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गुजरात में इथेनॉल के उत्पादन को मिलेगा प्रोत्साहन, राज्य सरकार लागू करेगी नई नीति
देश में स्वच्छ ईंधन को बड़वा देने के लिए इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है। केंद्र सरकार बहुत जल्द ही इथेनॉल से चलने वाले फ्लेक्स इंजन वाहनों के लिए नीति की घोषण करने वाली है। इसी क्रम में अब गुजरात सरकार, राज्य में इथेनॉल के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए नीति पेश करने की योजना पर विचार कर रही है।
केंद्र सरकार पेट्रोल में इथेनॉल के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का लक्ष्य लेकर चल रही है। कुछ महीने पहले, केंद्र सरकार ने 2025-26 तक पूरे भारत में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के साथ पेट्रोल बेचने की अपनी नीति की घोषणा की। 2025 के बाद से भारत में बेचे जाने वाले देश के सभी नए वाहनों को E20 ईंधन का पालन करना होगा। E20 पेट्रोल 2023 से पूरे भारत में उपलब्ध होने वाला है। वर्तमान में भारत में E10 पेट्रोल उपलब्ध है।
गुजरात की इथेनॉल नीति केंद्र सरकार की फ्लेक्स फ्यूल नीति के अनुरूप है। इस नीति का उद्देश्य राज्य में इथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देना है ताकि 2025 से ई20 ईंधन अनिवार्य होने पर पर्याप्त इथेनॉल उपलब्ध कराया जा सके।
नीति के तहत, गुजरात सरकार का लक्ष्य इथेनॉल संयंत्र की स्थापना के लिए 10 करोड़ रुपये तक की 25 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान करना है। राज्य सरकार परियोजनाओं के लिए ऋण पर सब्सिडी सुनिश्चित करेगी। साथ ही, इस के तहत राज्य सरकार इथेनॉल उत्पादकों को पांच साल तक के लिए 100 प्रतिशत राज्य जीएसटी और बिजली लागत पर छूट प्रदान करेगी।
इथेनॉल का उत्पादन मक्के से किया जाता है। राज्य सरकार उन किसानों को भी प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है जो इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का का उत्पादन करेंगे।
इथेनॉल वह स्वच्छ ईंधन है जिसका उपयोग पेट्रोल के वैकल्पिक ईंधन के रूप में किया जा सकता है। यह न केवल प्रदूषकों के उत्सर्जन स्तर को कम करता है बल्कि इसे पेट्रोल में मिलाकर कर भी इस्तेमाल किया जा सकता है। ब्राजील और अमेरिका दो प्रमुख देश हैं जो वाहनों में इथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। कई वाहन निर्माता अपने वाहनों को उन देशों में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन के साथ बेचते हैं।
केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री, नितिन गडकरी भारत में वाहनों में फ्लेक्स-फ्यूल इंजन और इथेनॉल के उपयोग का पुरजोर समर्थन करते हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही कहा है था कि केंद्र सरकार जल्द ही एक फ्लेक्स-फ्यूल इंजन पॉलिसी पेश करेगी, जिससे देश में फ्लेक्स-फ्यूल से चलने वाले वाहनों का निर्माण अनिवार्य कर दिया जाएगा।
फ्लेक्स फ्यूल से भारत में हर साल 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के इथेनॉल का कारोबार किया जा सकता है। इथेनॉल के उपयोग से पेट्रोल का आयात कम होगा और करोड़ों रुपये के राजस्व की बचत भी की जा सकेगी। इसके अलावा इथेनॉल मिश्रित फ्लेक्स फ्यूल के इस्तेमाल से वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी कम होगा।
ब्राजील, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में फ्लेक्स फ्यूल पर चलने वाले वाहनों का उत्पादन किया जाता है। यहां ग्राहक 100 प्रतिशत पेट्रोल या 100 प्रतिशत इथेनॉल पर चलने वाले वाहनों का विकल्प चुन सकते हैं।
बायो फ्यूल यानी इथेनॉल की कीमत पेट्रोल से 30-35 रुपये सस्ती हो सकती है। चूंकि इथेनॉल पेट्रोलियम उत्पाद नहीं है, इसलिए पेट्रोल की कीमत में होने वाले उतार-चढ़ाव का असर इथेनॉल की कीमत पर नहीं पड़ेगा।
नितिन गडकरी ने कहा है कि इथेनॉल को तैयार करने के लिए हमारे देश में पर्याप्त मात्रा में मक्के, गन्ने और गेहूं की खेती की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अगर वाहन कंपनियां फ्लेक्स इंजन वाहनों को उतारें, तो हमें सस्ते ईंधन का फायदा मिलेगा साथ ही प्रदूषण से लड़ने में भी मदद मिलेगी।