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Hyundai और Mahindra को बैटरी निर्माण के लिए मिलेगा PLI का फायदा, 10 कंपनियों ने दिया आवेदन
भारतीय समूह रिलायंस इंडस्ट्रीज, दक्षिण कोरिया की हुंडई मोटर कंपनी और वाहन निर्माता महिंद्रा एंड महिंद्रा ने देश की 2.4 बिलियन डॉलर की बैटरी योजना के तहत बोलियां जमा की हैं। मीडिया रिपोर्ट ने दावा किया गया है कि इन बोलियों को जमा करने की अंतिम तिथि शुक्रवार (14 जनवरी) तक थी। भारत सरकार ने देश में बैटरी के स्थानीय निर्माण को प्रोतसित करने और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने और बैटरी स्टोरेज प्रणाली को विकसित करने के लिए पिछले साल बैटरी निर्माण में प्रोत्साहन योजना की शुरूआत की थी।
रिपोर्ट के अनुसार, सॉफ्टबैंक समूह समर्थित ओला इलेक्ट्रिक, इंजीनियरिंग समूह लार्सन एंड टुब्रो और बैटरी निर्माता अमारा राजा और एक्साइड के साथ कुल 10 कंपनियों ने बोलियां जमा की हैं। भारत सरकार पांच वर्षों में कुल 50 गीगावाट घंटे (जीडब्ल्यूएच) बैटरी भंडारण क्षमता स्थापित करना चाहती है, जिससे लिए लगभग 6 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है।
योजना के तहत प्रोत्साहन के योग्य होने के लिए, कंपनियों को कम से कम 5Gwh ऊर्जा भंडारण क्षमता स्थापित करनी होगी और कुछ स्थानीय सामग्री शर्तों को पूरा करना होगा, जिनमें से सभी के लिए 850 मिलियन डॉलर से अधिक के न्यूनतम निवेश की आवश्यकता होगी।
बैटरी निर्माण में अग्रणी वैश्विक कंपनियों जैसे टेस्ला इंक, सैमसंग, एलजी एनर्जी, नॉर्थवोल्ट और पैनासोनिक को भी निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। स्वच्छ ऑटो प्रौद्योगिकी प्रमुख शहरों में प्रदूषण को कम करने और तेल आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए भारत की रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों का कुल वाहनों की बिक्री में मामूली योगदान है। इसका प्रमुख कारण आयात के चलते इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों की ऊंची लागत है।
वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैटरी की लागत वाहन की कुल लागत का 35-40 फीसदी तक होता है, जिसके चलते खुदरा बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें ऊंची होती हैं। बैटरियों का स्थानीय निर्माण शुरू होने से लागत में कमी आएगी जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतें कम होंगी।
केंद्र सरकार ने पिछले साल बैटरी निर्माण और ऊर्जा भंडारण के लिए 18,000 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को मंजूरी दी थी। देश में एडवांस केमिस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज के नेशनल प्रोग्राम को मंजूरी दे दी गई है। इससे बैटरी बनाने वाली कंपनियों को 18 हजार करोड़ रुपये की योजनाओं का लाभ मिलेगा। यह रकम 5 साल में पीएलआई स्कीम के तहत कंपनियों को दी जाएगी। सरकार ने यह कदम बैटरी इंपोर्ट पर शिकंजा कसने के लिए उठाया है।
देश में बैटरी बनाने वाली हर छोटी-बड़ी कंपनी को इसका फायदा मिलेगा। साथ ही, घरेलू स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग से देश में नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे। केंद्र सरकार के अनुसार, भारत 20 हजार करोड़ रुपये बैटरी इंपोर्ट पर खर्च करता है। इन बैटरियों के देश में बनने से देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे साथ ही, इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा मिलेगा। देश में बैटरी बनने से इलेक्ट्रिक 2-व्हीलर्स, 4-व्हीलर्स तेजी से बढ़ेंगे।
इसके अलावा हैवी व्हीकल्स जैसे ट्रक को भी इलेक्ट्रिक पर लाने की तैयारी चल रही है। मौजूदा समय में फास्ट चार्जिंग बैटरी की जरूरत है। इस फैसले से उसको भी बढ़ावा मिलेगा। रेलवे और शिपिंग में भी बैटरी के इस्तेमाल की तैयारी चल रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर इलेक्ट्रिक वाहनों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है तो इससे 2030 तक ऑयल इंपोर्ट बिल में 40 बिलियन डॉलर (करीब 2.94 लाख करोड़ रुपये) की कमी आएगी।