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हीरो ने पूरी तरह भारत में बनी ई-साईकिल की पहली खेप को जर्मनी भेजा
हीरो साइकिल्स (Hero Cycles) ने अपनी मेड-इन-इंडिया इलेक्ट्रिक साइकिल की पहली खेप को जर्मनी भेज दिया है। इस खेप में इलेक्ट्रिक साइकिल की 200 यूनिट भेजी गई है। यह कंपनी की इलेक्ट्रिक साइकिलों कि पहली अंतरराष्ट्रीय एक्सपोर्ट है। कंपनी का लक्ष्य यूरोपीय संघ (ईयू) के बाजार में अग्रणी बनना है क्योंकि भविष्य में यूरोपीय संघ के लिए और अधिक इकाइयों को भेजने की योजना है।
हीरो साइकिल्स का मानना है कि वह यूरोपीय बाजार से 2025 तक 300 मिलियन यूरो यानी तकरीबन 2,600 करोड़ रुपये की कमाई करेगी। हीरो यूरोप में अपनी अंतरराष्ट्रीय ब्रांड 'एचएनएफ' के तहत साइकिल की बिक्री करती है।
हीरो साइकिल्स का कहना है कि यह शिपमेंट एचएमसी को यूरोप में सबसे बड़ी पूरी तरह से एकीकृत ई-बाइक कंपनी के रूप में स्थापित करने के लिए पहला कदम है।
कंपनी का मानना है कि 2030 तक यूरोप में ई-साइकिल की बिक्री लगभग 1.5 करोड़ यूनिट तक पहुंच सकती है। इस तरह ई-साइकिल का निर्यात और बिक्री बढ़ाकर कंपनी सेगमेंट में मार्केट लीडर बनन सकती है।
हीरो साइकिल्स इंटरनेशनल के लंदन स्थित सीईओ जेफ वीस ने कहा, "हम हीरो की विनिर्माण क्षमता के साथ एचएनएफ की इंजीनियरिंग और डिजाइन विशेषज्ञता के साथ उच्च गुणवत्ता वाली ई-बाइक बनाने की उम्मीद करते हैं। इसमें लुधियाना स्थित 100 एकड़ साइकिल वैली का अहम योगदान होगा।
कंपनी ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण सप्लाई चेन बाधित हुई जिसके समय पर साइकिल की आपूर्ति पर प्रभाव पड़ा। हालांकि, अब कंपनी ने सप्लाई चेन को दुरुस्त कर लिया है और मांग को तेजी से पूरा कर रही है। कंपनी का कहना है कि कोरोना काल में साइकिल और ई-साइकिल की मांग आसमान छू गई है।
हीरो ने ई-साइकिल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एक डिजिटल सप्लाई चेन कंपनी - हीरो सप्लाई चेन (एचएससी) - लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन में विशेषज्ञता वाली टीम की भी स्थापना की है।
हीरो साइकल्स साल में 60 लाख यूनिट की निर्माण क्षमता रखती है। कंपनी लुधियाना (पंजाब), गाजियाबाद (यूपी) और बिहटा (बिहार) स्थित संयंत्रों में निर्माण करती है। कंपनी श्रीलंका में अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के साथ यूके में एक डिजाइन सेंटर का भी संचालन करती है।