसमें आई समस्या को दूर नहीं करता है। इस तरह से अगर किसी भी प्रकार की लापरवाही को कम करने के लिए ड्राइवर गाड़ी चलाते समय अपनी आंखों और तकनीक जो उसकी हेल्प कर रही है उस पर ध्यान दे तभी दुर्घटनाओं में कमी आ पायेगी।
- कई बार हादसे ड्राईवर की भूल से भी होते हैं जिनमें ड्राईवर को नींद आ जाना भी शामिल होता है। ज्यादातर मामलों में हादसे किसी को बचाने में भी होते हैं, जैसे अचानक किसी गाड़ी, व्यक्ति या किसी जानवर के सामने आ जाने से। लिहाजा इस तरह के हादसों से बचने के लिए सभी गाड़ी मालिकों को मिलकर या सरकार को माह में एक बार ड्राईवर के लिए ट्रेनिंग कैंप लगवाना चाहिए, जिससे ड्राइवर ऐसी स्थिति का सामना करने के लिए मानसिक तौर से मजबूत रहें।
- ड्राइवरों की लापरवाही, शराब पी कर वाहन चलाना, वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग करना, सडकों की खराब स्थिति, वाहन मे खराबी, अचानक किसी वाहन का ओवरटेकिंग करना और यातायात नियमों का पालन न करना। लेकिन जो दुर्घटनाएं चालकों की लापरवाही के कारण होती हैं, उन पर काबू रखने के लिए चालकों को सख्ती से निर्देशित किया जाना चाहिए।
- भारत में सडकों की खराब हालत भी काफी हद तक दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। सडकों पर दो वाहन को बचाने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है ऐसे में वाहन को बचाने में वाहन अनियंत्रित होकर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। तो यह कहा जा सकता है कि यदि चालकों की लापरवाही और सडकों की हालात को सुधार किया जाये तो सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में निश्चित रूप से कमी लाई जा सकती है और यात्रा को मंगलमय बनाया जा सकता है।
- सड़कों पर जैसे जैसे आबादी और वाहन बढ़ते जा रहे हैं वैसे वैसे सड़क दुर्घटनाओं में भी तेजी से बढोतरी हो रही है। सडकों पर बढ़ी भीड़ ने वाहन चालकों की मुश्किलों को बढा दिया है। वाहन चलाते समय कुछ सावधानियां बरती जाये तो दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है।
- वाहन चलाते समय कुछ बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, जैसे कि वाहन चलाते समय मोबाइल पर बातें न करें, वाहन चलाते समय नशीली चीजों का इस्तेमाल न करें, ट्रैफिक नियमों का पालन करें, ओवर लोडिंग और गलत ओवरटेकिंग से बचें, गतिसीमा निर्धारित ही रहे।
- ड्राईवर के लिए एक ऐसा हेलमेट तैयार करना चाहिए, जिसमें सेंसर और कैमरा लगा होना चाहिए जो की सामने से आने वाली किसी भी गाड़ी को देखते ही वाइब्रेट होना शुरू कर दे और ड्राईवर को सूचित कर दे। दूसरा सुझाव है कि पुलों की रेलिंग पर स्प्रिंग लगी हो और स्प्रिंग के ऊपर स्टील की शीट जो की गाड़ी के टकराने पर रेलिंग से दूर कर दे, बस और ट्रक में भी सेंसर होना चाहिए जो की किसी भी गाड़ी के टच में आने पर पॉवर ब्रेक लग जाये।
- सड़क हादसों को कम करना व इनकी रोकथाम स्वयं लोगों के हाथ में है। वे इन हादसों के प्रति एहतियात बरतें व इन हादसों के प्रति जागरूक रहे तो इनको काफी हद तक कम किया जा सकता है। जैसे शराब पी कर वाहन नहीं चलाना चाहिए, सीटबेल्ट पहन कर वाहन चलाना चाहिए, निद्रा में वाहन नहीं चलाना चाहिए व अन्य सड़क नियमों का पालन करना चाहिए।
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DriveSpark की राय
भारत में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 2 लाख की मौत हो जाती है और सड़कों पर आबादी व वाहनों के बढ़ने के साथ-साथ इन हादसों में और बढ़ोत्तरी हो रही है। अतः हमारी राय है कि अगर आम ड्राइवर से लेकर सरकार तक उपर दिए गए सुझावों पर अमल करें तो लाखों जिंदगियों को बचाया जा सकता है।